कोलकाता:
तृणमूल के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने शुक्रवार को आवश्यक सेवाओं से जुड़े विभिन्न संस्थानों के कर्मचारियों को अपने काम की कीमत पर राजनीति में संलिप्त न होने की हिदायत दी।
राज्य के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा, "शैक्षिक संस्थानों, अस्पतालों इत्यादि जो आवश्यक सेवाएं मुहैया कराते हैं, उन पर राजनीतिक आधिपत्य को तोड़ने की जरूरत है। यदि चिकित्सक, शिक्षक, अग्निशमनकर्मी जैसे लोग राजनीति में संलिप्त रहेंगे तो ये आवश्यक कौन मुहैया कराएगा?"
मुखर्जी ने कहा, "नि:संदेह, ये लोग राजनीतिक रूप से सजग रह सकते हैं, विचार भी प्रकट कर सकते हैं, लेकिन अपनी पेशा में राजनीतिक को नहीं मिला सकते और यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वक्त आ गया है कि राजनतिक पोस्टरों के साथ दफ्तर आने वालों का विरोध किया जाए।"
मंत्री ने यह टिप्पणी तब की जब पार्टी की छात्र इकाई तृणमूल छात्र परिषद के अध्यक्ष शांकुदेब पांडा ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के समर्थक शिक्षकों को कड़ी चेतावनी दी।
पांडा ने कहा, "शिक्षकों को पार्टी और राजनीति में संलिप्त होने के बजाय अपनी ड्यूटी करनी चाहिए। हम माकपा की राजनीति में शामिल होने वालों पर नजर रखेंगे।"
वह भांगर कालेज की प्रोफेसर देबजनी डे के एक आरोप के विरोध में आयोजित रैली को सम्बोधित कर रहे थे। देबजनी डे ने आरोप लगाया है कि तृणमूल के पूर्व विधायक एवं कालेज के शासी निकाय के अध्यक्ष अराबुल इस्लाम ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और पानी भरा जग उनके ऊपर फेंका जिससे उनकी ठोड़ी पर गहरी चोट लगी।
मुखर्जी ने डे को चोट पहुंचाए जाने से इनकार किया और कहा कि दोनों के बीच केवल तीखी नोकझोंक हुई थी।
मंत्री ने मडिया पर भी राजनीति में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "इन दिनों लोग अपनी शिकायतें लेकर पुलिस के पास जाने के बजाय मीडिया के पास जा रहे हैं। मीडिया को कोई राजनीतिक कदम उठाने से परहेज करना चाहिए।"
राज्य के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा, "शैक्षिक संस्थानों, अस्पतालों इत्यादि जो आवश्यक सेवाएं मुहैया कराते हैं, उन पर राजनीतिक आधिपत्य को तोड़ने की जरूरत है। यदि चिकित्सक, शिक्षक, अग्निशमनकर्मी जैसे लोग राजनीति में संलिप्त रहेंगे तो ये आवश्यक कौन मुहैया कराएगा?"
मुखर्जी ने कहा, "नि:संदेह, ये लोग राजनीतिक रूप से सजग रह सकते हैं, विचार भी प्रकट कर सकते हैं, लेकिन अपनी पेशा में राजनीतिक को नहीं मिला सकते और यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वक्त आ गया है कि राजनतिक पोस्टरों के साथ दफ्तर आने वालों का विरोध किया जाए।"
मंत्री ने यह टिप्पणी तब की जब पार्टी की छात्र इकाई तृणमूल छात्र परिषद के अध्यक्ष शांकुदेब पांडा ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के समर्थक शिक्षकों को कड़ी चेतावनी दी।
पांडा ने कहा, "शिक्षकों को पार्टी और राजनीति में संलिप्त होने के बजाय अपनी ड्यूटी करनी चाहिए। हम माकपा की राजनीति में शामिल होने वालों पर नजर रखेंगे।"
वह भांगर कालेज की प्रोफेसर देबजनी डे के एक आरोप के विरोध में आयोजित रैली को सम्बोधित कर रहे थे। देबजनी डे ने आरोप लगाया है कि तृणमूल के पूर्व विधायक एवं कालेज के शासी निकाय के अध्यक्ष अराबुल इस्लाम ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और पानी भरा जग उनके ऊपर फेंका जिससे उनकी ठोड़ी पर गहरी चोट लगी।
मुखर्जी ने डे को चोट पहुंचाए जाने से इनकार किया और कहा कि दोनों के बीच केवल तीखी नोकझोंक हुई थी।
मंत्री ने मडिया पर भी राजनीति में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "इन दिनों लोग अपनी शिकायतें लेकर पुलिस के पास जाने के बजाय मीडिया के पास जा रहे हैं। मीडिया को कोई राजनीतिक कदम उठाने से परहेज करना चाहिए।"