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This Article is From Aug 26, 2016

कश्मीर में पैलेट गन के उपयोग को पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने बताया सही

कश्मीर में पैलेट गन के उपयोग को पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने बताया सही
एनडीटीवी से बात करते जीके पिल्लई
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
2010 के विरोध प्रदर्शन के बाद पैलेट गन के उपयोग का फैसला हुआ : पिल्लई
ये गन भीड़ पर काबू करने के लिहाज से कम घातक हैं
पैलेट गन की वजह से ही इस बार मृतकों की संख्या 40% कम है : पिल्लई
नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह जहां कश्मीर घाटी में हिंसा पर काबू पाने के लिए इस्तमाल हो रहे पैलेट गन का जल्द विकल्प तलाशने की बात कर रहे थे, वहीं पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई पैलेट गन के उपयोग को सही ठहराते हैं. साल 2010 में कश्मीर में हुए विरोध प्रदर्शनों पर काबू पाने में अहम योगदान निभाने वाले पिल्लई साथ ही कहते हैं कि घाटी में अशांति के लिए केवल पाकिस्तान को ही जिम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा.

पिल्लई कहते हैं, 'पैलेट गन के इस्तेमाल का मकसद यथासंभव 'गैर-घातक हथियारों' का ही उपयोग करना था.' वह कहते हैं, 'साल 2010 में 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे. आज 48 दिनों से जारी विरोध प्रदर्शनों में करीब 60 लोगों की मौत हुई है. हताहतों की संख्या में यह करीब 40% की गिरावट है.'

घाटी में पैलेट गन का इस्तेमाल पुलिस और सुरक्षा बलों पर हमले पर आमादा प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए किया जा रहा है. इसके छर्रों से 5000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, वहीं करीब 100 लोगों की आंखों की रौशनी चली गई.
फाइल फोटो

हताहतों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही सुरक्षा बलों पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्याधिक बल के उपयोग के आरोप लग रहे हैं, वहीं सरकार ने पैलेट गन के कम से कम इस्तमाल का आदेश दिया है.

गृहमंत्री ने हालांकि अभी तक पैलेट गन के विकल्प के बारे में नहीं बताया है, लेकिन पिल्लई इस पर कहते हैं कि सुरक्षा बलों को अगर सही विकल्प नहीं मिला, तो उन्हें इन हालात में गोलियों का इस्तमाल करना पड़ सकता है और इससे 'और ज्यादा लोगों के हताहत होने की आशंका है.'

वहीं कश्मीर के सभी धड़ों के साथ 'ठोस बातचीत' के आह्वान का समर्थन करते हुए पिल्लई कहते हैं कि यह नई 'राजनीतिक शुरुआत' पहले ही की जानी चाहिए थी. वह कहते हैं, 'साल 2010 में की गई पहल- जब केंद्र ने वार्ताकार नियुक्त किया था- को आगे बढ़ाया जाना चाहिए था और वार्ताकारों के कुछ सुझावों को लागू किया जाना चाहिए था.'

पूर्व गृह सचिव यह भी कहते हैं कि हर चीज़ के लिए सिर्फ पाकिस्तान को दोष देना ठीक नहीं. वह कहते हैं, 'कश्मीर में एक अंतर्निहित भावना है, जिसे संबोधित करने की जरूरत है.'

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