महाराष्ट्र के जलगांव में ना बुवाई होगी और ना ही कटाई, क्योंकि यहां के किसान हड़ताल पर हैं। सुनने में ये बात अजीब लगे, लेकिन महाराष्ट्र में 500 से ज्यादा किसानों ने ये फैसला किया है।
जलगांव जिले के काणलदा, नांद्रा, तिलखेड़ा, चौखेड़ा गांव के लगभग 500 किसानों ने हड़ताल पर जाने से पहले बाकायदा जिले की कलेक्टर रूबल अग्रवाल को अर्जी भी दी। जिलाधिकारी ने एनडीटीवी को बताया 'हमारे पास किसान आए थे, उन्होंने कहा कि वह खेती का काम नहीं करेंगे, मैंने उन्हें बताया है कि प्रशासन जल्द से जल्द अनुदान दिलाने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहा है और वह हर कदम पर किसानों के साथ है।'
लेकिन नाराज किसान फिलहाल बुवाई के मूड में नहीं हैं। उनका साफ कहना है कि 'सरकार हमारी और ध्यान नहीं देती इसलिए हम किसानों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया। उनका यह भी कहना है कि किसानों को फसल के लिए लगने वाली मूलभूत सुविधा भी नहीं मिलती है, न तो पानी है, ना बिजली और ना ही रास्ता, सरकार सिर्फ मदद का भरोसा देती है, मदद नहीं।'
किसानों की मांग है कि जिस दिन उनकी फसल को नुकसान होता है, प्रशासन उसी दिन पंचनामा करे, जो अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते उन्हें फौरन निलंबित किया जाए, ओला वृष्टि से हुए नुकसान का मुआवज़ा उन्हें तत्काल दिया जाए।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही मार्च-अप्रैल में महाराष्ट्र के कई इलाकों में ओला और बरसात से 3.5 लाख हेक्टेयर में लगी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई थीं, जबकि एक लाख हेक्टेयर पर आंशिक नुकसान हुआ। तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार ने खुद नुकसान का जायज़ा लिया था, लेकिन आचार संहिता लागू होने की वजह से किसानों को तत्काल मुआवज़ा नहीं मिल पाया था। अब खेत मॉनसून का मुंह तक रहे हैं, लेकिन किसानों को कोई सरकारी राहत नसीब नहीं हुई है।
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