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This Article is From Aug 23, 2021

"तालिबान को स्वीकार किया, उनका समर्थन नहीं किया": पूर्व अफगान राष्ट्रपति के भाई ने कहा

Afghanistan Crisis: तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. इस बीच अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी ने कहा है कि वे तालिबान को स्वीकार किए हैं लेकिन उसका समर्थन नहीं करते.

"तालिबान को स्वीकार किया, उनका समर्थन नहीं किया": पूर्व अफगान राष्ट्रपति के भाई ने कहा
Afghan Crisis: अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी ने NDTV से बात की
नई दिल्ली:

अफगानिस्तान (Afghanistan) के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के भाई हशमत गनी (Hashmat Ghani) ने रविवार को एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि अस्थिरता से बचने के लिए उन्होंने तालिबान (Taliban) को "स्वीकार" किया था और उन्होंने परिवर्तन काल ​​​​में मदद करने के लिए देश में रहने का विकल्प चुना था, लेकिन समूह को अपना "समर्थन" नहीं दिया. गनी ने एनडीटीवी को बताया कि ये "बहुत अलग चीजें" थीं और उनकी स्वीकृति उनके देश को आगे की राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए थी.

एक प्रमुख व्यवसायी और अफगानिस्तान की खानाबदोश कोच्चि आबादी के नेता गनी ने कहा, "मैंने तालिबान को स्वीकार कर लिया है लेकिन उनका समर्थन नहीं करता ... 'समर्थन' एक बहुत मजबूत शब्द है. एक बार जब वे नियंत्रण में हो जाते हैं तो क्या होता है ... यह देखा जाना बाकी है."

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तालिबान शासन में हिंसा बढ़ सकती है? सवाल के जवाब में गनी ने कहा, "मुझे नहीं लगता, उन्होंने (तालिबान ने) अफगान व्यवसायों के प्रति शिष्टाचार दिखाया है. वे कहते हैं कि वे महिलाओं को काम करने देंगे, हम वरिष्ठ नेताओं से यह सुनते हैं. हमें उम्मीद है कि वे करेंगे."

उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान के सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण और समकालीन दुनिया के बीच "अफगान समाज में विभाजन को पाटना महत्वपूर्ण है." उन्होंने शिक्षित वर्गों को तालिबान के साथ काम करने के विचार के लिए खुला रहने का आह्वान किया.

उन्होंने कहा, "वे (तालिबान) सुरक्षा जानते हैं. वे इसे बहुत अच्छी तरह से संभाल सकते हैं, लेकिन एक सरकार सुरक्षा से अधिक है, और यही वह जगह है जहां शिक्षित वर्ग मदद कर सकते हैं. मैं वापस रुक गया ... शिक्षित और व्यापारिक समुदाय को मनाने के लिए कि वह यहां से न जाएं. .. व्यापार जगत के नेताओं का जाना विनाशकारी है."

तालिबान और अमेरिका समर्थित सरकारी बलों के बीच 20 साल का युद्ध, विदेशी सैनिकों के जाने के कारण स्थानीय खर्च में गिरावट और गिरती मुद्रा देश में आर्थिक संकट को बढ़ा रही है.

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तालिबान ने पिछले रविवार को पश्चिमी सैनिकों की वापसी के बाद 10 दिनों की अंदर काबुल पर नियंत्रण कर लिया.

गनी ने मानवाधिकारों, विशेष रूप से महिलाओं के लिए मानवाधिकारों की अनुमति देने के तालिबान के वादे को दोहराया और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एक कार्यशील सरकार बनने के बाद वरिष्ठ नेता इस पर कार्रवाई करेंगे.

उन्होंने अफगान केंद्रीय बैंक की करीब 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति को फ्रीज करने के अमेरिका के फैसले के बारे में भी बताया; उन्होंने इस कदम की आलोचना की और कहा कि इसने अफगानों को अपने देश के पुनर्निर्माण के लिए धन की पहुंच से वंचित कर दिया.

एनडीटीवी के साथ एक संक्षिप्त लेकिन व्यापक चर्चा में गनी ने यह भी कहा कि भारत के पास तालिबान के साथ "राजनीतिक संबंध बनाए रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा", जो अब तक 'वेट-एंड-वॉच' का रुख अपनाये हुए है. 

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समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक अशरफ गनी ने कहा था कि, "मुझे अफगानिस्तान से निकाल दिया गया था. मुझे अपने पैरों से चप्पल उतारने और अपने जूते पहनने तक का मौका भी नहीं मिला."

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