
कृषि बिलों को लेकर केंद्र की एनडीए सरकार से इस्तीफा देने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर (Harsimrat Kaur Badal) को गुरुवार रात को चंडीगढ़ में प्रवेश के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया है. ये गिरफ्तारी कृषि बिलों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के चलते किया गया है. इस बिल पर किसानों के विरोध के समर्थन में ही अकाली दल ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है.
यह भी पढ़ें
कोरोना संकट में 5 हजार से ज्यादा छात्रों को मिली नौकरी, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने प्लेसमेंट कराकर बनाया रिकॉर्ड
MC Chandigarh Recruitment 2021: 172 विभिन्न पदों पर निकली वैकेंसी, आवेदन की प्रक्रिया शुरू, करें अप्लाई
MC Chandigarh Recruitment 2021: चंडीगढ़ नगर निगम में 172 पदों पर वैकेंसी, इस दिन से शुरू होगी आवेदन प्रक्रिया
हरसिमरत कौर ने ट्वीट किया, 'किसानों की आवाज उठाने के लिए गिरफ्तार, लेकिन वो हमें चुप नहीं कर पाएंगे.'
अकाली नेता ने आगे लिखा, "हमें किसानों के अधिकारों के लिए बोलने के लिए गिरफ्तार किया जा रहा है, लेकिन हम सच्चाई का अनुसरण कर रहे हैं और इस बल से हमारा बल खामोश नहीं होगा."
ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਹੱਕਾਂ ਦੀ ਰਾਖੀ ਲਈ ਆਵਾਜ਼ ਚੁੱਕਣ ਬਦਲੇ ਸਾਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਪਰ ਅਸੀਂ ਸੱਚਾਈ ਦੀ ਪੈਰਵੀ ਕਰ ਰਹੇ ਹਾਂ ਅਤੇ ਇਸ ਜ਼ੋਰ ਜ਼ਬਰ ਨਾਲ ਸਾਡੀ ਸੱਚਾਈ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਦਬਾਈ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕੇਗੀ।
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) October 1, 2020
Arrested for raising farmers' voice, but they won't be able to silence us.#IkkoNaaraKisanPyaarapic.twitter.com/zzFtt6TqqT
तस्वीरों में पूर्व केंद्रीय मंत्री पुलिसवालों से घिरी हुईं दिख रही हैं, कोरोना वायरस के चलते सभी ने मास्क पहना हुआ है. अकाली दल के नेता और समर्थक उनका बचाव करने की कोशिश करते दिख रहे हैं. अकाली दल ने आज सुबह नए कृषि बिलों के खिलाफ तीन अलग-अलग "किसान मार्च" शुरू किए, उनका कहना हैं कि ये बिल किसानों के हित को नुकसान पहुंचाएगा और बड़ी कंपनियों को हेरफेर करने के लिए जगह देगा.
यह भी पढ़ें- 'ये वाजपेयी जी और बादल साहब के सपनों का NDA नहीं है', हरसिमरत कौर का तंज
अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल अमृतसर से एक मार्च का नेतृत्व किया, जबकि हरसिमरत कौर बादल बठिंडा से आई हैं. तीसरा जुलूस अकाली दल के नेताओं प्रेम सिंह चंदूमाजरा और दलजीत सिंह चीमा के नेतृत्व में आनंदपुर साहिब से शुरू हुआ था.
तीनों समूहों को चंडीगढ़ में मिलना था. जहां उन्होंने पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर को कृषि कानूनों के खिलाफ एक ज्ञापन देने की योजना बनाई थी.