प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
फेसबुक के 5 करोड़ यूज़र्स के डेटा लीक से उठा तूफ़ान भारत भी पहुंच गया है. इस डेटा लीक के लिए ज़िम्मेदार कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका के बारे में कहा जा रहा है कि उसे भारत में भी चुनावों से जोड़ने की तैयारी है. कैंब्रिज एनालिटिका का चुनावों से पुराना इतिहास रहा है. यह वही कंपनी है जिसे ट्रंप के चुनाव प्रचार में शामिल किया गया था. इतना ही नहीं यह कंपनी ब्रेग्ज़िट के समय यूरोपियन यूनियन छोड़ने की मुहिम में भी शामिल रही थी. भारत के फेसबुक उपयोग कर्ता से जुड़े डाटा लीक मामले में अब कांग्रेस और बीजेपी के बीच में घमासान छिड़ गया है. बुधवार दोपहर टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सीधे कांग्रेस से पूछा कि फेसबुक लीक से बदनाम हुई कंपनी कैब्रिज एनालिटिका से उसका क्या रिश्ता रहा है. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मैं कानून और आईटी मंत्री के तौर पर कह रहा हूँ - सोशल मीडिया जिसमें फ़ेसबुक शामिल है, का दुरुपयोग कर चुनावों को प्रभावित करने को न तो हम टॉलरेट करेंगे और न ही अलाउ करेंगे. फेसबुक यह बात नोट कर ले. अगर जरूरत पड़ी तो सख्त कार्रवाई करेंगे.
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कांग्रेस इसका उपयोग क्यों कर रही है? कांग्रेस का कैंब्रिज एनालिटिका से प्रेम क्यों है?. हालांकि कांग्रेस ने दो टूक शब्दों में इस बात का खंडन किया है. पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने साफ किया कि कांग्रेस का कैंब्रिज एनालिटिका से कभी कोई संबंध नहीं रहा है. यही नहीं कांग्रेस ने अपनी मीडिया ब्रीफिंग में बीजेपी पर ही इल्ज़ाम लगाया कि उसने 2010 में कैंब्रिज एनालिटिका की मदद ली. इसके लिए उसने कंपनी की ही दी गई जानकारी पेश की. वहीं कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी का कहना है कि 2010 में बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान हमें चुनावी विश्लेषण करने को कहा गया. हमें वोटों का रुझान देखना था और 15 साल के पिछले शासन से वोटरों की हताशा समझनी थी. हमारे क्लायंट को 90 फ़ीसदी से ज़्यादा सीटें मिलीं. ये दिलचस्प है कि बुधवार सुबह तक ओबीआई की साइट पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों के निशान थे, मगर शाम होते-होते साइट बंद मिली.
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वैसे कैंब्रिज एनालिटिका की मूल कंपनी Strategic Communication Laboratories भारत में सक्रिय रही है और इनके साथ जुड़े अमरीश त्यागी बताते हैं कि उन लोगों ने कई चुनावों में कांग्रेस ही नहीं, बीजेपी और जेडीयू के लिए भी काम किया है. इस दौरान भारत में कभी फेसबुक डेटा का इस्तेमाल नहीं किया. ओबीआई के प्रमुख अमरीश त्यागी ने एनडीटीवी से कहा कि मैंने 2012 के यूपी विधान सभा चुनावों के दौरान बीजेपी के लिए काम किया. 2011-12 के दौरान झारखंड में यूथ कांग्रेस के लिए काम किया.फिर 2015 में बिहार चुनावों के दौरान जेडी-यू के लिए काम किया.मैंने स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए भी काम किया है और न्यूज़ चैनलों के लिए ओपिनियन पोल भी किया है. इन सब के बीच दुनियाभर में फेसबुक के करोड़ों एकाउंट होल्डरों से जुड़ी व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी लीक होने के मामले को लेकर संसद में भी चिंता बढ़ती जा रही है.
VIDEO: डाटा लीक मामले में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू.
कुछ सांसद मानते हैं कि सोशल मीडिया डेटा चौरी करने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने के लिए बेहद ज़रूरी है कि सरकार नया कानून बनाने पर गंभीरता से विचार करे. एनसीपी के नेता तारिक अनवर ने एनडीटीवी से कहा कि आधार की तरह अब सोशल मीडिया से डाटा चोरी के मामले गंभीर सामने आ रहे हैं.और सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने के लिए नया कानून बनाने पर विचार करना चाहिए.
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कांग्रेस इसका उपयोग क्यों कर रही है? कांग्रेस का कैंब्रिज एनालिटिका से प्रेम क्यों है?. हालांकि कांग्रेस ने दो टूक शब्दों में इस बात का खंडन किया है. पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने साफ किया कि कांग्रेस का कैंब्रिज एनालिटिका से कभी कोई संबंध नहीं रहा है. यही नहीं कांग्रेस ने अपनी मीडिया ब्रीफिंग में बीजेपी पर ही इल्ज़ाम लगाया कि उसने 2010 में कैंब्रिज एनालिटिका की मदद ली. इसके लिए उसने कंपनी की ही दी गई जानकारी पेश की. वहीं कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी का कहना है कि 2010 में बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान हमें चुनावी विश्लेषण करने को कहा गया. हमें वोटों का रुझान देखना था और 15 साल के पिछले शासन से वोटरों की हताशा समझनी थी. हमारे क्लायंट को 90 फ़ीसदी से ज़्यादा सीटें मिलीं. ये दिलचस्प है कि बुधवार सुबह तक ओबीआई की साइट पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों के निशान थे, मगर शाम होते-होते साइट बंद मिली.
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वैसे कैंब्रिज एनालिटिका की मूल कंपनी Strategic Communication Laboratories भारत में सक्रिय रही है और इनके साथ जुड़े अमरीश त्यागी बताते हैं कि उन लोगों ने कई चुनावों में कांग्रेस ही नहीं, बीजेपी और जेडीयू के लिए भी काम किया है. इस दौरान भारत में कभी फेसबुक डेटा का इस्तेमाल नहीं किया. ओबीआई के प्रमुख अमरीश त्यागी ने एनडीटीवी से कहा कि मैंने 2012 के यूपी विधान सभा चुनावों के दौरान बीजेपी के लिए काम किया. 2011-12 के दौरान झारखंड में यूथ कांग्रेस के लिए काम किया.फिर 2015 में बिहार चुनावों के दौरान जेडी-यू के लिए काम किया.मैंने स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए भी काम किया है और न्यूज़ चैनलों के लिए ओपिनियन पोल भी किया है. इन सब के बीच दुनियाभर में फेसबुक के करोड़ों एकाउंट होल्डरों से जुड़ी व्यक्तिगत और गोपनीय जानकारी लीक होने के मामले को लेकर संसद में भी चिंता बढ़ती जा रही है.
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कुछ सांसद मानते हैं कि सोशल मीडिया डेटा चौरी करने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने के लिए बेहद ज़रूरी है कि सरकार नया कानून बनाने पर गंभीरता से विचार करे. एनसीपी के नेता तारिक अनवर ने एनडीटीवी से कहा कि आधार की तरह अब सोशल मीडिया से डाटा चोरी के मामले गंभीर सामने आ रहे हैं.और सरकार को दोषियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने के लिए नया कानून बनाने पर विचार करना चाहिए.
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