रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व प्रमुख अविनाश चंदर का मानना है कि सरकार द्वारा चीजों से बेहतर ढंग से निपटा जा सकता था, क्योंकि 42 साल की सेवा के बाद बर्खास्त किया जाना सुनने में अच्छा शब्द नहीं लगता। चंदर के कार्यकाल को अचानक समाप्त करने की घोषणा की गई थी।
31 जनवरी को पद से हटने के बाद चंदर ने एनडीटीवी से कहा कि उन्हें देश के इस शीर्ष सैन्य तकनीकी विशेषज्ञ पद से हटाए जाने के बारे में सरकार के आदेश की जानकारी पिछले माह मीडिया के जरिए मिली। उन्होंने कहा, मैं 'हैरत में पड़ गया। यह पूरी तरह से अप्रत्याशित था। लेकिन मैं यह हमेशा महसूस करता था कि डीआरडीओ के भीतर मुझे अपनी टीम को चुनने की पूरी आजादी है। मैं महसूस करता हूं कि इसी तरह सरकार को भी अपनी टीम चुनने की आजादी है। मैंने सरकार के निर्णय को स्वीकार किया।'
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार चीजों से बेहतर ढंग से निपट सकती थी, उन्होंने सकारात्मक जवाब दिया। चंदर ने कहा, हां, यह बेहतर हो सकता था। ऐसा सरकार और मेरे, दोनों के लिए अच्छा होता। 42 साल की सेवा के बाद बख्रास्त किया जाना सुनने में अच्छा शब्द नहीं लगता।' सरकार ने चंदर को उनके पद से 31 जनवरी को हटाये जाने की घोषणा 13 जनवरी को की थी जबकि उनके अनुबंध की अवधि 15 माह बची थी। उन्होंने 42 साल तक डीआरडीओ में सेवा की थी।
बाद में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि वह डीआरडीओ के शीर्ष पद पर किसी युवा व्यक्ति को चाहते हैं। रक्षा सचिव आर के माथुर को डीआरडीओ को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। चंदर ने कहा, 'मैने डीआरडीओ में अपनी सेवा के प्रत्येक क्षण का आनंद उठाया और आपने मुझे जो सतत समर्थन दिया उसके लिए मैं आप सबको धन्यवाद देता हूं। मैं देश को इतनी आधुनिक मिसाइलों से सुसज्जित करने के बड़े संतोष के साथ विदा हो रहा हूं।' मिसाइलों का सफलतापूर्वक विकास करने के कारण चंदर को अक्सर 'अग्नि मैन' कहा जाता है।
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