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This Article is From Aug 16, 2011

हसन अली की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने धनशोधन और कर चोरी के आरोपी हसन अली खान को बंबई उच्च न्यायालय की ओर से जमानत पर रिहा करने पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने मंगलवार को कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के हसन अली को जमानत पर रिहा करने के आदेश पर गुरुवार तक अमल नहीं किया जाएगा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह आदेश दिया। ईडी ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी। खंडपीठ ने कहा, इस मामले को गुरुवार के लिए सूचीबद्ध होने दें। ऐसे में बंबई उच्च न्यायालय के 12 अगस्त के हसन अली को जमानत देने के फैसले पर अमल नहीं किया जाएगा। ईडी ने कहा, दस्तावेजों से खुलासा होता है कि हसन अली खान ने भारत से बाहर एक बैंक में 80 करोड़ डॉलर जमा कर रखा है। इस एजेंसी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि हसन अली की ओर किए गए कई लेनदेन से उसके अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्कर अदनान खशोगी से संबंधों का पता चलता है। बंबई उच्च न्यायालय की ओर से 12 अगस्त को जमानत का आदेश दिए जाने के एक दिन बाद दायर की गई याचिका में ईडी ने कहा है, दस्तावेजों से खुलासा होता है कि हसन अली और खाशोगी में गहरा गठजोड़ था। उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए हसन अली को जमानत दे दी थी कि ईडी यह साबित करने में नाकाम रही है कि उसने जो धन जमा कर रखा है वह अपराध से हासिल किया गया है। ईडी ने पहले कहा था कि हसन अली और उसके गिरफ्तार सहयोगी काशीनाथ तापुरिया के अमेरिका, स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और दूसरे देशों के बैंक अधिकारियों से गहरे रिश्ते थे। उसने यह आरोप भी लगाया है कि खान का खाशोगी से भी संपर्क था और 2003 में उसे इस हथियार व्यवसायी से हथियारों की बिक्री के ऐवज में 30 करोड़ डालर प्राप्त हुआ था। उसने यह भी कहा कि आरोपी ने इस तरह से लेन देन किया है ताकि उसके स्रोत का पता नहीं लग सके और जांच विफल हो जाए।

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