सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से राज्य में निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों को 25 फीसदी आरक्षण नहीं देने संबंधी कथित गड़बड़ियों के मामले को देखने के लिए एक पूर्व जज की अध्यक्षता में तथ्यान्वेषी समिति गठित करने को कहा. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे और जज एस ए नजीर और जज संजीव खन्ना की बेंच ने याचिका पर संज्ञान लिया जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य के हजारों स्कूल कक्षा 1 के स्तर पर इस हद तक छात्रों की संख्या छिपा रहे हैं कि शिक्षा के अधिकार (RTI) का मजाक बन गया है जिसके तहत EWS कैटेगरी के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखना अनिवार्य है.
EWS रिजर्वेशन पर सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आरक्षण आदर्श रूप से अवसर की समानता लाने के लिए
बेंच ने कहा, "गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के किसी पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित करने पर विचार कर सकते हैं जिसमें दो या चार अन्य सदस्य हों जिनमें सरकारी सेवक और शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले किसी व्यक्ति को शामिल किया जा सकता है." पीठ ने कहा कि तथ्यान्वेषी समिति को आरोपों की जांच करनी होगी. समिति पहली बैठक से तीन महीने के अंदर अदालत में रिपोर्ट जमा करेगी.
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