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This Article is From Oct 05, 2016

पूर्व सेनाप्रमुखों की राय, सर्जिकल हमले का फुटेज सार्वजनिक हरगिज़ नहीं किया जाना चाहिए

पूर्व सेनाप्रमुखों की राय, सर्जिकल हमले का फुटेज सार्वजनिक हरगिज़ नहीं किया जाना चाहिए
नई दिल्ली: पिछले सप्ताह भारतीय सेना द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर में किए गए सर्जिकल हमले के 'वीडियो सबूत' को सार्वजनिक किए जाने की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा कांग्रेस पार्टी की मांग पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उसे पूरी तरह गलत ठहराया है भारतीय थलसेना के दो-दो पूर्व प्रमुखों जनरल शंकररॉय चौधरी तथा जनरल जेजे सिंह ने.

वर्ष 1994 से 1997 के बीच भारतीय थलसेना के प्रमुख रहे जनरल शंकररॉय चौधरी ने NDTV के एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारत को उस ऑपरेशन से जुड़ी कोई भी जानकारी हरगिज़ सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए. जनरल शंकररॉय चौधरी ने कहा, "यह लगातार जारी रहने वाला ऑपरेशन है, और आईएसआई (पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज़ इंटलिजेंस) और पाकिस्तानी सेना इसी ताक में हैं कि वे कहीं से भी, खासतौर से भारतीय मीडिया से, कोई जानकारी हासिल कर सकें, क्योंकि 80 फीसदी खुफिया जानकारियां इसी तरह के खुले स्रोतों से ही हासिल हुआ करती हैं..."

(ये भी पढ़ें- पीएम नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों को चेताया, सर्जिकल हमले पर 'बढ़-बढ़कर' न बोलें)

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत को अपनी सबसे गोपनीय जानकारी इस तरह के खुले स्रोतों पर हरगिज़ नहीं डालनी चाहिए. उनका कहना था, "पाकिस्तानी आईएसआई और पाक सेना इसी बात के इंतज़ार में हैं कि उन्हें भारत की ऑपरेशनल तकनीकों के बारे में खुफिया जानकारी हासिल हो सके..."

बुधवार को भारतीय थलसेना के एक और पूर्व प्रमुख जनरल जेजे सिंह ने भी कहा, "मैं नहीं समझता, किसी को भी इस सच्चाई पर सवाल उठाने का हक है कि हमने ऑपरेशन किया था, या हमें इसके सबूत उन्हें दिखाने चाहिए..."

पिछले बुधवार को भारतीय सेना नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ कन्ट्रोल) के पार गई थी, और उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों के सात लॉन्च पैडों को निशाना बनाया. सेना ने कहा था कि इन हमलों में आतंकवादियों को 'भारी जानी नुकसान' हुआ. पिछले महीने 18 सितंबर को जम्मू एवं कश्मीर के उरी में स्थित सेना कैम्प पर हुए आतंकवादी हमले में 19 जवानों के शहीद हो जाने के बाद ये सर्जिकल स्ट्राइक भारत की ओर से पहली सैन्य कार्रवाई थी.

पाकिस्तान का कहा है कि सर्जिकल हमला कभी हुआ ही नहीं, और वह सिर्फ 'सीमापार से होने वाली गोलीबारी' थी. इसके बाद केंद्र में विपक्षी पार्टी कांग्रेस तथा दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पाकिस्तान के प्रचार को गलत साबित करने के लिए हमलों के सबूत को सरकार द्वारा सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इस सुझाव की केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने कड़ी आलोचना की.

वैसे, सेना के सूत्रों ने पुष्टि की है कि हमलों की फुटेज, जिन्हें ड्रोन के ज़रिये टुकड़ों में शूट किया गया था, पिछले सप्ताह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी जा चुकी है.

इस बीच सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने बताया कि भारत में आतंकी हमलों की साजिश रचकर लगभग 100 आतंकवादी नियंत्रण रेखा पार करने की फिराक में हैं. सर्जिकल हमले के बाद यह सीसीएस की दूसरी बैठक थी.

इस बैठक में मौजूद सूत्रों ने बताया कि गृहमंत्री, विदेशमंत्री तथा रक्षामंत्री के इस समूह को जानकारी दी गई है कि भारत के सर्जिकल हमले के बाद जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास बने आतंकियों के लॉन्च पैडों की सुरक्षा पाकिस्तानी थलसेना कर रही है. सूत्रों ने यह भी बताया कि ऐसे लगभग एक दर्जन लॉन्च पैडों की पहचान कर ली गई है.

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