नई दिल्ली:
शुक्रवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर भीमसेन बस्सी त्यागराज स्टेडियम में छात्राओं से रूबरू हुए। मौका था आत्मरक्षा की ट्रेनिंग के कार्यक्रम का। लेकिन पुलिस कमिश्नर ने भाषण देने की बजाय कई छात्राओं को सवाल पूछने का मौका दिया। ..फिर क्या था छात्राओं ने तीखे सवालों की बौछार कर दी और पुलिस कमिश्नर के पसीने छूट गए।
बच्चों के सवाल और पुलिस कमिश्नर के जबाब कुछ इस तरह थे...
सवाल : स्कूलों के बाहर जो ईव टीज़र्स होते हैं वो अंकल क्यों होते हैं?
पुलिस कमिश्नर : मानसी ने बहुत अच्छा सवाल पूछा है। इसने पूछा है कि जो लोग ईव टीज़र्स होते हैं वो अंकल क्यों होते हैं? ...मैं यही कहूंगा, हमें ऐसे में कभी चुप नहीं रहना है। यही बात हम आपको बताना चाहते हैं। 'अब नहीं है डरना'l वहां सामने क्या लिखा है, 'अब नहीं हैं डरना' ...इसका मतलब है कि अब नहीं डरेंगे। हमें अपने मम्मी-पापा को बताना है, स्कूल टीचर्स को बताना है, पुलिस को बताना है- जो ऐसा करता है, उसकी गर्दन पकड़ लो, दांत तोड़ दो, जो आपने सीखा है उसका पूरा इस्तेमाल करो। ऐसे लोगों को पटखनी मारो। चुप नहीं बैठना है। ओके?
पुलिस कमिश्नर : आपका नाम बेटे!
छात्रा : अनन्या सर।
पुलिस कमिश्नर : अनन्या ने एक सवाल पूछा है, सुन लिया इसका सवाल? ये है कि भारत में सज़ा देने में इतना वक़्त क्यों लगता है? भारत कानून द्वारा स्थापित देश है। ऐसा इसलिए होता है कि किसी भी एक निर्दोष को सज़ा न मिले। इसका मतलब ये है कि कोई बेईमान व्यक्ति जो अपराधी है, उसको पूरी सज़ा मिले। इसमें प्रक्रिया के तहत समय तो लगता है। मैं आपको बताना चाहता हूं, पहले 5-5 साल 10-10 साल लगते थे। लेकिन जब से लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हुए हैं, तब से तेज़ी आई है। पूरा सिस्टम अब तेज़ हो गया है। लेकिन मैं अभी भी मानता हूं, समय लगता है। इस प्रक्रिया को और ज़्यादा तेज़ करने की आवश्यकता है।
पुलिस कमिश्नर : आपका सप्लीमेंट्री सवाल क्या है?
छात्रा : सर, ऐसा क्यों होता है कि नाबालिग सज़ा से बच जाते हैं? सबसे ज़्यादा क्राइम में तो वही शामिल था? ..उसको बीच चौराहे पर लटका देना चाहिए।
पुलिस कमिश्नर : बेटा, इस समस्या के कारण हम आहत हैं। ये सोसाइटी की एक बड़ी समस्या है। लेकिन हमारे संविधान में कुछ मूलभूत अधिकार हैं। हर अपराधी का भी अधिकार होता है और हर चोर का भी। सोसाइटी में हर किसी के अधिकार होते हैं, चाहे वह चोर हो या शरीफ़। कानून में 18 साल से कम के बच्चे को कड़ी सज़ा का प्रावधान नहीं है।
सवाल : पुलिस ईमानदार क्यों नहीं होती?
पुलिस कमिश्नर : मुझे ये सवाल बहुत अच्छा लगा सुनकर बेटे। ये एक समस्या है ये समाज में बहुत बड़ी समस्या है। ये समस्या पुलिस में भी है, हम इस बात से भली भांति परिचित हैंष इसके लिए दिल्ली पुलिस ने बहुत बड़ा अभियान शुरू किया है, बेइमानी के खिलाफ हमारा अभियान ये है कि हम कम से कम इसे करें। जो भी व्यक्ति हमारे पुलिस के बेइमानी करते हुए नजर आता है, उसके खिलाफ हम सख्त कार्यवाई करते हैं। उसे जेल भेजते हैं। ये मैं आपको फिर बोलूंगा कि अगर कोई पुलिसवाला आपके साथ या आपके जानने वाले के साथ बेइमानी करे तो आप 1064 हेल्पलाइन पर खबर करें। रिपीट करेगें 1064
छात्रा : लड़कियों को आप लोग सेंसटाइज कर रहे हैं, हम लोग परेशानियां झेलते हैं छेड़खानी बगैरा, लेकिन आप लोग लड़कों को सेंसटाइज नहीं करते।
पुलिस कमिश्नर : मैं बच्चियों को इतना मज़बूत करना चाहता हूं, ताकि लड़के और लड़की में शारीरिक क्षमता बराबर हो। आपने देखा होगा कि एक आम लड़का एक आम लड़की से तगड़ा होता है, एक लड़की और लड़के में शारीरिक गैप होता है, जिसके चलते वे लड़कियों को छेड़ते हैं। जो आपराधिक क़िस्म के लोग हैं, जब वो किसी लड़की के साथ ज़्यादती करते हैं तो उन्हें लगता है, लड़की कुछ नहीं कर पाएगी। हमें इस चीज़ को ख़त्म करना है ताकि लड़का जब ज़्यादती करने की सोचे तो उसे लगे कि ये मेरे दांत तोड़ सकती है।
छात्रा : सर हमारे घरवाले केस दर्ज कराने से मना करते हैं। ऐसे में हम क्या करें?
पुलिस कमिश्नर : हमें केस करना है, जिससे गलत व्यक्ति को सज़ा मिल सके। जब इनको सबक मिलेगा तभी वो सीखेंगे। अगर लड़के समझ जाएंगे, लड़की मुझे गिरा देगी, मुझे मारेगी, मुझ पर केस कर देगी तो वो ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे।
छात्रा : अभी ट्रैफ़िक पुलिसकर्मी ने एक महिला को पत्थर मारा और महिला ने भी ट्रैफ़िक पुलिसकर्मी के साथ हाथापाई की। इस केस के बारे में आप क्या सोचते हैं?
पुलिस कमिश्नर : इन्होंने सवाल पूछा है कि ट्रैफ़िक पुलिसवाले का मामला हुआ था। वो बहुत ही शर्मनाक है। इस वाकये के लिए मैं पुलिस की ओर से खेद प्रकट करता हूं। अब इसमें नए सबूत सामने आ रहे हैं। उन पर मैं यहां चर्चा नहीं करना चाहता। पर बच्चो, मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अगर कोई पुलिसकर्मी महिलाओं के प्रति अनादर करता है तो उसको बख्शा नहीं जाएगा, मैं आपको ये भरोसा दिलाता हूं।
बच्चों के सवाल और पुलिस कमिश्नर के जबाब कुछ इस तरह थे...
सवाल : स्कूलों के बाहर जो ईव टीज़र्स होते हैं वो अंकल क्यों होते हैं?
पुलिस कमिश्नर : मानसी ने बहुत अच्छा सवाल पूछा है। इसने पूछा है कि जो लोग ईव टीज़र्स होते हैं वो अंकल क्यों होते हैं? ...मैं यही कहूंगा, हमें ऐसे में कभी चुप नहीं रहना है। यही बात हम आपको बताना चाहते हैं। 'अब नहीं है डरना'l वहां सामने क्या लिखा है, 'अब नहीं हैं डरना' ...इसका मतलब है कि अब नहीं डरेंगे। हमें अपने मम्मी-पापा को बताना है, स्कूल टीचर्स को बताना है, पुलिस को बताना है- जो ऐसा करता है, उसकी गर्दन पकड़ लो, दांत तोड़ दो, जो आपने सीखा है उसका पूरा इस्तेमाल करो। ऐसे लोगों को पटखनी मारो। चुप नहीं बैठना है। ओके?
पुलिस कमिश्नर : आपका नाम बेटे!
छात्रा : अनन्या सर।
पुलिस कमिश्नर : अनन्या ने एक सवाल पूछा है, सुन लिया इसका सवाल? ये है कि भारत में सज़ा देने में इतना वक़्त क्यों लगता है? भारत कानून द्वारा स्थापित देश है। ऐसा इसलिए होता है कि किसी भी एक निर्दोष को सज़ा न मिले। इसका मतलब ये है कि कोई बेईमान व्यक्ति जो अपराधी है, उसको पूरी सज़ा मिले। इसमें प्रक्रिया के तहत समय तो लगता है। मैं आपको बताना चाहता हूं, पहले 5-5 साल 10-10 साल लगते थे। लेकिन जब से लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरुक हुए हैं, तब से तेज़ी आई है। पूरा सिस्टम अब तेज़ हो गया है। लेकिन मैं अभी भी मानता हूं, समय लगता है। इस प्रक्रिया को और ज़्यादा तेज़ करने की आवश्यकता है।
पुलिस कमिश्नर : आपका सप्लीमेंट्री सवाल क्या है?
छात्रा : सर, ऐसा क्यों होता है कि नाबालिग सज़ा से बच जाते हैं? सबसे ज़्यादा क्राइम में तो वही शामिल था? ..उसको बीच चौराहे पर लटका देना चाहिए।
पुलिस कमिश्नर : बेटा, इस समस्या के कारण हम आहत हैं। ये सोसाइटी की एक बड़ी समस्या है। लेकिन हमारे संविधान में कुछ मूलभूत अधिकार हैं। हर अपराधी का भी अधिकार होता है और हर चोर का भी। सोसाइटी में हर किसी के अधिकार होते हैं, चाहे वह चोर हो या शरीफ़। कानून में 18 साल से कम के बच्चे को कड़ी सज़ा का प्रावधान नहीं है।
सवाल : पुलिस ईमानदार क्यों नहीं होती?
पुलिस कमिश्नर : मुझे ये सवाल बहुत अच्छा लगा सुनकर बेटे। ये एक समस्या है ये समाज में बहुत बड़ी समस्या है। ये समस्या पुलिस में भी है, हम इस बात से भली भांति परिचित हैंष इसके लिए दिल्ली पुलिस ने बहुत बड़ा अभियान शुरू किया है, बेइमानी के खिलाफ हमारा अभियान ये है कि हम कम से कम इसे करें। जो भी व्यक्ति हमारे पुलिस के बेइमानी करते हुए नजर आता है, उसके खिलाफ हम सख्त कार्यवाई करते हैं। उसे जेल भेजते हैं। ये मैं आपको फिर बोलूंगा कि अगर कोई पुलिसवाला आपके साथ या आपके जानने वाले के साथ बेइमानी करे तो आप 1064 हेल्पलाइन पर खबर करें। रिपीट करेगें 1064
छात्रा : लड़कियों को आप लोग सेंसटाइज कर रहे हैं, हम लोग परेशानियां झेलते हैं छेड़खानी बगैरा, लेकिन आप लोग लड़कों को सेंसटाइज नहीं करते।
पुलिस कमिश्नर : मैं बच्चियों को इतना मज़बूत करना चाहता हूं, ताकि लड़के और लड़की में शारीरिक क्षमता बराबर हो। आपने देखा होगा कि एक आम लड़का एक आम लड़की से तगड़ा होता है, एक लड़की और लड़के में शारीरिक गैप होता है, जिसके चलते वे लड़कियों को छेड़ते हैं। जो आपराधिक क़िस्म के लोग हैं, जब वो किसी लड़की के साथ ज़्यादती करते हैं तो उन्हें लगता है, लड़की कुछ नहीं कर पाएगी। हमें इस चीज़ को ख़त्म करना है ताकि लड़का जब ज़्यादती करने की सोचे तो उसे लगे कि ये मेरे दांत तोड़ सकती है।
छात्रा : सर हमारे घरवाले केस दर्ज कराने से मना करते हैं। ऐसे में हम क्या करें?
पुलिस कमिश्नर : हमें केस करना है, जिससे गलत व्यक्ति को सज़ा मिल सके। जब इनको सबक मिलेगा तभी वो सीखेंगे। अगर लड़के समझ जाएंगे, लड़की मुझे गिरा देगी, मुझे मारेगी, मुझ पर केस कर देगी तो वो ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे।
छात्रा : अभी ट्रैफ़िक पुलिसकर्मी ने एक महिला को पत्थर मारा और महिला ने भी ट्रैफ़िक पुलिसकर्मी के साथ हाथापाई की। इस केस के बारे में आप क्या सोचते हैं?
पुलिस कमिश्नर : इन्होंने सवाल पूछा है कि ट्रैफ़िक पुलिसवाले का मामला हुआ था। वो बहुत ही शर्मनाक है। इस वाकये के लिए मैं पुलिस की ओर से खेद प्रकट करता हूं। अब इसमें नए सबूत सामने आ रहे हैं। उन पर मैं यहां चर्चा नहीं करना चाहता। पर बच्चो, मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। अगर कोई पुलिसकर्मी महिलाओं के प्रति अनादर करता है तो उसको बख्शा नहीं जाएगा, मैं आपको ये भरोसा दिलाता हूं।
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