प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
पुश्तैनी गहनों पर आयकर वसूलने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. वित्त मंत्रालय के इस स्पष्टीकरण के बाद ये सवाल उठ रहा है कि ये कैसे साबित होगा कि किसी के पास मिले गहने पुश्तैनी हैं? जानकारों का कहना है कि सरकार को अपने नियम-क़ायदे बदलने की ज़रूरत है.
आयकर छापों में मिलने वाले सोने पर विवाहित महिलाओं को 500 ग्राम, अविवाहित महिलाओं को 250 ग्राम और पुरुषों को 100 ग्राम सोना रखने की छूट के नियम में बदलाव की ज़रूरत है- ये जानकारों का कहना है. उनके मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में लोग काला धन छुपाने के लिए सोने की ईंट या बिस्किट ख़रीदते रहे हैं.
ब्लैक मनी विशेषज्ञ और जेएनयू में प्रोफेसर रहे अरुण कुमार ने एनडीटीवी से कहा, 'नियमों में बदलाव ज़रूरी होगा. गहनों से ज़्यादा बड़ी समस्या है किसी भी व्यक्ति द्वारा स्टॉक किया गया सोना...ईंट या बिस्कुट के फॉर्म में. नियमों में ये साफ करना ज़रूरी होगा कि गहने अलग हैं और रॉ फार्म में स्टॉक किया गया गोल्ड अलग...इनको अलग से देखना होगा.'
गहनों पर टैक्स : सरकार के नए आदेश से महिलाओं के सामने कई सवाल
सरकार के मौजूदा कायदे का सबसे बड़ा संकट ये है कि लोग कैसे साबित करेंगे कि जो सोना उनके पास है वो पुश्तैनी है. और पुश्तैनी होने की कसौटी क्या है? क्या दस साल पुराना सोना पुश्तैनी माना जाएगा? अरुण कुमार कहते हैं, 'ये साबित करना मुश्किल होगा कि सोना कब खरीदा गया. वो पुश्तैनी है या अपनी आमदनी से खरीदा गया? परिवार में सोना का हिसाब देना मुश्किल होता है. खतरा है कि इस प्रावधान का पॉलिटिकल इस्तेमाल हो सकता है.'
आम लोगों के घरों में रखा सोना पुश्तैनी है या नहीं...क्या उसे सफेद पैसे से खरीदा गया या नहीं...ये सवाल पेचीदा है और किसी भी व्यक्ति के लिए इसका सबूत देना मुश्किल हो सकता है. जानकार मानते हैं कि सरकार को नियमों में बदलाव करना होगा जिससे कि इस प्रावधान को दुरूपयोग ना हो. नए कायदों के बीच एक सवाल ये भी उठ रहा है कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच फ़र्क क्यों किया गया है?
आयकर छापों में मिलने वाले सोने पर विवाहित महिलाओं को 500 ग्राम, अविवाहित महिलाओं को 250 ग्राम और पुरुषों को 100 ग्राम सोना रखने की छूट के नियम में बदलाव की ज़रूरत है- ये जानकारों का कहना है. उनके मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में लोग काला धन छुपाने के लिए सोने की ईंट या बिस्किट ख़रीदते रहे हैं.
ब्लैक मनी विशेषज्ञ और जेएनयू में प्रोफेसर रहे अरुण कुमार ने एनडीटीवी से कहा, 'नियमों में बदलाव ज़रूरी होगा. गहनों से ज़्यादा बड़ी समस्या है किसी भी व्यक्ति द्वारा स्टॉक किया गया सोना...ईंट या बिस्कुट के फॉर्म में. नियमों में ये साफ करना ज़रूरी होगा कि गहने अलग हैं और रॉ फार्म में स्टॉक किया गया गोल्ड अलग...इनको अलग से देखना होगा.'
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सरकार के मौजूदा कायदे का सबसे बड़ा संकट ये है कि लोग कैसे साबित करेंगे कि जो सोना उनके पास है वो पुश्तैनी है. और पुश्तैनी होने की कसौटी क्या है? क्या दस साल पुराना सोना पुश्तैनी माना जाएगा? अरुण कुमार कहते हैं, 'ये साबित करना मुश्किल होगा कि सोना कब खरीदा गया. वो पुश्तैनी है या अपनी आमदनी से खरीदा गया? परिवार में सोना का हिसाब देना मुश्किल होता है. खतरा है कि इस प्रावधान का पॉलिटिकल इस्तेमाल हो सकता है.'
आम लोगों के घरों में रखा सोना पुश्तैनी है या नहीं...क्या उसे सफेद पैसे से खरीदा गया या नहीं...ये सवाल पेचीदा है और किसी भी व्यक्ति के लिए इसका सबूत देना मुश्किल हो सकता है. जानकार मानते हैं कि सरकार को नियमों में बदलाव करना होगा जिससे कि इस प्रावधान को दुरूपयोग ना हो. नए कायदों के बीच एक सवाल ये भी उठ रहा है कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच फ़र्क क्यों किया गया है?
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