यह ख़बर 16 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सरकार का सुझाव स्वीकार्य, वित्तीय स्वतंत्रता दी जाए : सीबीआई

खास बातें

  • सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि जांच एजेंसी को निष्पक्ष बनाने तथा राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करने को लेकर वह सरकार के सुझावों से व्यापक रूप से सहमत है, लेकिन इसके साथ ही निष्पक्ष एवं गंभीर मामलों में वस्तुनिष्ठ निर्णय लेने के लिए सीबीआई को वित्ती
नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि जांच एजेंसी को निष्पक्ष बनाने तथा राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करने को लेकर वह सरकार के सुझावों से व्यापक रूप से सहमत है, लेकिन इसके साथ ही निष्पक्ष एवं गंभीर मामलों में वस्तुनिष्ठ निर्णय लेने के लिए सीबीआई को वित्तीय स्वतंत्रता दिए जाने की मांग भी की।

शीर्ष अदालत में दायर एक शपथ-पत्र में सीबीआई ने कहा है कि वह सीबीआई निदेशक की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की सदस्यता वाली समिति द्वारा किए जाने संबंधी सरकार के सुझाव से सहमत है।

इस सुझाव पर, कि सीबीआई निदेशक के पास भ्रष्टाचार मामलों की जांच का अनुभव होना चाहिए, जांच एजेंसी ने कहा है कि निदेशक के रूप में नियुक्त किए जा रहे व्यक्ति के पास सीबीआई में निगरानी स्तर पर काम करने का अनुभव होना चाहिए।

जांच एजेंसी ने यह भी कहा है कि सीबीआई के निदेशक के लिए प्रस्तावित दो वर्ष का कार्यकल बहुत कम है और इसे कम से कम तीन वर्ष किया जाना चाहिए।

एजेंसी ने अपने कामकाज को प्रभावी और रोजमर्रा के कामकाज में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के हस्तक्षेप से बचाव के लिए वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार दिए जाने की मांग की है।

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न्यायालय ने कहा, "सीबीआई निदेशक जो रोजमर्रा के प्रशासनिक एवं वित्तीय मंजूरी के लिए मंत्रालय पर निर्भर हो, वह मौजूदा स्थितियों में स्वतंत्र और निष्पक्ष फैसले नहीं ले सकता।" शपथपत्र पर शीर्ष अदालत बुधवार को विचार करेगी।