नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों (Farmers Protest) ने शनिवार को ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल को 24 घंटे के लिए बंद कर दिया, जिससे यात्रियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. आवागमन के देश के सबसे तेज ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे पर शनिवार को किसान खाट लगाकर विरोध करते दिख रहे थे. कृषि कानूनों के खिलाफ बीते चार महीने से आंदोलन कर रहे किसानों ने इस एक्सप्रेस-वे को 24 घंटे के लिए बंद कर दिया था. एक्सप्रेस-वे बंद करने से हजारों यात्री और ट्रक के पहिए थम गए. किसानों का कहना है कि चार महीने से किसान सड़क पर होने के बावजूद सरकार बातचीत तक नहीं कर रही है.
किसान संघर्ष समिति के प्रवक्ता जगतार बाजवा ने कहा कि लोगों को जरुर दिक्कत हो रही होगी लेकिन किसानों की सोचिए, कितनी दिक्कत हो रही है, जब वो खेत छोड़कर सड़कों पर बैठे हैं. गेहूं की कटाई और पंचायत चुनाव के चलते किसानों की तादात घटी है लेकिन अब भी हजारों किसान सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. सरकार के साथ बातचीत बंद होने के चलते अब किसान नेता मई में इस आंदोलन को और तेज करने की रुपरेखा बना रहे हैं.
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किसानों ने कहा कि मई में वे फिर हजारों की तादाद में दिल्ली पहुंचेंगे, तब सरकार के होश ठिकाने आएंगे. सरकार का एक तबका किसानों से बातचीत करने के पक्ष में नहीं है और किसान आंदोलन का क्या भविष्य होगा, किसी को नहीं पता है लेकिन किसान नेता ये जरुर मानते हैं कि ये आंदोलन अंधेरी गुफा में है, जहां फिलहाल कोई रोशनी नजर नहीं आ रही है.
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