सूत्रों के मुताबिक दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़े एक घोटाले के मामले में एफआईआर दर्ज की जाएगी।
2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान दिल्ली में स्ट्रीट लाइट की खरीद हुई थी, जिसमें घोटाला सामने आया था। आरोप है कि बाजार दाम से अधिक मूल्य पर ये लाइटें खरीदी गईं थीं। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि एमसीडी अधिकारियों के खिलाफ भी एफआईर दर्ज होगी। दिल्ली सरकार के कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने कहा, हम राष्ट्रमंडल खेल (सीडब्ल्यूजी) परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के सभी मामलों की गहन जांच सुनिश्चित करेंगे।
केजरीवाल ने कथित रूप से आज एंटी-करप्शन ब्यूरो को निर्देश दिया कि ऊंची कीमतों पर स्ट्रीट लाइटों की खरीद में शीला दीक्षित की कथित भूमिका की जांच की जाए। सीएजी जांच और इस आयोजन की जांच के लिए बनी शुंगलू कमिटी की रिपोर्ट के बाद यह कथित घोटाला सामने आया था। दीक्षित पर आरोप लगा था कि उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले दिल्ली की सड़कों पर आयातित लाइटें लगवाने में सरकारी खजाने को 31 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया।
सूत्रों के मुताबिक मनीष सिसौदिया ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस बारे में रिपोर्ट सौंपी है, जिस पर मुख्यमंत्री ने केस दर्ज करने का निर्देश दिया है। अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा के चुनाव प्रचार के वक्त से कहते आ रहे हैं कि वह शीला दीक्षित के खिलाफ जांच बिठाएंगे।
इसके अलावा एक अन्य मामले में दिल्ली की निचली अदालत ने पिछले साल शीला दीक्षित पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे, लेकिन तत्कालीन दिल्ली सरकार ने इसका विरोध करते हुए इस पर दिल्ली हाइकोर्ट में अपील कर स्टे ले लिया था। यह मामला 11 करोड़ के सरकारी विज्ञापनों से जुड़ा हुआ है, जिसे लेकर 2008 में शीला के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले विजेंद्र गुप्ता ने शिकायत की थी।
विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया था कि सरकारी खर्चे से शीला दीक्षित ने चुनावी फायदे के लिए अपने लिए विज्ञापन छपवाए। अब मौजूदा सरकार पूर्व सरकार से यू-टर्न लेते हुए इस मामले में हाइकोर्ट में दायर अपील वापस लेगी, जिससे पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर एफआईआर दर्ज हो सकती है।
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