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This Article is From Oct 13, 2020

पीड़िता कम से कम धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार की हकदार थी : हाथरस मामले पर हाईकोर्ट ने कहा

हाथरस मामले में चार आरोपी कथित तौर पर उच्‍च जाति से हैं, ऐसे में सवर्ण समुदाय उनको बचाने को लेकर मुखर है. पिछले कुछ सप्‍ताह में इस मुद्दे पर कई बैठकें हो चुकी है.

पीड़िता कम से कम धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार की हकदार थी : हाथरस मामले पर हाईकोर्ट ने कहा
यूपी पुलिस के युवती के 'गुपचुप' अंतिम संस्‍कार के मामले में आलोचना का सामना करना पड़ा है
नई दिल्ली:

Hathras Case: हाथरस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि पीड़िता कम से कम धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार की हकदार थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार की सुनवाई के बाद आज अपने आदेश में कहा कि किसी को भी पीड़िता के चरित्र हनन के प्रयास में शामिल नहीं होना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे कि आरोपियों को निष्‍पक्ष सुनवाई के पहले दोषी नहीं ठहराया नहीं जाना चाहिए. कोर्ट ने हाथरस मामले में स्‍वत: संज्ञान लिया है. अदालत यूपी के हाथरस के एक गांव में 20 साल की दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप और बर्बर तरीके से टॉर्चर के मामले पर सुनवाई कर रही है. युवती की बाद में दिल्‍ली के अस्‍पताल में मौत हो गई थी. 

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हाथरस मामले में चार आरोपी कथित तौर पर उच्‍च जाति से हैं, ऐसे में सवर्ण समुदाय उनको बचाने को लेकर मुखर है. पिछले कुछ सप्‍ताह में इस मुद्दे पर कई बैठकें हो चुकी है. यह भी दावे किए गए हैं कि आरोपियों में से एक युवती के साथ रिलेशनशिप में था और पीडि़ता का परिवार ही उसकी हत्‍या में शामिल है. सवर्ण समुदाय इसे 'ऑलर किलिंग' का मामला करार दे रहा है. कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि युवती और आरोपी के बीच 100 से अधिक फोन कॉल्‍स के बाद परिवार को रिलेशनशिप के बारे में पता चल गया था. फोरेंसिंक रिपोर्ट में इस बात से इनकार किया गया है कि युवती के साथ रेप हुआ, हालांकि यह भी एक तथ्‍य है कि सैंपल को कथित घटना के कुछ दिनों बाद एकत्र किया गया था.

इससे पहले, पीड़ित पक्ष की वकील सीमा कुशवाहा ने सोमवार को बताया था, कि "कोर्ट का कहना है कि अगर पीड़ित परिवार की जगह कोई बहुत ही रिच पर्सन होता तो क्या इस तरीक़े से आप जला देते. चूंकि कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है, इसलिए पूरा सेंसिटिव होकर सुन रहा है." इस पर हाथरस के डीएम ने कहा कि रात में लड़की का अंतिम संस्कार करने का फ़ैसला उनका था. दिल्ली में लड़की का शव पोस्टमॉर्टम के बाद 10 घंटे रखा रहा. गांव में भीड़ बढ़ती जा रही थी. लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने का खतरा था इसलिए ऐसा किया गया. इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या और फोर्स बढ़ाकर अंतिम संस्कार के लिए सुबह होने का इंतज़ार नहीं किया जा सकता था? 

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पीड़ित परिवार ने अदालत से कहा था कि उन्हें लड़की का मुंह भी नहीं देखने दिया गया और ज़बरदस्ती उसे जला दिया गया. इस पर कोर्ट ने डीएम से पूछा कि अगर वो किसी बड़े आदमी की बेटी होती तो क्या उसे इस तरह जला देते? 

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