सेना के शीर्ष अधिकारी ने जम्मू एय़र बेस स्टेशन पर हुए हमले में स्पष्ट तौर पर संकेत दिया है कि ये पड़ोसी देश की सरकार द्वारा प्रायोजित साजिश का हिस्सा है. श्रीनगर में 15वीं कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय ने NDTV से बातचीत में इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा का हाथ होने का इशारा किया है. जनरल पांडेय ने कहा कि सेना इस तरह के हथियारों और ड्रोन और उनसे जुड़ी अत्याधुनिक तकनीकों से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ है और आने वाले समय में ऐसे हमलों का खतरा और बढ़ सकता है.
जम्मू एयरबेस पर ड्रोन से हमला : बड़ा सवाल आखिर रडार की नजर से कैसे बचा ड्रोन?
सेना के शीर्ष अधिकारी ने जम्मू एय़र बेस स्टेशन पर हुए हमले में स्पष्ट तौर पर संकेत दिया है कि ये पड़ोसी देश की सरकार द्वारा प्रायोजित साजिश का हिस्सा है. श्रीनगर में 15वीं कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय ने NDTV से बातचीत में इस हमले के पीछे पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा का हाथ होने का इशारा किया है.
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जनरल पांडेय ने कहा कि सेना इस तरह के हथियारों और ड्रोन और उनसे जुड़ी अत्याधुनिक तकनीकों से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ है और आने वाले समय में ऐसे हमलों का खतरा और बढ़ सकता है. लेफ्टिनेट जनरल पांडेय ने कहा कि सशस्त्र सेनाएं ऐसे खतरों को लेकर आगे की रणनीति पर विचार कर रही हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष चुनौती खड़े करने वाले किसी भी मुद्दे के उभरने के पहले ही उन्हें खत्म करने के समाधान तलाश रही हैं.
सैन्य अधिकारी ने कहा कि ड्रोन वारफेयर की टेक्नोलॉजीकोई आम बात नहीं है और इसे सड़क किनारे कहीं तैयार नहीं किया जा सकता. इसका सीधा मतलब है कि यह सरकार प्रायोजित सिस्टम और टेक्नोलॉजी है, जो निश्चित तौर पर जैश और लश्कर ए तैयबा (Jaish e Mohmmad, Lashkar E Toiba) जैसे आतंकी संगठनों की ओर इशारा करता है.
इन ड्रोनों को स्थानीय स्तर पर संचालित किया गया या बाहर तो इस सवाल पर पांडेय ने कहा कि हम इस मामले की जारी जांच से मिले सुराग का खुलासा करने को लेकर सतर्कता बरत रहे हैं. लेकिन शुरुआती आकलन से पता चलता है कि यह सरकारी तत्वों की मदद से कराया गया था. उन्होंने कहा कि सामान्य ड्रोन को उन्नत करके उनकी क्षमता और ताकत बढ़ाकर सरकारी एजेंसियों की मदद से ऐसे हमलों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
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