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अफगानिस्तान से भारत लौटे लोगों ने बयां किया दर्द. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद से अफगान के अलग-अलग शहरों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित देश लाने के कार्य में भारत सरकार मुस्तैदी से जुटी हुई है. इस क्रम में आज दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर अलग-अलग 3 फ्लाइट से अफगानिस्तान से करीब 300 लोगों को भारत लाया गया है. भारत लौटने वालों के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी. सभी 300 लोगों ने भारत आकर राहत की सांस ली है. आइये आपको बताते हैं अफगान से भारत लौटे लोगों ने क्या कहा...
अफगानिस्तान से भारत लौटे लोगों ने बयां किया खौफनाक मंजरः
- राजधानी काबुल से 168 यात्रियों को लेकर वायु सेना का विमान सी-17 ग्लोबमास्टर गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर पहुंचा. इन यात्रियों में 24 अफगान सिख हैं. इनमें दो अफगान सांसद यानी सीनेटर अनारकली और नरेंद्र सिंह खालसा भी शामिल हैं. अनारकली तालिबान के खिलाफ मुखर रहीं हैं. ज्यादातर यात्रियों का कहना है कि वे अब शायद कभी काबुल न लौटें.
- चंदन नंदी, जो पश्चिम बंगाल से हैं, काबुल में भारतीय दूतावास में काम कर रहे थे. जब शहर तालिबान के हाथों में चला गया वे मुश्किल हालात में काबुल से तजाकिस्तान पहुंचे और फिर दिल्ली. उन्होंने कहा कि काबुल के बाहर वे शहरों पर कब्जा कर रहे थे लेकिन हमने कभी उम्मीद नहीं की थी कि काबुल तालिबान के हाथों में चला जाएगा. जॉइन एयरपोर्ट की हालत बहुत खराब है. मैं उस हवाई अड्डे में प्रवेश नहीं कर सका जो मुख्य समस्या थी. काफी फायरिंग हुई, कई लोगों की मौत हो गई. मैं बहुत डरा हुआ था.
- हिमाचल प्रदेश के रहने वाले नितिन ठाकुर काबुल में डेनमार्क एम्बेसी में काम कर रहे थे. काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद तालिबानी उनकी एम्बेसी में आये लेकिन उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया. अमेरिका की सेना और डेनमार्क एम्बेसी की मदद से से वो अपने वतन पहुंचे लेकिन ये आसान नहीं था.
- शेखर गुरूंग भी काबुल में इटली एम्बेसी में काम कर रहे थे. बड़ी मुश्किल से वो काबुल एयरपोर्ट पहुंचे फिर तजाकिस्तान होते हुए दिल्ली आए. उनका कहना है वहां के हालत बहुत खराब हैं.
- दिल्ली हवाईअड्डे पर तीन अलग अलग फ्लाइट में आये लोगों को आरटीपीसीआर टेस्ट के चलते करीब 7 घण्टे का इंतज़ार करना पड़ा. इसके पहले काबुल से दिल्ली का भी सफर आसान नहीं था. दिल्ली एयरपोर्ट पर आने वाले अधिकतर वो लोग हैं जो काबुल में अलग-अलग दूतावासों में काम करते हैं.