
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की फाइल फोटो
मुम्बई:
महाराष्ट्र बीजेपी 206 करोड़ रुपये के एकात्मिक बाल विकास योजना में कथित घोटाले के आरोपों से घिरी महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे को नहीं हटाएगी, लेकिन सत्ता में उसकी सहयोगी शिवसेना एक के बाद एक महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों पर विवाद खड़े होने के बाद खुद अपनी सरकार पर चुटकी ले रही है, निशाने पर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी हैं।
दो दिन भायंदर के उत्तन में स्थित राम भाऊ म्हालगी प्रबोधनी में आरएसएस बीजेपी नेताओं के बीच सालाना चिंतन के बाद, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राव साहेब दानवे ने कहा, 'पंकजा मुंडे ने जो ख़रीदी की है वो पिछली सरकार के तरीके से फरवरी में की गई थी, लेकिन अप्रैल से सरकार ने ये फैसला किया है कि आगे से जो भी खरीदारी होगी वो ई टेंडर से ही की जाएगी।'
पंकजा मुंडे के ख़िलाफ सबसे पहले मोर्चा कांग्रेस ने खोला था, लेकिन सत्ता में उसकी सहयोगी शिवसेना भी अपने मुखपत्र सामने के जरिये उसके सामने खड़ी है।
सामना में सीधे मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को निशाना बनाते हुए लिखा गया है, 'मंत्रियों पर आरोपों की बौछार ने सीएम की नाक में दम कर रखा है, शोध का विषय है कि एक साल में इतने पटाखे कैसे फूटने लगे? तावड़े ने कुछ ग़लत नहीं किया, ये फ़ैसला देकर सीएम मुक्त हो गए। काग़ज़ी डिग्रियों से सत्ता का उत्तम संचालन नहीं होता। पहले बबनराव और अब तावड़े की डिग्री का मामला उछला कैसे? मंत्रियों को मुश्किल में लानेवाले नज़दीक के लोग ही होने चाहिए! पंकजा, तावड़े पर अंकुश लगाने की राजनीति खेली गई। सीएम इतने सक्षम हैं कि लाख आरोपों के बावजूद हार नहीं मानेंगे, बिना थके-हारे अपने मंत्रियों को बचाएंगे मुख्यमंत्री।'
उधर पंकजा मुंडे के मामले को एंटी करप्शन ब्यूरो तक ले जाने वाले कांग्रेसी नेता का आरोप है कि उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं। बीजेपी दूसरों से तो घिरी ही है, अपने भी उसपर आरोपों की बौछार लगा रहे हैं, शिवसेना से रिश्ते सुधारने के लिए समन्व्य समिति बनाई तो गई थी, लेकिन ऐसे बयान देखकर लगता है समिति को भी फिलहाल और समन्वय की ज़रूरत है।
दो दिन भायंदर के उत्तन में स्थित राम भाऊ म्हालगी प्रबोधनी में आरएसएस बीजेपी नेताओं के बीच सालाना चिंतन के बाद, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राव साहेब दानवे ने कहा, 'पंकजा मुंडे ने जो ख़रीदी की है वो पिछली सरकार के तरीके से फरवरी में की गई थी, लेकिन अप्रैल से सरकार ने ये फैसला किया है कि आगे से जो भी खरीदारी होगी वो ई टेंडर से ही की जाएगी।'
पंकजा मुंडे के ख़िलाफ सबसे पहले मोर्चा कांग्रेस ने खोला था, लेकिन सत्ता में उसकी सहयोगी शिवसेना भी अपने मुखपत्र सामने के जरिये उसके सामने खड़ी है।
सामना में सीधे मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को निशाना बनाते हुए लिखा गया है, 'मंत्रियों पर आरोपों की बौछार ने सीएम की नाक में दम कर रखा है, शोध का विषय है कि एक साल में इतने पटाखे कैसे फूटने लगे? तावड़े ने कुछ ग़लत नहीं किया, ये फ़ैसला देकर सीएम मुक्त हो गए। काग़ज़ी डिग्रियों से सत्ता का उत्तम संचालन नहीं होता। पहले बबनराव और अब तावड़े की डिग्री का मामला उछला कैसे? मंत्रियों को मुश्किल में लानेवाले नज़दीक के लोग ही होने चाहिए! पंकजा, तावड़े पर अंकुश लगाने की राजनीति खेली गई। सीएम इतने सक्षम हैं कि लाख आरोपों के बावजूद हार नहीं मानेंगे, बिना थके-हारे अपने मंत्रियों को बचाएंगे मुख्यमंत्री।'
उधर पंकजा मुंडे के मामले को एंटी करप्शन ब्यूरो तक ले जाने वाले कांग्रेसी नेता का आरोप है कि उन्हें धमकी भरे फोन आ रहे हैं। बीजेपी दूसरों से तो घिरी ही है, अपने भी उसपर आरोपों की बौछार लगा रहे हैं, शिवसेना से रिश्ते सुधारने के लिए समन्व्य समिति बनाई तो गई थी, लेकिन ऐसे बयान देखकर लगता है समिति को भी फिलहाल और समन्वय की ज़रूरत है।
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