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This Article is From Sep 08, 2017

मैंने प्रधानमंत्री को गुंडा नहीं कहा: रवीश कुमार

दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकारों की एक सभा में रवीश कुमार के संबोधन पर सोशल मीडिया जगत में फेक न्यूज की बाढ़ आई हुई है.

मैंने प्रधानमंत्री को गुंडा नहीं कहा: रवीश कुमार
फेक न्यूज पर रवीश कुमार ने दिया जवाब. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: बेंगलुरु में वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के विरोध में दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित की गई पत्रकारों की एक सभा में एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार के संबोधन पर सोशल मीडिया जगत में फेक न्यूज की बाढ़ आई हुई है. कुछ लोगों ने उनके भाषण के गलत अर्थ निकाल कर उनके खिलाफ एक तरह का अभियान चलाया है. ख़ास बात यह है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह भी इन फेक न्यूज के भंवर में फंस गए और सोशल मीडिया पर फैलाए जा रही फर्जी पोस्टों पर अपनी सहमति जताते हुए उसे शेयर भी कर दिया. हालांकि सच्चाई जानने के बाद उन्होंने माफी भी मांगी. 
इन फेक न्यूजों में रवीश कुमार के नाम से एक स्टेटमेंट जारी किया गया है जिसमें रवीश द्वारा प्रधानमंत्री को 'गुंडा' बताया जा रहा है, जबकि प्रेस क्लब में दिए गए भाषण से लेकर आज तक उनके सभी स्टेटमेंट्स, सभी बुलेटिन और सभी निजी पोस्ट सोशल मीडिया पर हैं, जिनमें कहीं भी कुछ भी ऐसा नहीं है, जैसा कि प्रसारित और प्रचारित किया जा रहा है.

यहां पर रवीश कुमार द्वारा प्रेस क्लब में दिए भाषण को फिर से सुना जा सकता है-


सोशल मीडिया पर रवीश कुमार के खिलाफ चलाए जा रहे फेक न्यूज़ के जाल पर रवीश का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री की आलोचना की है और किसी भी नेता के कार्यों की आलोचना की जानी चाहिए, यही एक स्वस्थ्य लोकतंत्र को परिभाषित करता है.

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रवीश कुमार ने आज फेसबुक पर अपने पेज पर इस पर लिखा भी है कि अफ़वाहों का तंत्र इतना व्यापक हो चुका है कि खंडन का भी मतलब नहीं रह गया है. पैटर्न यह है कि आपकी जो बात सत्ता को चुभ रही हो, उसी के समानांतर एक नई बात की छवि तैयार की जाए जिससे चुभ कर लोग आपसे नाराज़ हों. ज़ाहिर है ऐसा बोला नहीं है वरना वीडियो होता. भाई लोग मेरे नाम से चला रहे होते कि मैंने प्रधानमंत्री को गुंडा बोला है. मैंने ऐसा बोला ही नहीं है. पर उससे किसी को क्या. व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी के कबाड़ में ठेले जाओ. सो भाई लोग ठेल रहे हैं.

VIDEO: मैंने प्रधानमंत्री की आलोचना की है और आलोचना की जानी चाहिए: रवीश कुमार

उन्होंने लिखा है, 'पैटर्न इसलिए है ताकि पाठक' कुतिया कुत्ते की मौत मर गई' वाक्य और उसे कहने वाले समाज पर अपनी जायज़ प्रतिक्रिया भूल मुझे लेकर व्यस्त हो जाए. याद है एक बार प्रधानमंत्री ने कहा था कि मीडिया हेडलाइन बनाता है कि बीएमडब्ल्यू कार ने दलित को कुचला. कार को क्या पता कि दलित को कुचला. लोगों को लगा कि सही बात है मगर ये इमेज की मिक्सिंग थी. मैंने इस बारे में कस्बा पर लिखा था. दो अलग अलग घटनाओं की रिपोर्टिंग को मिलाकर एक नया तथ्य गढ़ा गया जो झूठ था.'


रवीश कुमार आगे लिखते हैं, 'बीएमडब्ल्यू कार की दुर्घटना की रिपोर्टिंग में कभी दलित लिखा ही नहीं गया. ज़रूर जहां दलित को घोड़े पर नहीं चढ़ने दिया गया वहां, दलित नहीं लिखेंगे तो क्या करेंगे. जाति के कारण वो शिकार हुआ तो जाति ही लिखेंगे या सिर्फ नाम. इसलिए कि दुनिया को पता न चले?

इसिलए ऐसे बयान दिए जाते हैं ताकि यह कहने की गुज़ाइश बची रहे कि आप बात को समझ नहीं रहे. 'मगर मेरा मतलब वो नहीं था' की आड़ में इमेज के सहारे तर्क गढ़ने की कोशिश की गई. ये एक मनोवैज्ञानिक रणनीति के तहत होता है.

यही कोशिश मेरे नाम से प्रधानमंत्री को गुंडा कहना जोड़कर की जा रही है. पहले किसी ने यू ट्यूब पर मेरे ही भाषण का कैप्शन लगाया और अब व्हाट्स अप पर इसे चलाया जा रहा है. मैंने आनलाइन जगत के एक हिस्से को गुंडा और हत्यारा ज़रूर कहा है. प्रधानमंत्री के लिए कभी ऐसे शब्द का इस्तमाल नहीं किया है. जो भी मुझे बदनाम के करने के लिए ऐसा कर रहा है वह लोगों को प्रधानमंत्री को देखने का एक नज़रिया दे रहा है. उनका अपमान कर रहा है. मैंने इस तरह के काम करने वालों को गुंडा कहा है, अभी भी कह रहा हूं न कि प्रधानमंत्री को.

प्लीज़ भाई लोग, नेताओं के इतने भी काम मत आओ. समझो तुमसे झूठ फैलवा कर तुम्हारा यूज़ कर रहे हैं. तुम उनके लिए 'यूज़ एंड थ्रो' क़लम से ज़्यादा कुछ भी नहीं. जब इस्तमाल के बाद फेंक दिए जाओगे तो वही मिलोगे जहां तुम्हारा फैलाया हुआ कचरा जमा होता है. लगता है आई टी सेल से हमला हुआ है.'

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