भारत ने ड्रोन हमले से निपटने के लिए एक सिस्टम और टेक्नोलॉजी तलाश ली है. उच्चस्तरीय सूत्रों के मुताबिक- जल्द ही जम्मू वायुसेना स्टेशन जैसे आतंकवादी ड्रोन हमलों से निपटने के लिए एक मजबूत नीति होगी. पीएम मोदी ने मंगलवार को एक हाईलेवल मीटिंग की, जिसमें विस्फोटकों से लैस इन ड्रोनों के आतंकी हमले से निपटने के लिए एक व्यापक ड्रोन नीति तैयार करने पर चर्चा हुई, ताकि भविष्य में आतंकी ड्रोन हमला न कर पाएं. इस बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित बड़े अधिकारी शामिल हुए. बता दें कि रविवार को जम्मू मिलिट्री स्टेशन पर आतंकियों ने ड्रोन से हमला किया. इसके बाद सोमवार को भी जम्मू के मिलिट्री स्टेशन के पास दो ड्रोन देखे गए. जब सुरक्षाकर्मियों ने उन पर फायरिंग की तो वे उड़ गए.
भारत के सैन्य अड्डे पर ड्रोन के इस्तेमाल का यह पहला हमला है. रविवार को वायुसेना के अड्डे पर दो विस्फोट हुए थे. पाकिस्तान से लगी सीमा से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उच्च सुरक्षा वाले एयरबेस पर तड़के दो बजे से थोड़ा पहले हुए ड्रोन हमले में भारतीय वायुसेना के दो जवान घायल हुए थे.
इस बारे में वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि देश के उत्तर पश्चिम क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर और पंजाब) में काउंटर ड्रोन सिस्टम की तैनाती की जरूरत है. इस हमले के बाद राष्ट्र हित को ध्यान में रखते हुए इस पर काम किया जा रहा है. साथ ही सरकार ने तय किया है कि इस तरह की तकनीक वाले हमलों से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना की नोडल एजेंसी काम करेगी.
अधिकारी ने ये भी बताया कि सरकार चाहती है कि वायुसेना भविष्य में होने वाले इस तरह के ड्रोन हमलों से मुकाबला करने के लिए प्रोद्योगिकी और तकनीक के जरिए खुद को पुख्ता तौर पर तैयार करे. वैसे वर्तमान में इस तरह के हमलों से निपटने के लिए कोई पुख्ता नीति या प्रणाली नहीं है. द नेशनल टेक्नीकल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन और भारत की टेक- इंटेलीजेंस एजेंसी भी इस काम में मदद करेंगी.
इस तरह के हमलों से निपटने के लिए तैयार हो रही प्रणाली में रेडियो फ्रीक्वेंसी डिटेक्टर, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इंफ्रारेड कैमरे, रडार, ड्रोन को पकड़ने वाले जाल, जीपीएस, लेजर और आरएफ जैमर जैसी सुविधाओं को जोड़ा जाएगा.
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