नई दिल्ली:
वर्ष के आखिर में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में आठ वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया। इस बदलाव को हालांकि खास प्रभावी नहीं माना जा रहा है, क्योंकि नए चेहरों में युवा नहीं, बल्कि वरिष्ठतम को मंत्रिमंडल में लाया गया है।
आम चुनाव में भी एक वर्ष से कम का समय रह गया है, इसीलिए मनमोहन सिंह ने प्रत्यक्षत: सुरक्षित रास्ता अपनाते हुए सिर्फ उन लोगों को मंत्रिमंडल में लाया है जिनका पार्टी के भीतर रिकॉर्ड बेहतर रहा है।
सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए आठ मंत्रियों में सबसे युवा मंत्री की उम्र 59 वर्ष है, जबकि राजस्थान के वरिष्ठ नेता 86 वर्षीय शीश राम ओला सबसे बुजुर्ग नेता हैं। अटकलें लगाई जा रही थीं कि कांग्रेस युवा चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह देगी लेकिन सभी अटकलें खारिज हो गईं। संप्रग-2 के कार्यकाल में यह चौथा बड़ा फेरबदल है।
मंत्रिमंडल में शामिल किए गए सभी मंत्रियों को सोनिया गांधी का विश्वासपात्र माना जा रहा है, जबकि उम्मीद थी कि राहुल गांधी की कोर टीम में से कुछ लोगों को शामिल किया जा सकता है।
कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किए जाने वालों में शीशराम ओला (श्रम मंत्री), ऑस्कर फर्नाडीस (सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्री), गिरिजा व्यास (आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री) एवं केएस राव (कपड़ा मंत्री) हैं।
इसके अलावा राज्य मंत्री के रूप में माणिक राव गावित (समाजिक न्याय एवं अधिकारिता), संतोष चौधरी (स्वास्थ्य), ईएमएस नचिअप्पन (वाणिज्य एवं उद्योग) और जेडी सेलम (वित्त) को शामिल किया गया है।
सीपी जोशी पार्टी संगठन से जुड़ने के लिए मंत्री पद छोड़ चुके हैं, इसलिए वरिष्ठतम कांग्रेसी मल्लिकार्जुन खड़गे को श्रम मंत्री पद से हटाकर रेल मंत्री बनाया गया है।
मंत्रिमंडल में शामिल होने वालों में ओला और व्यास राजस्थान के धाकड़ नेता हैं। ध्यान रहे कि राजस्थान में वर्ष के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
राष्ट्रपति भवन में सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह के बाद प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि संप्रग तीसरी बार भी सत्ता में वापसी करने में सफल रहेगी।
मनमोहन सिंह ने कहा, "मेरा हमेशा से मानना रहा है कि संप्रग तीसरी बार भी सत्ता में आएगी और जनता हम पर दोबारा अपना विश्वास जताएगी।"
मनमोहन सिंह ने इस बात को भी दोहराया कि वह राहुल गांधी को अपने पद पर देखकर बहुत खुश होंगे।
कांग्रेस में सांगठनिक नवीकरण के ठीक एक दिन बाद संप्रग मंत्रिमंडल में यह फेरबदल किया गया है तथा इसमें शामिल मंत्रियों की आयु इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि कांग्रेस के नवनियुक्त महासचिव अजय माकन ने कहा कि कांग्रेस के केंद्र में युवा भारत है, जिसकी 60 फीसदी से अधिक आबादी 30 वर्ष से कम की है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के फौरन बाद प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह एक मरणासन्न फेरबदल है।
भाजपा के प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा, "यह एक मृत फेरबदल है। कांग्रेस इसके जरिए अपने वरिष्ठ नेताओं को इज्जत प्रदान करना चाहती है।"
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी. राजा ने कहा कि चूंकि कांग्रेस से कई घटक दल छोड़कर चले गए हैं, इसलिए यह फेरबदल जरूरी था।
पिछले वर्ष नवंबर में मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल को हालांकि मनमोहन सिंह ने आम चुनाव से पहले संभवत: आखिरी फेरबदल कहा था, लेकिन उसके बाद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) तथा तृणमूल कांग्रेस के संप्रग से अलग हो जाने के कारण तथा विवाद के कारण पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल तथा पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार को अपने-अपने पदों से इस्तीफा देने के कारण सोमवार को किया गया फेरबदल जरूरी हो गया था।
आम चुनाव में भी एक वर्ष से कम का समय रह गया है, इसीलिए मनमोहन सिंह ने प्रत्यक्षत: सुरक्षित रास्ता अपनाते हुए सिर्फ उन लोगों को मंत्रिमंडल में लाया है जिनका पार्टी के भीतर रिकॉर्ड बेहतर रहा है।
सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए आठ मंत्रियों में सबसे युवा मंत्री की उम्र 59 वर्ष है, जबकि राजस्थान के वरिष्ठ नेता 86 वर्षीय शीश राम ओला सबसे बुजुर्ग नेता हैं। अटकलें लगाई जा रही थीं कि कांग्रेस युवा चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह देगी लेकिन सभी अटकलें खारिज हो गईं। संप्रग-2 के कार्यकाल में यह चौथा बड़ा फेरबदल है।
मंत्रिमंडल में शामिल किए गए सभी मंत्रियों को सोनिया गांधी का विश्वासपात्र माना जा रहा है, जबकि उम्मीद थी कि राहुल गांधी की कोर टीम में से कुछ लोगों को शामिल किया जा सकता है।
कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किए जाने वालों में शीशराम ओला (श्रम मंत्री), ऑस्कर फर्नाडीस (सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्री), गिरिजा व्यास (आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री) एवं केएस राव (कपड़ा मंत्री) हैं।
इसके अलावा राज्य मंत्री के रूप में माणिक राव गावित (समाजिक न्याय एवं अधिकारिता), संतोष चौधरी (स्वास्थ्य), ईएमएस नचिअप्पन (वाणिज्य एवं उद्योग) और जेडी सेलम (वित्त) को शामिल किया गया है।
सीपी जोशी पार्टी संगठन से जुड़ने के लिए मंत्री पद छोड़ चुके हैं, इसलिए वरिष्ठतम कांग्रेसी मल्लिकार्जुन खड़गे को श्रम मंत्री पद से हटाकर रेल मंत्री बनाया गया है।
मंत्रिमंडल में शामिल होने वालों में ओला और व्यास राजस्थान के धाकड़ नेता हैं। ध्यान रहे कि राजस्थान में वर्ष के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
राष्ट्रपति भवन में सोमवार को शपथ ग्रहण समारोह के बाद प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि संप्रग तीसरी बार भी सत्ता में वापसी करने में सफल रहेगी।
मनमोहन सिंह ने कहा, "मेरा हमेशा से मानना रहा है कि संप्रग तीसरी बार भी सत्ता में आएगी और जनता हम पर दोबारा अपना विश्वास जताएगी।"
मनमोहन सिंह ने इस बात को भी दोहराया कि वह राहुल गांधी को अपने पद पर देखकर बहुत खुश होंगे।
कांग्रेस में सांगठनिक नवीकरण के ठीक एक दिन बाद संप्रग मंत्रिमंडल में यह फेरबदल किया गया है तथा इसमें शामिल मंत्रियों की आयु इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि कांग्रेस के नवनियुक्त महासचिव अजय माकन ने कहा कि कांग्रेस के केंद्र में युवा भारत है, जिसकी 60 फीसदी से अधिक आबादी 30 वर्ष से कम की है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के फौरन बाद प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह एक मरणासन्न फेरबदल है।
भाजपा के प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा, "यह एक मृत फेरबदल है। कांग्रेस इसके जरिए अपने वरिष्ठ नेताओं को इज्जत प्रदान करना चाहती है।"
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी. राजा ने कहा कि चूंकि कांग्रेस से कई घटक दल छोड़कर चले गए हैं, इसलिए यह फेरबदल जरूरी था।
पिछले वर्ष नवंबर में मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल को हालांकि मनमोहन सिंह ने आम चुनाव से पहले संभवत: आखिरी फेरबदल कहा था, लेकिन उसके बाद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) तथा तृणमूल कांग्रेस के संप्रग से अलग हो जाने के कारण तथा विवाद के कारण पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल तथा पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार को अपने-अपने पदों से इस्तीफा देने के कारण सोमवार को किया गया फेरबदल जरूरी हो गया था।
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