नई दिल्ली:
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने दो साल पहले पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी को निर्वासित किए जाने की मांग करते हुए इंग्लैंड को चिट्ठी लिखी थी। चिंदबरम द्वारा अगस्त 2013 में अपने ब्रिटिश समकक्ष जॉर्ज ऑसबॉर्न को लिखी यह चिट्ठी एनडीटीवी के हाथ लगी है।
सूचना के अधिकार कानून के तहत मिली इस चिट्ठी में चिदंबरम ने कहा था कि भारत ललित मोदी को प्रत्यर्पित करने की मांग नहीं कर रहा, जिसमें अकसर ही लंबा समय लगता है, बल्कि हम ब्रिटेन से उन्हें निर्वासित करने की मांग करते हैं। इस चिट्ठी में चिदंबरम ने कहा था कि भारत में संभावित गंभीर अपराधों के लिए सक्षम अधिकारियों द्वारा पूर्व आईपीएल कमिश्नर की जांच की जा रही थी।
तत्कालीन वित्तमंत्री ने कहा, 'मैं इस बात से चिंतित हूं कि उनका (ललित मोदी) पार्सपोर्ट विधिवत रूप से रद्द किया गया है, नतीजतन उनके पास अब कोई वैध यात्रा दस्तावेज भी नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें अधिकारियों द्वारा यूके में रुकने की इजाजत दी जा रही है।' इसके साथ ही चिदंबरम ने यह भी कहा कि यूके द्वारा ऐसे करीब 3000 भारतीयों को निर्वासित किया जा चुका है, जिनके पास ललित मोदी की ही तरह कोई वैध दस्तावेज नहीं था।
आपको बता दें कि धन शोधन के आरोपों पर प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में आए ललित मोदी का पासपोर्ट भारत सरकार ने साल 2011 में निरस्त कर दिया था, हालांकि साल 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर इसे दोबारा बहाल कर दिया गया था।
ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने 23 सितंबर,2013 को चिदंबरम की इस चिट्ठी का जवाब दिया था। तब की सरकार में विदेश राज्यमंत्री रहीं परणीत कौर को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि 'आपने जिस गंभीरता से मोदी का मामले उठाया है, ब्रिटिश सरकार उसकी सराहना करती है... लेकिन जहां आपराधिक मामलों में जांच चल रही होती है, तो वहां सामान्य तौर पर किया गया प्रत्यर्पण अनुरोध ही उचित कदम होगा।'
गौरतलब है कि ललित मोदी विवाद को लेकर संसद का पिछला मॉनसून सत्र पूरी तरह बाधित रहा था। इस मामले में जहां केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर ललित मोदी की मदद के आरोप लगे थे, जबकि वहीं बीजेपी पूर्व की यूपीए सरकार पर ललित मोदी के मामले में निष्क्रियता के आरोप लगा कर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रही थी।
इस चिट्ठी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज कहा कि यह इस बात का 'साफ सबूत' है कि पिछली सरकार ने मोदी को भारत वापस लाने के लिए 'अथक प्रयास' किए थे। वहीं इस संबंध में प्रतिक्रिया के हमने बीजेपी के कई प्रवक्ताओं से संपर्क किया तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जबकि एक प्रवक्ता ने, जो कि अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते थे, कहा कि इस अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है।
सूचना के अधिकार कानून के तहत मिली इस चिट्ठी में चिदंबरम ने कहा था कि भारत ललित मोदी को प्रत्यर्पित करने की मांग नहीं कर रहा, जिसमें अकसर ही लंबा समय लगता है, बल्कि हम ब्रिटेन से उन्हें निर्वासित करने की मांग करते हैं। इस चिट्ठी में चिदंबरम ने कहा था कि भारत में संभावित गंभीर अपराधों के लिए सक्षम अधिकारियों द्वारा पूर्व आईपीएल कमिश्नर की जांच की जा रही थी।
तत्कालीन वित्तमंत्री ने कहा, 'मैं इस बात से चिंतित हूं कि उनका (ललित मोदी) पार्सपोर्ट विधिवत रूप से रद्द किया गया है, नतीजतन उनके पास अब कोई वैध यात्रा दस्तावेज भी नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें अधिकारियों द्वारा यूके में रुकने की इजाजत दी जा रही है।' इसके साथ ही चिदंबरम ने यह भी कहा कि यूके द्वारा ऐसे करीब 3000 भारतीयों को निर्वासित किया जा चुका है, जिनके पास ललित मोदी की ही तरह कोई वैध दस्तावेज नहीं था।
आपको बता दें कि धन शोधन के आरोपों पर प्रवर्तन निदेशालय की जांच के घेरे में आए ललित मोदी का पासपोर्ट भारत सरकार ने साल 2011 में निरस्त कर दिया था, हालांकि साल 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर इसे दोबारा बहाल कर दिया गया था।
ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने 23 सितंबर,2013 को चिदंबरम की इस चिट्ठी का जवाब दिया था। तब की सरकार में विदेश राज्यमंत्री रहीं परणीत कौर को लिखी चिट्ठी में कहा गया है कि 'आपने जिस गंभीरता से मोदी का मामले उठाया है, ब्रिटिश सरकार उसकी सराहना करती है... लेकिन जहां आपराधिक मामलों में जांच चल रही होती है, तो वहां सामान्य तौर पर किया गया प्रत्यर्पण अनुरोध ही उचित कदम होगा।'
गौरतलब है कि ललित मोदी विवाद को लेकर संसद का पिछला मॉनसून सत्र पूरी तरह बाधित रहा था। इस मामले में जहां केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर ललित मोदी की मदद के आरोप लगे थे, जबकि वहीं बीजेपी पूर्व की यूपीए सरकार पर ललित मोदी के मामले में निष्क्रियता के आरोप लगा कर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर रही थी।
इस चिट्ठी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज कहा कि यह इस बात का 'साफ सबूत' है कि पिछली सरकार ने मोदी को भारत वापस लाने के लिए 'अथक प्रयास' किए थे। वहीं इस संबंध में प्रतिक्रिया के हमने बीजेपी के कई प्रवक्ताओं से संपर्क किया तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जबकि एक प्रवक्ता ने, जो कि अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते थे, कहा कि इस अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है।
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