
पटना साहिब से बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
देश भर में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के फैसले को लेकर कराए गए सर्वे के बाद भले ही बताया गया कि 90 फीसदी जनता नोटबंदी को सही मानती है, लेकिन बीजेपी के ही सांसद शत्रुघ्न सिन्हा इससे सहमत नहीं. पटना साहिब सीट से पार्टी के सांसद शत्रुघ्न ने नोटबंदी को लेकर कराए गए सर्वे पर सवाल उठाए हैं.
शत्रुघ्न ने अपने ट्वीट में नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला और लिखा, 'मूर्खों की दुनिया में जीना बंद करें. ये मनगढ़ंत कहानियां और सर्वे निहित स्वार्थों के लिए किया गया है.'
पूर्व बॉलीवुड अभिनेता ने एक और ट्वीट में कहा, 'इस मुद्दे की गहराई में जाएं. गरीबों और शुभेच्छुओं, मतदाताओं, समर्थकों और महिलाओं के तकलीफ़ को समझना चाहिए.'
पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर रखने वाले शत्रुघ्न ने साथ ही एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'बुरे वक्त के लिए इकट्ठा की गई माताओं और बहनों की गाढ़ी कमाई की तुलना काले धन से नहीं की जानी चाहिए.'
बता दें कि प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी ऐप पर नोटबंदी को लेकर देशवासियों से उनकी राय मांगी थी. ऐप पर एक सर्वे में हिस्सा लेना था और 10 सवालों के जवाब देने थे. इस सर्वे के नतीजे बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर जारी किए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सर्वेक्षण के नतीजों के साथ ट्वीट कर कहा, 'मैं इस सर्वेक्षण में ऐतिहासिक भागीदारी के लिए लोगों को धन्यवाद देता हूं. गहन विचारों और टिप्पणियों को पढ़ना संतोषजनक है'.
प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर एकाउंट पर अपने लेख का लिंक साझा करते हुए कहा, 'ऐप सर्वेक्षण को अप्रत्याशित प्रतिक्रिया मिली. रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने अपने विचार साझा किए'.
इस सर्वेक्षण का परिणाम आईटी एवं दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार शाम मंत्रिमंडल की बैठक में पढ़ा, जिस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे 'लोगों का मूड पता चलता है. इस सर्वेक्षण के महज 24 घंटों में पांच लाख से अधिक लोगों ने भागीदारी की और अपने विचार रखे. यह किसी भी लिहाज से काफी बड़ी संख्या है. भारत में ऐसी नीति या राजनीतिक मुद्दों पर कोई जनमत सर्वेक्षण नहीं किया गया'. इस सर्वेक्षण में महज दो प्रतिशत लोगों ने सरकार की विमुद्रीकरण की पहल को 'बहुत खराब' करार दिया.
शत्रुघ्न ने अपने ट्वीट में नाम लिए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला और लिखा, 'मूर्खों की दुनिया में जीना बंद करें. ये मनगढ़ंत कहानियां और सर्वे निहित स्वार्थों के लिए किया गया है.'
Let's stop living in a fools' paradise and getting carried away by planted stories & surveys conducted by vested interests. Get into the....
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) November 23, 2016
पूर्व बॉलीवुड अभिनेता ने एक और ट्वीट में कहा, 'इस मुद्दे की गहराई में जाएं. गरीबों और शुभेच्छुओं, मतदाताओं, समर्थकों और महिलाओं के तकलीफ़ को समझना चाहिए.'
..depth of the subject. Must understand the pain of the poor, suffering, well wishers, voters, supporters & women. Hard earned &....
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) November 23, 2016
पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर रखने वाले शत्रुघ्न ने साथ ही एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'बुरे वक्त के लिए इकट्ठा की गई माताओं और बहनों की गाढ़ी कमाई की तुलना काले धन से नहीं की जानी चाहिए.'
...well Intentioned savings over many years of our mothers & sisters for emergency can't be equated with black money.
— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) November 23, 2016
बता दें कि प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी ऐप पर नोटबंदी को लेकर देशवासियों से उनकी राय मांगी थी. ऐप पर एक सर्वे में हिस्सा लेना था और 10 सवालों के जवाब देने थे. इस सर्वे के नतीजे बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर जारी किए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सर्वेक्षण के नतीजों के साथ ट्वीट कर कहा, 'मैं इस सर्वेक्षण में ऐतिहासिक भागीदारी के लिए लोगों को धन्यवाद देता हूं. गहन विचारों और टिप्पणियों को पढ़ना संतोषजनक है'.
I thank people for the historic participation in the survey. Its satisfying to read the insightful views & comments. https://t.co/xf14LEiQHT pic.twitter.com/cGSBPlCnE5
— Narendra Modi (@narendramodi) November 23, 2016
प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर एकाउंट पर अपने लेख का लिंक साझा करते हुए कहा, 'ऐप सर्वेक्षण को अप्रत्याशित प्रतिक्रिया मिली. रिकॉर्ड संख्या में लोगों ने अपने विचार साझा किए'.
इस सर्वेक्षण का परिणाम आईटी एवं दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार शाम मंत्रिमंडल की बैठक में पढ़ा, जिस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे 'लोगों का मूड पता चलता है. इस सर्वेक्षण के महज 24 घंटों में पांच लाख से अधिक लोगों ने भागीदारी की और अपने विचार रखे. यह किसी भी लिहाज से काफी बड़ी संख्या है. भारत में ऐसी नीति या राजनीतिक मुद्दों पर कोई जनमत सर्वेक्षण नहीं किया गया'. इस सर्वेक्षण में महज दो प्रतिशत लोगों ने सरकार की विमुद्रीकरण की पहल को 'बहुत खराब' करार दिया.
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