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आसाराम बापू को उस वक्त करारा झटका लगा, जब गुजरात हाईकोर्ट ने 2008 में उनके गुरुकुल में रहने वाले दो लड़कों की मौत की जांच कर रहे आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया।
आयोग ने आसाराम बापू को 1 दिसंबर, 2012 को गवाह के तौर पर पेश होने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति परेश उपाध्याय ने याचिका खारिज करते हुए आसाराम की इस बात पर आलोचना की कि उन्होंने यह बात छिपाई कि इस साल जुलाई में उन्होंने ऐसी ही याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था और उन्हें कानूनी खर्चे के तौर पर 25,000 रुपये जमा करने का निर्देश दिया था।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, यह याचिकाकर्ता द्वारा न केवल तथ्यों को छिपाना है, बल्कि इसे गलत याचिका भी कहा जा सकता है। याचिका इसलिए खारिज की जाती है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डीके त्रिवेदी आयोग ने इस साल की शुरुआत में आसाराम और उनके बेटे नारायण साई को गवाह के तौर पर बयान देने के लिए समन जारी किया था।
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