विज्ञापन
This Article is From Dec 13, 2016

दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर लगेगी पाबंदी? चुनाव आयोग ने विधि मंत्रालय को भेजी सिफारिश

दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर लगेगी पाबंदी? चुनाव आयोग ने विधि मंत्रालय को भेजी सिफारिश
चुनाव आयोग
नई दिल्ली: भारतीय चुनाव व्यवस्था में एक प्रत्याशी के कई सीटों से चुनाव लड़ने की छूट है. लेकिन, अब चुनाव आयोग इस प्रकार की व्यवस्था को खत्म करने का मन बना चुका है. चुनाव सुधार की प्रक्रिया में चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को अपनी सिफारिश में कहा है कि एक प्रत्याशी को दो सीटों से चुनाव लड़ने की छूट नहीं होनी चाहिए.

चुनाव आयोग ने केंद्रीय विधि मंत्रालय से सिफारिश की है कि एक उम्मीदवार के दो सीटों से चुनाव लडऩे की प्रावधान को समाप्त किया जाए. चुनाव आयोग ने इसके अलावा कुछ और संशोधन भी केंद्रीय विधि मंत्रालय को भेजे हैं.

चुनाव आयोग के अनुसार अभी तक एक प्रत्याशी को दो सीटों से चुनाव लड़ने का अधिकार है और दोनों सीटने जीतने पर एक सीट छोड़ने की व्यवस्था भी है. उल्लेखनीय है कि 1996 से पूर्व उम्मीदवार कितनी भी सीटों से लड़ सकता था.

आयोग ने कहा कि यदि सरकार इस प्रावधान को बनाए ही रखना चाहती है तो उपचुनाव का खर्च उठाने की जिम्मेदारी सीट छोड़ने वाले उम्मीदवार पर डाली जाए. विधानसभा व विधानपरिषद के उपचुनाव के मामले में राशि 5 लाख और लोकसभा उपचुनाव में राशि 10 लाख होनी चाहिए. सरकार इसे समय-समय पर बढ़ा सकती है. आयोग ने कहा कि प्रत्याशी का सीट छोड़ना वोटरों से अन्याय के समान है.

इसके अलावा चुनाव आयोग ने कहा है कि सार्वजनिक देनदारियों वाले लागों को चुनाव लड़ने से रोका जाए. इस बारे में चुनाव आयोग ने 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का हवाला भी दिया है जिसमें कहा गया था कि सरकारी बंगले, बिजली, टेलीफोन, पानी, होटल, एयरलाइन आदि का भुगतान न करने वाले लोगों को चुनाव लड़ने से रोका जाए.

चुनाव आयोग ने कहा कि उपचुनाव में सीट छोडऩे वाले प्रत्याशी को 5 लाख और लोकसभा के लिए 10 लाख के खर्च का वहन करे. आयोग ने कहा समय समय पर इस राशि को बढ़ाया भी जाना चाहिए.

काले धन पर काबू पाने के लिए विमुद्रीकरण के ऐलान के बाद मोदी सरकार का यह दूसरा बड़ा नीतिगत फैसला होगा जिसके बारे में जल्द ऐलान किए जाने की संभावना है. विधि और कानून मंत्रालय के विधायिका विभाग ने इस बारे में संबंधित सभी विभागों को परिपत्र जारी किया है, जिसमें जल्द ही आयोग की सिफारिशें लागू करने की बात कही गई है.

विधि आयोग के दो सुझाव गौर करने लायक हैं. पहला, ऐसे मामले जिनमें कम से कम पांच साल की सजा का प्रावधान है, चार्जशीट वाले नेता को चुनाव लडऩे की अनुमति न हो. दूसरा, राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की जाएंगी, जिन्हें एक साल के भीतर फैसला सुनाना हो. फास्ट ट्रैक कोर्ट से सजा पाने वाले भले ही ऊपरी अदालत से बरी हो जाएं, लेकिन उन पर चुनाव लडऩे, राजनीतिक पार्टी बनाने और राजनीतिक दल में पदाधिकारी बनने पर हमेशा के लिए रोक लगाई जाए.

बता दें कि चुनाव सुधार को लेकर बीते ढाई दशक से कवायद चल रही है. मोदी सरकार ने विधि आयोग से इस बारे में सुझाव मांगे हैं. चुनाव के दौरान पेड न्यूज (पैसे लेकर किसी उम्मीदवार के पक्ष में खबर दिखाने या छापने), स्टेट फंडिंग (उम्मीदवार का खर्च सरकार देगी), झूठे शपथपत्र, खर्च का ब्योरा कम बताने और अपराधों में आरोपी उम्मीदवारों के चुनाव लडऩे पर रोक लगाने जैसे मुद्दों पर सहमति बनाने के प्रयास चल रहे हैं.

अभी चुनाव आयोग रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के दायरे में चुनाव कराता है. केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद विधि आयोग की कवायद तेज हुई. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डॉ बीएस चौहान को विधि आयोग का 21वां अध्यक्ष बनाया गया. उनके साथ गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रवि आर त्रिपाठी को सदस्य बनाया गया. आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 तक है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
चुनाव आयोग, चुनाव सुधार, नरेंद्र मोदी सरकार, विधि मंत्रालय, कानून मंत्रालय, Election Commission, Election Improvement, Narendra Modi Government, Law Commission, Law Ministry
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com