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This Article is From Jun 04, 2016

पुलगांव आयुध डिपो में लगी उस भीषण आग के पीछे 'खराब माइंस' थी असल वजह : सूत्र

पुलगांव आयुध डिपो में लगी उस भीषण आग के पीछे 'खराब माइंस' थी असल वजह : सूत्र
इस आग में 19 लोगों की मौत हो गई जिसमें अफ़सर और जवान भी शामिल थे...
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पुलगांव में केंद्रीय आयुध डिपो में लगी आग के बारे में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो यह आग खराब माइंस के चलते लगी। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या लगातार दी गई चेतावनी को नजरअंदाज किया गया?  NDTV को सेना के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लगातार शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई थी।

वर्धा के पास सेना के पुलगांव हथियार डिपो में लगी आग की वजह अब तक साफ़ नहीं है लेकिन NDTV को सूत्रों से जानकारी मिली है कि वहां पड़े डिफ़ेक्टिव साज़ो-सामान की वजह से यह आग लगी।

सेना के वरिष्ठ पदों पर बैठे सूत्रों ने एनडीटीवी को इस बाबत यह जानकारी दी :
-चंद्रा ऑर्डिनेंस डिपो में तैयार की गई इन माइंस में शुरू से ही समस्या थी...
-2009-10 में जब 80,000 माइंस डिलीवर किए तभी उनकी फाइबर केसिंग उखड़ने लगी थी और टीएनटी निकलने लगा था...
-सेना ने ऑर्डिनेंस फैक्टरी और रक्षा उत्पादन विभाग को कम से कम 20 चिट्ठियां लिखीं और इसके ख़तरे बताए...
-2009 में ऑर्डिनेंस फैक्टरी के विशेषज्ञों ने डिपो का दौरा किया, माइंस की मरम्मत का वादा किया, मगर कोई हल नहीं निकला...

वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, भारतीय सेना बार-बार बोलती रही मगर इन ख़तरनाक माइंस को नष्ट करने का फैसला भी नहीं लिया जा सका क्योंकि इसकी वजह से करोड़ों की रक़म स्वाहा हो जाती।

सेना के पास नहीं मंज़ूरी के बिना ख़राब हथियार नष्ट करने का अधिकार
ऑर्डिनेंस कॉर्प्स के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप भल्ला (रिटायर्ड)  के मुताबिक, एक बार वहां विस्फोट होने से पुलगांव का तापमान 45 से 50 डिग्री तक पहुंच जाता है। ज़्यादा तापमान बढ़ जाने से आग लगने का भी ख़तरा बढ़ जाता है।

सेना के पास सरकार की मंज़ूरी के बिना ख़राब हथियार नष्ट करने का अधिकार भी नहीं है। दुखद यह भी है कि तमाम शिकायतों और चेतावनियों के बावजूद ऐसे ही ख़राब हथियार सेना के दूसरे डिपो में भी हैं जहां कभी भी कोई हादसा हो सकता है।

क्या हुआ था उस दिन...
महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पुलगांव में केंद्रीय आयुध डिपो में आग लग गई थी जिसमें झुलसकर 15 डीएससी जवानों और सेना के दो अधिकारियों की मौत हो गई जबकि 19 लोग घायल हुए थे। दमकलकर्मियों को आग पर काबू पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी और वहां काफी देर तक रुक-रुक कर धमाके होते रहे।

 

 

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