
महाराष्ट्र में सियासी उठा-पटक के बाद अब आरोपों का दौर शुरु हो गया है. शिवसेना और कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी की ओर से केंद्रीय रविशंकर प्रसाद ने पत्रकारों से बातचीत में शिवसेना और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ''शरद पवार और कांग्रेस ने परिणाम के बाद बयान दिया था कि हमें विपक्ष में बैठने का जनमत मिला है. फिर ये विपक्ष में बैठने का जनमत कुर्सी के लिए मैच फिक्सिंग कैसे हो गया?''
प्रसाद ने कहा कि भाजपा और शिवसेना ने जब बहुमत प्राप्त किया तो ये भाजपा गठबंधन की नैतिक और चुनावी विजय थी. शिवसेना किसके इशारे पर इतनी उत्तेजक हो गई? देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में अजीत पवार के साथ बड़ा तबका आकर सरकार को सहयोग करे तो इसे लोकतंत्र की हत्या कहा जाता है. लेकिन जब स्वार्थ भाव से प्रेरित होकर शिवसेना 30 साल की दोस्ती तोड़ दे और घोर विरोधी एनसीपी और कांग्रेस का दामन थाम ले तो ये लोकतंत्र की हत्या नहीं है?''
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महाराष्ट्र देश का बड़ा राज्य है और मुंबई देश की वित्तीय राजधानी. ये चोर दरवाजे से देश की वित्तीय राजधानी पर कब्जा करने की साजिश थी. उन्होंने कहा कि कुछ लोग छत्रपति शिवाजी की विरासत की बात कर रहे हैं, उनसे मैं बस इतना कहूंगा कि सत्ता के लिए अपने विचारों से समझौता करने वाले तो कम से कम छत्रपति शिवाजी की बात न करें.
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प्रसाद ने कहा, ''जो आदरणीय बाला साहब ठाकरे के आदर्शों को जीवित नहीं रख सके उनके विषय में कुछ नहीं कहना है. उनका प्रमाणिक कांग्रेस विरोध जग जाहिर है, उनकी राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद और भारत की संस्कृति-संस्कार के प्रति समर्पण प्रमाणिक है.''
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बहुमत था भाजपा और शिवसेना, लेकिन बड़ी पार्टी थी भाजपा, और मुख्यमंत्री का बहुमत था योग्य और ईमानदार मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जी के लिए. भाजपा को सभी ने बहुमत दिया है और एनसीपी के साथ मिलकर हम महाराष्ट्र में एक स्थाई सरकार बनाएंगे.''
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सबसे पहले शिवसेना नेता संजय राउत का प्रेस कांफ्रेंस हुआ और उन्होंने सारी कहानी के लिए अजित पवार को दोषी के रूप में पेश किया. संजय राउत ने कहा कि अजित पवार पर पहले से ही संदेह था. रात की बैठक में वो आंख मिलाकर बात नहीं कर रहा था. जिसके मन में गलत करने की बात होती है उसका बॉडी लैग्वेंज दिखने लगता है. रात के अंधेरे में ही पाप किए जाते हैं. संजय राउत ने कहा कि अजित पावार ने महाराष्ट्र की जनता और शिवाजी महाराज के विचारों के साथ विश्वासघात किया है. शरद पवार के साथ धोखा किया है.
संजय राउत के प्रेस कांफ्रेंस के बाद महाराष्ट्र में हुए महा'सियासी' खेल के पर एनसीपी प्रमुख नेता शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस की. शरद पवार ने कहा कि शिवसेना की अगुआई में हम सभी एकजुट थें और एकजुट रहेंगे. प्रेस कांफ्रेंस में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम जो करते हैं दिन के उजाले में करते हैं. बीजेपी का खेल सारा देश देख रहा है. उन्होंने कहा कि ये लोकतंत्र के नाम पर खिलवाड़ हो रहा है. प्रेस कांफ्रेंस में शरद पवार ने कहा कि अजित पवार के पास 54 विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी है. हम अजित के खिलाफ एक्शन लेंगे. उन्होंने कहा कि अजित पवार से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में शरद पवार ने कहा कि मुझे कोई चिंता नहीं है, मेरे साथ पहले भी ऐसा हो चुका है. पवार ने कहा कि हमारे पास नंबर है, सरकार हम ही बनाएंगे. उन्होंने कहा कि ये सरकार सदन में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाएगी.
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एनसीपी और शिवसेना की साझा प्रेस कांफ्रेंस के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और मलिकार्जुन खडगे प्रेस कांफ्रेंस के लिए आए. प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत अहमद पटेल ने की और कहा कि महाराष्ट्र में जो सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया गया उसकी सत्यता जांची नहीं गई. कोई वेरिफिकेशन नहीं किया गया. ये बेशर्मी की हद है. अहमद पटेल ने कहा कि सभी विधायक हमारे साथ हैं और बीजेपी का सामना करने के लिए मजबूती से साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि सहयोगी पार्टी से सलाह लेने में समय लगा लेकिन सरकार बनाने को लेकर देरी नहीं हुई. अहमद पटेल ने कहा कि आज सुबह में जो भी कांड हुआ उसकी आलोचना करने के सिवा में मेरे पास कोई शब्द नहीं है.
इससे पहले सुबह 8 बजे बीजेपी नेता देवेंद्र फडनवीस ने एनसीपी के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की और एनसीपी नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
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किसी दल को नहीं मिला था बहुमत
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और 24 अक्टूबर को परिणाम आए थे. चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. किसी भी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने के बाद 12 नवंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था.
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