अहमदाबाद की मौजूदा मेयर मीनाक्षी पटेल चुनाव जीत गई हैं
अहमदाबाद:
गुजरात में स्थानीय निकायों के चुनावों के नतीजों ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही राहत दी है। जहां शहरी इलाकों में भाजपा ने अपना दबदबा बरकरार रखा है, वहीं ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस ने जोरदार वापसी करते हुए कई पुराने गढ़ भगवा पार्टी से छीने हैं।
इन चुनावों को राज्य की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा था। नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री पद छोड़कर प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदीबेन मुख्यमंत्री बनी थीं और उनके नेतृत्व में ये पहले बडे चुनाव थे। चुनाव से पहले आनंदीबेन खुद जिस समाज से आती हैं, उस पटेल समाज ने सरकारी नौकरी और शिक्षा संस्थाओं में आरक्षण की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था। बीजेपी को डर था कि पटेलों ने अगर पार्टी से मुंह फेरा तो शहरी इलाकों में भी उसे अच्छा खासा नुकसान हो सकता है।
सभी महानगरपालिकाओं में बीजेपी
इन सभी आशंकाओं के बीच जो परिणाम आये उनमें सभी महानगरपालिकाओं में बीजेपी ने अपना कब्जा बरकरार रखा। यही नहीं, उनकी सीटों में भी कोई भारी कमी नहीं आई। सिर्फ राजकोट महानगरपालिका में टक्कर कांटे की रही। यहां अंतिम समय में भाजपा आगे बढ गई और उनका शासन रहेगा।
अहमदाबाद महानगर पालिका चुनाव की 192 सीटों में बीजेपी ने 139 और कांग्रेस ने 52 पर कब्जा जमाया है। इसी तरह सूरत की 116 सीटों में बीजेपी को 80 और कांग्रेस को 36 सीटें मिली हैं। वडोदरा की 76 सीटों में से बीजेपी के खाते में 54 और कांग्रेस के खाते में 14 सीटें आई हैं। राजकोट की कुल 72 सीटों में से बीजेपी को 38 और कांग्रेस को 34 सीटें, जामनगर की 64 सीटों में बीजेपी को 38 और कांग्रेस को 24 और भावनगर की 52 सीटों में से बीजेपी को 34 और कांग्रेस को 18 सीटें मिली हैं।
नगरपालिकाओं में भाजपा को कुछ नुकसान
इसके साथ साथ छोटे शहरी इलाके- म्युनिसिपालिटी में भी भाजपा का अच्छा प्रदर्शन रहा। पिछली बार 53 नगरपालिका या म्युनिसिपालिटी में से 50 पर भाजपा का कब्ज़ा था और तीन पर कांग्रेस का। इस बार भाजपा को कुछ नुकसान हुआ, फिर भी 40 नगरपालिका में भाजपा ने अपना शासन बनाया।
ग्रामीण इलाकों के नतीजे कांग्रेस के लिए उत्साह भरे
आनेवाले समय में बीजेपी और राज्य की आनंदीबेन पटेल सरकार के लिए जो चिंता खड़ी करने वाले हैं वह हैं ग्रामीण इलाकों के नतीजे। राज्य में 31 जिला परिषदों के चुनाव हुए। पिछली बार 30 पर बीजेपी का कब्ज़ा था और एक पर कांग्रेस का। लेकिन यहां 20 से ज्यादा जिला परिषदों पर इस बार कांग्रेस कब्ज़ा बना रही है और बाकी पर बीजेपी। एक या दो ज़िला परिषद बराबरी पर भी छूटेंगी।
विधानसभा चुनाव से पहले 'सेमीफाइनल'
तहसील परिषदों में भी जहां पहले ज्यादातर पर बीजेपी का कब्जा था, वहां भी कांग्रेस ने बड़ी सेंध मारी है। इसमें से आधी से ज्यादा कांग्रेस ने हथिया ली है। महत्वपूर्ण है कि इन चुनावों को 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले 'सेमीफाइनल' के तौर पर देखा जा रहा था। अब इन परिणामों के बाद बीजेपी की चिंता और कांग्रेस का उत्साह जरूर बढ़ेगा।
इन चुनावों को राज्य की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा था। नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री पद छोड़कर प्रधानमंत्री बनने के बाद आनंदीबेन मुख्यमंत्री बनी थीं और उनके नेतृत्व में ये पहले बडे चुनाव थे। चुनाव से पहले आनंदीबेन खुद जिस समाज से आती हैं, उस पटेल समाज ने सरकारी नौकरी और शिक्षा संस्थाओं में आरक्षण की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था। बीजेपी को डर था कि पटेलों ने अगर पार्टी से मुंह फेरा तो शहरी इलाकों में भी उसे अच्छा खासा नुकसान हो सकता है।
सभी महानगरपालिकाओं में बीजेपी
इन सभी आशंकाओं के बीच जो परिणाम आये उनमें सभी महानगरपालिकाओं में बीजेपी ने अपना कब्जा बरकरार रखा। यही नहीं, उनकी सीटों में भी कोई भारी कमी नहीं आई। सिर्फ राजकोट महानगरपालिका में टक्कर कांटे की रही। यहां अंतिम समय में भाजपा आगे बढ गई और उनका शासन रहेगा।
अहमदाबाद महानगर पालिका चुनाव की 192 सीटों में बीजेपी ने 139 और कांग्रेस ने 52 पर कब्जा जमाया है। इसी तरह सूरत की 116 सीटों में बीजेपी को 80 और कांग्रेस को 36 सीटें मिली हैं। वडोदरा की 76 सीटों में से बीजेपी के खाते में 54 और कांग्रेस के खाते में 14 सीटें आई हैं। राजकोट की कुल 72 सीटों में से बीजेपी को 38 और कांग्रेस को 34 सीटें, जामनगर की 64 सीटों में बीजेपी को 38 और कांग्रेस को 24 और भावनगर की 52 सीटों में से बीजेपी को 34 और कांग्रेस को 18 सीटें मिली हैं।
नगरपालिकाओं में भाजपा को कुछ नुकसान
इसके साथ साथ छोटे शहरी इलाके- म्युनिसिपालिटी में भी भाजपा का अच्छा प्रदर्शन रहा। पिछली बार 53 नगरपालिका या म्युनिसिपालिटी में से 50 पर भाजपा का कब्ज़ा था और तीन पर कांग्रेस का। इस बार भाजपा को कुछ नुकसान हुआ, फिर भी 40 नगरपालिका में भाजपा ने अपना शासन बनाया।
ग्रामीण इलाकों के नतीजे कांग्रेस के लिए उत्साह भरे
आनेवाले समय में बीजेपी और राज्य की आनंदीबेन पटेल सरकार के लिए जो चिंता खड़ी करने वाले हैं वह हैं ग्रामीण इलाकों के नतीजे। राज्य में 31 जिला परिषदों के चुनाव हुए। पिछली बार 30 पर बीजेपी का कब्ज़ा था और एक पर कांग्रेस का। लेकिन यहां 20 से ज्यादा जिला परिषदों पर इस बार कांग्रेस कब्ज़ा बना रही है और बाकी पर बीजेपी। एक या दो ज़िला परिषद बराबरी पर भी छूटेंगी।
विधानसभा चुनाव से पहले 'सेमीफाइनल'
तहसील परिषदों में भी जहां पहले ज्यादातर पर बीजेपी का कब्जा था, वहां भी कांग्रेस ने बड़ी सेंध मारी है। इसमें से आधी से ज्यादा कांग्रेस ने हथिया ली है। महत्वपूर्ण है कि इन चुनावों को 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले 'सेमीफाइनल' के तौर पर देखा जा रहा था। अब इन परिणामों के बाद बीजेपी की चिंता और कांग्रेस का उत्साह जरूर बढ़ेगा।
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