ब्रिटेन (Britain) ने सोमवार को कहा कि वह भारतीय प्राधिकारियों द्वारा जारी कोविड-19 रोधी टीकाकरण प्रमाणपत्र की स्वीकार्यता को विस्तार देने पर भारत के साथ चर्चा कर रहा है. ब्रिटेन के नए यात्रा नियमों की आलोचना के बीच ब्रिटिश उच्चायोग के एक प्रवक्ता का यह बयान आया है. नए नियमों के तहत जिन भारतीय यात्रियों ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड टीके की दोनों खुराक ली है उन्हें टीका लिया हुआ नहीं माना जाएगा और उन्हें 10 दिन के लिए पृथक-वास में रहना होगा.
इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मुद्दे को उठाया है. उन्होंने ब्रिटेन के नए विदेश सचिव से मुलाकात के दौरान इस मामले को उठाया. उन्होंने एक ट्वीट में बताया, "आपसी हित में क्वारंटाइन मुद्देे के जल्द समाधान का आग्रह किया."
Pleased to meet new UK Foreign Secretary @trussliz.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 21, 2021
Discussed the progress of Roadmap 2030. Appreciated her contribution on the trade side.
Exchanged views on developments in Afghanistan and the Indo-Pacific.
Urged early resolution of quarantine issue in mutual interest. pic.twitter.com/pc49NS7zcw
चार अक्टूबर से लागू होने वाले नियमों को लेकर भारत में चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन इस मुद्दे पर भारत से बातचीत कर रहा है और जितनी जल्दी संभव हो सके अंतरराष्ट्रीय यात्रा को फिर से खोलने के प्रति प्रतिबद्ध है.
प्रवक्ता ने कहा, "ब्रिटेन जितनी जल्दी हो सके अंतरराष्ट्रीय यात्रा को फिर से खोलने के लिए प्रतिबद्ध है और यह घोषणा सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए लोगों को सुरक्षित तरीके से फिर से अधिक स्वतंत्र रूप से यात्रा करने में सक्षम बनाने के लिए एक और कदम है."
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि उन्होंने नए नियमों के कारण कई कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है, जो कि शुक्रवार को घोेषित किए गए थे और 4 अक्टूबर से अस्तित्व में आएंगे. उन्होंने कहा कि पूरी तरह से टीका लगाए गए भारतीयों को क्वारंटाइन के लिए कहना आपत्तिजनक है.
वहीं कांग्रेस के एक अन्य नेता जयराम रमेश ने नए नियमों को नस्लवादी बताया है. उन्होंने ट्वीट किया, "कोविशील्ड मूल रूप से यूके में विकसित किया गया है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे ने उस देश को भी आपूर्ति की है, यह बेहद विचित्र है. इससे नस्लवाद की बू आती है."
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