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This Article is From Sep 04, 2012

सीएजी की रिपोर्ट पर एनडीए का दोहरा रवैया, अपने राज्यों में चुप

सीएजी की रिपोर्ट पर एनडीए का दोहरा रवैया, अपने राज्यों में चुप
नई दिल्ली: सीएजी रिपोर्ट का इस्तेमाल बीजेपी अपनी राजनीति के हिसाब से ही कर रही है। केंद्र में वह हल्ला मचा रही है, लेकिन गुजरात, बिहार और छत्तीसगढ़ में पेश की गई कैग रिपोर्ट पर चुप है।

गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश करने की मांग को लेकर कांग्रेस प्रदर्शन करती रही, लेकिन सरकार ने सत्र के आखिरी दिन रिपोर्ट रखी। जाहिर है कि मोदी नहीं चाहते कि उनके खिलाफ इस रिपोर्ट पर कोई चर्चा या जांच हो।

गुजरात विधानसभा में रखी कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी कंपनियों ने प्राइवेट कंपनी को खरीद से कम कीमत में गैस बेची, जिससे करोड़ों का घाटा हुआ। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तुअर दाल की खरीद में प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है। वहीं दिल्ली में संसद न चलने देने वाली बीजेपी गुजरात में कैग रिपोर्ट का मुद्दा आने पर प्रोसीजर की दुहाई दे रहा है।

वहीं छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी और कांग्रेस ने अपनी−अपनी भूमिकाएं बदल ली हैं। वहां कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले पर कांग्रेस ने रमन सिंह सरकार को निशाना बनाया हुआ है।

कांग्रेस कहती है कि छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कटरपोरेशन (सीएमडीसी) को 2007 में केंद्र ने शंकरपुर ब्लॉक में दो एक्सटेंशन आवंटित किए थे लेकिन सीएमडीसी ने नितिन गडकरी के करीबी संचेती बंधु की कंपनी एसएमएस इंन्फ्रा के साथ संयुक्त उपक्रम कर लिया। छत्तीसगढ़ सीएजी रिपोर्ट कहती है कि इससे एक हज़ार 52 करोड़ रुपये के नुक़सान का अंदेशा है लेकिन बीजेपी इसकी सफ़ाई दे रही है।

उधर, बिहार में भी कैग रिपोर्ट को लेकर एनडीए का दोहरा मापदंड सामने आया है। महालेखाकार ने पिछले कुछ साल में राज्य में 25 हजार करोड़ का खर्च न मिलने का मामला उजागर किया।

रिपोर्ट को लेकर यूपीए के सहयोगी प्रदर्शन कर रहे हैं तो एनडीए पीएसी जांच की बात कर रही है। इसके अलावा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में धांधली की भी बात सामने आई है। इस पर बिहार विधानसभा की कार्यवाही में खलल डालने वाले और अब यूपीए के पाले में खड़े लालू यादव मानते हैं कि हंगामा और इस्तीफे की मांग सब गलत है, लेकिन सियासत भी कोई चीज है।

इसी मामले में पिछले साल कोर्ट तक जाने वाले रामविलास पासवान मानते हैं कि केंद्र और राज्यों में कैग रिपोर्ट के मामले पर सदन न चलने देना एक आम चलन हो गया है।

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