भोपाल गैस त्रासदी की विधवाएं दर-दर ठोकर खाने को मजबूर, 8 माह से नहीं मिल रही पेंशन

इन महिलाओं में से एक, सफिया बी ठीक से उम्र भी नहीं बता पातीं.8 लोग थे परिवार में कोई साथ नहीं है. गैस ने देखने की ताकत छीन ली. एक सहारा था पेंशन का वो भी बंद है.

भोपाल गैस त्रासदी की विधवाएं दर-दर ठोकर खाने को मजबूर, 8 माह से नहीं मिल रही पेंशन

भोपाल गैस त्रासदी के कारण देखने में अक्षम सफिया बी पेंशन नहीं मिलने से परेशान हैं

खास बातें

  • गैस के असर के कारण देख नहीं सकतीं सफिया
  • पेंशन बंद होने के कारण वे हैं बेहद परेशान
  • गैस राहत मंत्री बोले-कोशिश करेंगे, जल्‍द शुरू हो पेंशन
भोपाल:

भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) ने शहर की 5 हजार से ज्यादा महिलाओं को विधवा बना दिया था, सरकार इन महिलाओं को कुछ रूपये पेंशन के देती थी लेकिन वो भी दिसंबर 2019 से बंद है. इस बीच कांग्रेस की सरकार के मुख्यमंत्री चले गये और फिर कमल की सरकार के शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बन गये, इन महिलाओं ने हर स्तर पर आवेदन दिया, विरोध दर्ज कराया लेकिन पेंशन (Pension)नहीं मिली.

इन महिलाओं में से एक, सफिया बी ठीक से उम्र भी नहीं बता पातीं.8 लोग थे परिवार में कोई साथ नहीं है. गैस ने देखने की ताकत छीन ली. एक सहारा था पेंशन का वो भी बंद है. आठ महीने से पेंशन नहीं मिल रही है. ये बताती है कि बहुत परेशानी है दवा नहीं ला रहे हैं.पैदल जा नहीं सकते.

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रिश्तेदार शहजादी बताती हैं कि सफिया बी के पति नहीं हैं. पेंशन ही सहारा था वो भी खत्म हो गया. बीमार रहती हैं दवा की परेशानी है. आंखों से नहीं दिखता पहले पेंशन मिलती थी तो थोड़ा खर्चा चला लेती थीं अब वो बहुत परेशान हैं. उन्‍होंने बताया‍ कि पेंशन लेने गये थे तो कहा गया कि पेंशन बंद हो गई अब नहीं मिलेगी. राशनकार्ड धारी गैस पीड़ित विधवा महिलाओं को हर महीने पांच किलो राशन मिलता है. एक तो ये कम है, ऊपर से लाने में ये बुजुर्ग असमर्थ हैं. इनकी ये भी शिकायत है कि पेंशन बंद होने के साथ कुछ गैस पीड़ित विधवा महिलाओं की समग्र आईडी निष्क्रिय कर दी गई है, जिससे इन्हें राशन भी नहीं मिल पा रहा है. गैस पीड़ितों के लिये काम कर रही सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा कहती हैं, इससे पहले भी 2016, 2017 डेढ़ साल तक पेंशन बंद रही उस समय की पेंशन नहीं मिली. पिछले 8 महीने से फिर पेंशन बंद है. हर में कोरोना से 75 फीसदी से ज्यादा मौत गैस पीड़ितों की हुई है लेकिन सरकार को बार-बार बताने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई है. हर बार की तरह, सत्ता-विपक्ष आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं,समाधान नहीं बता रहे.

भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री विश्वास सारंग कहते हैं, 'गैस पीड़ित महिलाओं को बीजेपी के वक्त पेंशन मिलती थी, कमलनाथ ने रोक दिया हम दिखवा रहे हैं कोशिश करेंगे जल्द शुरू हो. कांग्रेस ने सिर्फ अमीरों का साथ दिया कांग्रेस ने असंवेदनशील काम किया.पेंशन रोकने का पूरा निर्णय कांग्रेस का था. दूसरी ओर, कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा, 'मैंने विधानसभा में मुख्यमंत्री से कहा था, अभी भी सरकार से कहा नाइंसाफी हो रही है.विधवा पेंशन के लिये सुप्रीम कोर्ट में पैसा रखा है तो रोकने का क्या औचित्य है. भोपाल गैस त्रासदी में 5000 से अधिक महिलाएं विधवा हुईं, अब कई पीड़ित 75-80 साल की हो चुकी हैं, 350 विधवा महिलाओं की मौत हो चुकी है. 1000 रुपये हर महीने इन्हें पेंशन मिलती है. 2011 से इन्हें ये पेंशन दी जा रही है, पहले 750 रुपये पेंशन मिलती थी.लगता है कई अहम बातों की तरह 5000 गैस पीड़ित, बुजुर्ग सरकार की प्राथमिकता में नहीं.

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