फाइल फोटो
नई दिल्ली:
राजनीतिक दलों के विदेशी चंदे से जुड़े विदेशी सहायता नियमन कानून (एफसीआरए) में संशोधन कर लोकसभा ने बिना किसी चर्चा के पारित कर दिए जाने के विवाद के बीच अब सरकारी की ओर से सफाई दी गई है. सरकार से जुड़े होने का कहना है कि यह दुष्प्रचार है कि राजनीतिक दलों को विदेशी कंपनियों से चंदा लेने की छूट दी गई है. जो कंपनियां भारत में रजिस्टर्ड हैं वे चंदा दे सकती हैं. एफडीआई की अनुमति के बाद अधिकांश भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेश है. आईटीसी जैसी कंपनियों में अधिक विदेशी हिस्सेदारी है.
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सरकार का कहना है कि अब तक के प्रावधान के मुताबिक ऐसी कंपनियों को राजनीतिक दलों को चंदा देने पर पाबंदी थी. लेकिन चंदे में पारदर्शिता के लिए जरूरी है कि संशोधन किया जाए ताकि चंदा चेक से ही दिया जा सके. पुराने समय (1976) से लागू करने की वजह यह है कि कुछ पुराने मामले चल रहे हैं जिनका निपटारा हो सके.
वीडियो : विदेशी चंदे पर कांग्रेस-बीजेपी साथ-साथ
गौरलब है कि लोकसभा ने बुधवार को वित्त विधेयक 2018 में 21 संशोधनों को मंजूरी दे दी. उनमें से एक संशोधन विदेशी चंदा नियमन कानून, 2010 से संबंधित था. यह कानून विदेशी कंपनियों को राजनीतिक दलों को चंदा देने से रोकता है. जन प्रतिनिधित्व कानून, जिसमें चुनाव के बारे में नियम बनाये गये हैं, राजनीतिक दलों को विदेशी चंदा लेने पर रोक लगाता है.
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सरकार का कहना है कि अब तक के प्रावधान के मुताबिक ऐसी कंपनियों को राजनीतिक दलों को चंदा देने पर पाबंदी थी. लेकिन चंदे में पारदर्शिता के लिए जरूरी है कि संशोधन किया जाए ताकि चंदा चेक से ही दिया जा सके. पुराने समय (1976) से लागू करने की वजह यह है कि कुछ पुराने मामले चल रहे हैं जिनका निपटारा हो सके.
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गौरलब है कि लोकसभा ने बुधवार को वित्त विधेयक 2018 में 21 संशोधनों को मंजूरी दे दी. उनमें से एक संशोधन विदेशी चंदा नियमन कानून, 2010 से संबंधित था. यह कानून विदेशी कंपनियों को राजनीतिक दलों को चंदा देने से रोकता है. जन प्रतिनिधित्व कानून, जिसमें चुनाव के बारे में नियम बनाये गये हैं, राजनीतिक दलों को विदेशी चंदा लेने पर रोक लगाता है.
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