उत्तर प्रदेश : चुनाव के चौसर पर जाति की गोटियां बिछाने में जुटी बीजेपी

उत्तर प्रदेश : चुनाव के चौसर पर जाति की गोटियां बिछाने में जुटी बीजेपी

महापंचायत में भासपा के समर्थक।

खास बातें

  • भारतीय समाज पार्टी से मिलाया हाथ
  • मऊ जिले में की अति दलितों और अति पिछड़ों की महापंचायत
  • राजभरों का पूर्वांचल में बड़ा वोट बैंक
वाराणसी:

उत्तर प्रदेश  में 2017 में होने वाले चुनाव के लिए बिसात बिझने लगी है। सबसे बड़ी लड़ाई जीतने के लिए इस बिसात में जाति की गोटियां बैठानी शुरू कर दी गई हैं। इसमें विकास की बात करने वाली भाजपा ने भी दौड़ में आगे निकलने के लिए पूरी ताकत के साथ रेस शुरू कर दी है। अपना दल की स्वाभिमान रैली के बाद अब वह पूर्वांचल में अति पिछड़ों और अति दलितों को अपने पाले में करने की जुगत में है।

महाराजा सोहेल देव का गुणगान
राजभरों की पार्टी भारतीय समाज पार्टी के साथ भाजपा ने अति दलित अति पिछड़ों की महापंचायत मऊ जिले में रैली के शक्ल में की। चूंकि मौका 1917 के  यूपी चुनाव का है और दस्तूर महाराजा सोहेल देव को मानने वाले लोगों को अपनी तरफ गोलबन्द करने का इस लिहाजा से अमित शाह को सोहेल देव का वह गौरव याद आया जो गुजरात से जोड़ता है। उन्होंने कहा  ''मैं सोमनाथ की धरती से आता हूं। सोमनाथ मंदिर को गजनी ने तोड़ा था। यहां बहराइच में भी एक सोमनाथ का मंदिर था जिसको तोड़ने के लिए उसका भतीजा गाजी और साला आया था। पर उसे नहीं पता था कि बहराइच में महाराजा सोहेल देव का राज है। महाराजा सोहेल देव ने उन्हें हराया। सोहेल देव ने देश की रक्षा के साथ धर्म की भी रक्षा की।''

अमित शाह ने बसपा और सपा को राहू-केतु कहा
राजभरों को उनकी ताकत का अहसास कराने के बाद अमित शाह मुद्दे पर आए। उन्होंने सपा और बसपा को जमकर आड़े हाथों लिया और कहा कि ''यह राहू और केतु हैं। जब तक इन्हें हटाएंगे नहीं, विकास नहीं हो पाएगा।'' इस मौके पर अमित शाह को लोकसभा की 73 सीटों की भारी जीत भी याद आई। उन्होंने  कहा कि ''उस समय हम साथ नहीं थे, अब साथ हैं तो क्या होगा, यह मुलायम भी देखेंगे।''  

भासपा को भाजपा के सहारे की जरूरत
गौरतलब है कि राजभरों का पूर्वांचल में बड़ा वोट है। सन 2012 के चुनाव में इनकी ताकत भी पूर्वांचल में दिखाई पड़ी थी। बलिया, गाजीपुर, मऊ, वाराणसी में अच्छा प्रदर्शन रहा था। भासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश ने गाजीपुर की जहूराबाद सीट से 49600 वोट मिले थे। पार्टी के दूसरे प्रत्याशी बलिया ने फेफना से 42000 , रसड़ा से 26000, सिकंदरपुर से 40000, बेल्थरा रोड से 38000, वोट बटोरे थे। गाजीपुर, आजमगढ़, वाराणसी में भी पार्टी के उम्मीदवारों ने 18 से 30 हजार वोट बटोरे थे, लेकिन कोई सीट जीत नहीं पाए थे। लिहाजा सत्ता में भागीदारी के लिए राजभरों को भी किसी मजबूत कंधे की जरूरत है जो उन्हें बीजेपी के रूप में नजर आ रहा है। इसलिए ओम प्रकाश राजभर ने अपने लोगों को विकास से अब तक दूर रहने की बात याद दिलाते हुए कहा कि "खजाना लेना है कि नहीं। कितने लोग तैयार हैं खजाना लेने के लिए। यह खजाना तभी मिलेगा जब भारतीय जनता पार्टी और भासपा की सरकार बनेगी।''  

बिहार की हार के बाद भाजपा उत्तर प्रदेश को हाथ से नहीं जाने देना चाहती, लिहाजा उनके नेता मंच पर तो विकास की बात करते हैं पर समीकरण जातीय बैठा रहे हैं। यही वजह है कि अपना दल की अनुप्रिया पटेल और भासपा के बाद उनके निशाने पर और छोटी पार्टियां हैं। उत्तर प्रदेश में पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों के तकरीबन 50 % वोट हैं। इनमें से यादव 19 % निकाल दें तो भी यह प्रतिशत बहुत है जिसे बीजेपी ज़्यादा से ज़्यादा अपनी तरफ गोलबंद करने में जुटी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि बिहार चुनाव में भाजपा इसी जाति की कश्ती में सवार होकर डूब चुकी है। अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश के चुनाव में इसी कश्ती में सवार होने की तैयारी कर रही है। ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि उत्तर प्रदेश में यह कश्ती चुनावी वैतरणी पार कर पाती है या नहीं।


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