
जीएम सरसों (फाइल फोटो)
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जीएम सरसों की खेती पर विवाद को बढ़ते देख लिया फैसला
जीईएसी ने जीएम सरसों के सुरक्षा पहलुओं पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी थी
आरएसएस से संबद्ध किसान संगठन कर रहे हैं विरोध
लोकसभा के बुलेटिन के अनुसार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं वन पर संसद की स्थायी समिति ने जांच करने के लिए जीएम फसलों और उनके पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों के विषय को चुना है. देश की जैव प्रौद्योगिकी नियामक जीन अभियांत्रिकी मंजूरी समिति (जीईएसी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘सेन्टर फॉर जेनेटिक मैनुपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स’ द्वारा विकसित जीएम सरसों के सुरक्षा पहलुओं पर हाल में सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी थी.
इसके बाद पर्यावरण मंत्रालय को जीन स्तर पर संवर्धित सरसों के पर्यावरणीय स्तर पर जारी की गई रिपोर्ट खाद्य एवं पर्यावरणीय सुरक्षा आकलन (एएफईएस) पर किसानों एवं शोधकर्ताओं सहित विभिन्न अंशधारकों से करीब 700 टिप्पणियां प्राप्त हुईं. आरएसएस से संबद्ध किसान संगठन सहित विभिन्न किसान संगठनों और पर्यावरण कार्यकर्ता जीएम सरसों की व्यवसायिक खेती का विरोध कर रहे हैं.
जीएम विरोधी कार्यकर्ताओं द्वारा जीएम सरसों का विरोध करने और ‘अवैज्ञानिक’ मंजूरी प्रक्रिया के खिलाफ अपना स्वर बुलंद करने के साथ पर्यावरण मंत्रालय ने कहा था कि सभी टिप्पणियों का आकलन करने के बाद एक उप समिति अपनी अंतिम रिपोर्ट जैव प्रौद्योगिकी नियामक जीईएसी को सौंपना.
हाल में करीब 29 राष्ट्रीय स्तर के संगठनों सहित देश भर के करीब 150 संगठनों की जीएम सरसों के खिलाफ जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन हुआ तथा धमकी दी कि अगर इस संकर बीज को व्यवसायिक रूप से जारी करने की मंजूरी दी गई तो वे देश भर में विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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