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This Article is From Aug 31, 2021

एमरॉल्ड कोल्ड प्रोजेक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे : सुपरटेक

Supertech Emerald Court Project : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए दो 40 मंजिला टावर ढहाने का आदेश दिया है. इससे रियल एस्टेट कंपनी को तगड़ा झटका लगा है

एमरॉल्ड कोल्ड प्रोजेक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे : सुपरटेक
Supertech के एमरॉल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट को लगा झटका
नई दिल्ली:

सुपरटेक ने कहा है कि वह नोएडा स्थित हाउसिंग प्रोजेक्ट एमरॉल्ड कोर्ट के दो ट्विन टावरों को गिराने के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षा याचिका दाखिल करेगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए दो 40 मंजिला टावर ढहाने का आदेश दिया है. इससे रियल एस्टेट कंपनी को तगड़ा झटका लगा है. रियल एस्‍टेट कंपनी सुपरटेक को सुप्रीम कोर्ट (Supertech) के निर्णय से भारी झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने नोएडा के हाउसिंग प्रोजेक्‍ट एमरॉल्ड कोर्ट (Emerald Court Project) में कंपनी के दो 40 मंजिला टॉवर गिराने का आदेश दिया है. दोनों टॉवरों को अवैध करार देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा क‍ि नोएडा प्राधिकरण के अफसरों और सुपरटेक की मिलीभगत से यह अवैध निर्माण हुआ है. इस निर्णय के बाद सुपरटेक एमरॉल्ड के निवासियों ने प्रसन्नता जताई है. दरअसल, सुपरटेक के दोनों टॉवरों में 950 से ज्‍यादा फ्लैट बनाए जाने थे. 32 मंजिला का निर्माण कार्य पूरा हो चुका था जब एमराल्‍ड कोर्ट हाउसिंग सोसायटी के निवासियों की याचिका पर टॉवर गिराने का आदेश दिया गया है. इस प्रोजेक्ट में 633 लोगों ने फ्लैट बुक कराए थे, जिनमें से 248 रिफंड ले चुके हैं. 133 प्रभावित लोग दूसरे प्रोजेक्ट में शिफ्ट हो गए, लेकिन 252 ने अब भी निवेश बनाए रखा है.

शीर्ष अदालत ने नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक के अफसरों पर कार्रवाई का फैसला भी बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई है. कोर्ट ने कहा कि सक्षम प्राधिकरण कानून के मुताबिक कानूनी कार्रवाई की इजाजत दे.सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि दोनों टावरों को गिराने की कीमत सुपरटेक से वसूली जाए.दूसरी इमारतों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए टावर गिराए जाएं. नोएडा अथॉरिटी विशेषज्ञों की मदद ले.

जिन लोगों को रिफंड नहीं किया गया गया है उनको रिफंड दिया जाए. रिफंड की प्रक्रिया दो माह और टावरों को गिराने की कार्यवाही तीन महीने में पूरी करने का निर्देश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि गैरकानूनी निर्माण में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है. इमारतों यह निर्माण सुरक्षा मानकों को कमजोर करता है.इससे सख्ती से निपटना होगा.

जज ने कहा कि बिल्डरों और रीयल एस्टेट कंपनियों के बीच नापाक गठजोड़ निवासियों को उस जानकारी से वंचित कर रहा है जिसके वे हकदार हैं. नोएडा अथॉरिटी द्वारा दी गई मंजूरी भवन नियमों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है. टॉवरों के बीच न्यूनतम दूरी का ध्यान नहीं रखा गया. अग्नि शमन मानकों का भी उल्लंघन हुआ है.टॉवरों के निर्माण के लिए ग्रीन जोन का उल्लंघन किया गया था.

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