वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम के मामले में प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढा द्वारा निराशा जताए जाने के बाद सरकार ने आज सफाई देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति के लिए सुब्रमण्यम के मामले को इसलिए नहीं आगे बढ़ाया गया, क्योंकि उन्होंने खुद सत्यापन की प्रक्रिया के दौरान अपना नाम वापस ले लिया था।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने न्यायाधीशों के तौर पर नियुक्ति के लिए चार मामले भेजे थे। सूत्रों ने कहा, 'मानक प्रक्रिया के तौर पर सभी चारों मामलों में सत्यापन किया गया। इनमें से तीन मामले सही थे, लेकिन सुब्रह्मण्यम के मामले को पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम को वापस भेज दिया गया।' सूत्रों के अनुसार, 'इस बीच सुब्रह्मण्यम ने खुद अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। उनकी उम्मीदवारी समाप्त होने के चलते मामला आगे नहीं बढ़ा।'
इससे पहले न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा था कि कार्यपालिका द्वारा एकपक्षीय तरीके से सुब्रह्मण्यम के नाम को तीन अन्य से अलग करना उचित नहीं है। सुब्रह्मण्यम का नाम सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति के लिए अन्य लोगों से अलग किये जाते वक्त न्यायमूर्ति लोढ़ा विदेश यात्रा पर थे। उन्होंने आज शाम सरकार के फैसले पर अपनी आपत्ति जताई।
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