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This Article is From Feb 24, 2015

मध्य प्रदेश में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा घोटाले में राज्यपाल के खिलाफ केस दर्ज

मध्य प्रदेश में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा घोटाले में राज्यपाल के खिलाफ केस दर्ज
फाइल फोटो
भोपाल:

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित करोड़ो रुपये के व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले में कथित रूप से नाम आने पर आखिरकार विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने आज राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली।

एसटीएफ के एक उच्चाधिकारी ने बताया, 'राज्यपाल के खिलाफ प्राथमिकी व्यापम द्वारा वर्ष 2013 में आयोजित वन रक्षक परीक्षा मामले में दर्ज की गई है। यादव के खिलाफ आज शाम लगभग सवा पांच बजे प्राथमिकी दर्ज की गई।' उन्होंने बताया कि राज्यपाल के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने वन रक्षक परीक्षा में पांच उम्मीदवारों की व्यापमं अधिकारियों से सिफारिश की थी।

अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 एवं भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा, 'इस मामले में बरामद किए गए सभी दस्तावेजों की गहरी छानबीन के बाद ही राज्यपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।'

मीडिया में आज सुबह से ही इस बात की अटकलें लगाई जा रहीं थी कि राज्यपाल के खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है। हालांकि प्राथमिकी राज्य विधानसभा में राज्यपाल का अभिभाषण समाप्त होने के तुरंत बाद दर्ज की गई।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा एसटीएफ की जांच पर निगरानी के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने कोर्ट के आदेश के बाद एसईएफ को इस मामले में अति विशिष्ठ व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था। अदालत ने 20 फरवरी को यह मामला सामने आने पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर तथा न्यायमूर्ति आलोक अराधे की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि एसआईटी अति विशिष्ट व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई को स्वतंत्र है।

जांच एजेंसी के समक्ष राज्यपाल का नाम इस घोटाले में उस समय सामने आया था जब उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) धनराज यादव को पीएमटी भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया गया। यादव अभी जेल में हैं।

एसटीएफ ने बाद में भोपाल की एक अदालत में पेश पूरक चालान में संविदा शाला शिक्षक भर्ती मामले में राज्यपाल के पुत्र शैलेष यादव का नाम उजागर किया था।

व्यापम घोटाले में राज्यपाल की भूमिका सामने आने के बाद से ही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस उनके इस्तीफे की मांग कर रही है। कांग्रेस ने राज्य विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार भी किया था।

इस बीच न्यायविदों की राय है कि एसटीएफ द्वारा राज्यपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है, जबकि उनके खिलाफ आरोपपत्र पेश करने के लिए राष्ट्रपति से अनुमति लेनी पड़ेगी।

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