
एनडीटीवी से बात करते जीके पिल्लई
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2010 के विरोध प्रदर्शन के बाद पैलेट गन के उपयोग का फैसला हुआ : पिल्लई
ये गन भीड़ पर काबू करने के लिहाज से कम घातक हैं
पैलेट गन की वजह से ही इस बार मृतकों की संख्या 40% कम है : पिल्लई
पिल्लई कहते हैं, 'पैलेट गन के इस्तेमाल का मकसद यथासंभव 'गैर-घातक हथियारों' का ही उपयोग करना था.' वह कहते हैं, 'साल 2010 में 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे. आज 48 दिनों से जारी विरोध प्रदर्शनों में करीब 60 लोगों की मौत हुई है. हताहतों की संख्या में यह करीब 40% की गिरावट है.'
घाटी में पैलेट गन का इस्तेमाल पुलिस और सुरक्षा बलों पर हमले पर आमादा प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए किया जा रहा है. इसके छर्रों से 5000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, वहीं करीब 100 लोगों की आंखों की रौशनी चली गई.

हताहतों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही सुरक्षा बलों पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्याधिक बल के उपयोग के आरोप लग रहे हैं, वहीं सरकार ने पैलेट गन के कम से कम इस्तमाल का आदेश दिया है.
गृहमंत्री ने हालांकि अभी तक पैलेट गन के विकल्प के बारे में नहीं बताया है, लेकिन पिल्लई इस पर कहते हैं कि सुरक्षा बलों को अगर सही विकल्प नहीं मिला, तो उन्हें इन हालात में गोलियों का इस्तमाल करना पड़ सकता है और इससे 'और ज्यादा लोगों के हताहत होने की आशंका है.'
वहीं कश्मीर के सभी धड़ों के साथ 'ठोस बातचीत' के आह्वान का समर्थन करते हुए पिल्लई कहते हैं कि यह नई 'राजनीतिक शुरुआत' पहले ही की जानी चाहिए थी. वह कहते हैं, 'साल 2010 में की गई पहल- जब केंद्र ने वार्ताकार नियुक्त किया था- को आगे बढ़ाया जाना चाहिए था और वार्ताकारों के कुछ सुझावों को लागू किया जाना चाहिए था.'
पूर्व गृह सचिव यह भी कहते हैं कि हर चीज़ के लिए सिर्फ पाकिस्तान को दोष देना ठीक नहीं. वह कहते हैं, 'कश्मीर में एक अंतर्निहित भावना है, जिसे संबोधित करने की जरूरत है.'
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