विपक्षी की गैरमौजूदगी का फायदा उठा केंद्र ने पास किया शत्रु संपत्ति संशोधन विधेयक

विपक्षी की गैरमौजूदगी का फायदा उठा केंद्र ने पास किया शत्रु संपत्ति संशोधन विधेयक

उच्च सदन ने शुक्रवार को शत्रु संपत्ति विधेयक 2016 को पारित कर दिया

खास बातें

  • 50 साल से लंबित पड़ा था शत्रु संपत्ति विधेयक
  • कांग्रेस, वाम, तृणमूल समेत कई दलों ने किया वाकआउट
  • विधेयक सरकार द्वारा जारी अध्यादेश का स्थान लेगा
नई दिल्ली:

जब सब का ध्यान कल आने वाले चुनावी नतीजों पर अटका पड़ा था, संसद में बहस के लिए गिनती के सांसद नहीं थे, तो सत्ता पक्ष अल्पसंख्या में होने के बाद भी इसे अपने पक्ष में एक सुरक्षित माहौल मानते हुए राज्यसभा में शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक को पारित कर दिया.

इस विधयेक में युद्ध के बाद पाकिस्तान एवं चीन पलायन कर गए लोगों द्वारा छोडी गई संपत्ति पर उत्तराधिकार के दावों को रोकने के प्रावधान किए गए हैं.

उच्च सदन ने शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2016 को पारित कर दिया. सदन ने सरकार द्वारा पेश किए गए संशोधनों को भी स्वीकार कर लिया. विपक्ष की मांग थी कि इस विधेयक पर आज चर्चा नहीं की जाए और अगले सप्ताह इस पर व्यापक चर्चा की जाए जब सदन में ज्यादातर सदस्य मौजूद हों. उनका कहना था कि शुक्रवार को भोजनावकाश के बाद आम तौर पर गैर सरकारी कामकाज ही होता है. इसलिए कई सदस्य सदन में मौजूद नहीं हैं.

उल्लेखनीय है कि उस समय सदन में मौजूद सदस्यों की संख्या कम थी और कांग्रेस के एक सदस्य ने कोरम का मुद्दा भी उठाया. हालांकि उपसभापति कुरियन ने गणना प्रकिया पूरी किए जाने के बाद कहा कि सदन में कोरम मौजूद है. सरकार के ही इस विधेयक के पारित कराने पर जोर दिए जाने पर कांग्रेस, वाम, तृणमूल सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया.

कांग्रेस सदस्य जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष के नेता सहित कई वरिष्ठ सदस्य विभिन्न वजहों से सदन में मौजूद नहीं हैं. उन्होंने अगले दिन इस पर चर्चा तथा पारित कराने का सुझाव दिया. सपा के जावेद अली खान और तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने भी ऐसी ही राय व्यक्त की. लेकिन सरकार के विधेयक को पारित कराने पर जोर दिए जाने पर विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया.

विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि कानून में संशोधन से जुड़े अध्यादेश की अवधि 14 मार्च, 2017 को समाप्त हो जाएगी. उन्होंने इसे सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा भी बताया. जेटली ने कहा कि यह सिद्धांत है कि किसी सरकार को अपने शत्रु राष्ट्र या उसके नागरिकों को संपत्ति रखने या व्यावयायिक हितों के लिए मंजूरी नहीं देनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि शत्रु संपत्ति का अधिकार सरकार के पास होना चाहिए न कि शत्रु देशों के नागरिकों के उत्तराधिकारियों के पास. यह विधेयक पिछले साल ही लोकसभा में पारित हुआ था और उसके बाद यह विधेयक उच्च सदन की प्रवर समिति को भेज दिया गया था.

उच्च सदन में पारित होने के बाद आज विधेयक को लोकसभा को लौटा दिया गया. विधेयक पर चर्चा का जवाब गृह मंत्री राजनाथ सिंह को देना था लेकिन उन्होंने कहा कि इस बारे में सदन के नेता ने पहले ही विस्तार से चर्चा की है और अब उनके जवाब की जरूरत नहीं है. संसद से पारित होने के बाद यह विधेयक इस संबंध में सरकार द्वारा जारी किए गए अध्यादेश का स्थान लेगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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