चेन्नई:
डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि ने अपील की है कि मौत की सजा के कानून को समाप्त किया जाना चाहिए। करुणानिधि की पार्टी डीएमके केंद्र में यूपीए सरकार को समर्थन दे रही है।
द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने एक बार फिर से मृत्युदंड खत्म करने की मांग दोहराते हुए एक तरह से 1993 बारूदी सुरंग विस्फोट मामले में सीबीआई जांच का समर्थन किया है। इस मामले में चंदन तस्कर वीरप्पन के चार सहयोगियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।
उन्होंने कहा कि फांसी की सजा प्राप्त चार दोषियों के परिजनों ने उनके बेकसूर होने का दावा किया था और इस लिहाज से मामले के लिए सीबीआई जांच की उनकी याचिका को ‘नजरंदाज नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता के लोगों को इसका अहसास होना चाहिए कि दोषी भले ही बरी हो जाए किसी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए।’’
करुणानिधि ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वीआर कृष्ण अय्यर ने भी भारत में मौत की सजा खत्म करने की वकालत की थी। दुनिया के 90 फीसदी देशों में इसे समाप्त किया जा चुका है।
पार्टी कार्यकर्ताओं को एक पत्र में उन्होंने कहा है, ‘‘आज के हालात में केंद्र, कानूनी विशेषज्ञों और अदालतों को इस पर विचार करना चाहिए और मानवाधिकार तथा मानवीयता के हित में कानून की किताबों से फांसी को हटाने पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।’’
करुणानिधि की अपील ऐसे समय आई है जब कर्नाटक से चार लोगों को फांसी की सजा दी जानी है। सोमवार को ही उच्चतम न्यायालय ने चंदन तस्कर वीरप्पन के इन चार सहयोगियों की मौत की सजा पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इन्हें वर्ष 2004 में मौत की सजा सुनाई गई थी। कर्नाटक में बारूदी सुरंग का विस्फोट करने के मामले में इन्हें दोषी पाया गया था। विस्फोट में 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे।
इन लोगों की दया याचिका राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा पिछले हफ्ते खारिज कर दी गई थी। पिछले नौ सालों से यह याचिका विचाराधीन थी। इन लोगों ने अपील की थी कि इनकी मौत की सजा को बदल दिया जाए। फांसी की सजा का विरोध कर रहे वकीलों ने कहा कि क्योंकि इस सजा के कार्यान्वयन में देरी हो चुकी है क्योंकि अब इससे संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होता है।
इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी तीन लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है जिनका केस अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। पिछले वर्ष तमिलनाडु की विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था और राष्ट्रपति से अपील की थी कि इन लोगों की फांसी की सजा पर पुनर्विचार किया जाए।
इस महीने के आरंभ में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दे दी गई थी। पिछले वर्ष नवंबर में मुंबई हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को फांसी दे दी गई। इन फांसी के विरोध में देश के तमाम मानवाधिकार संगठनों ने अपनी आवाज उठाई है।
द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि ने एक बार फिर से मृत्युदंड खत्म करने की मांग दोहराते हुए एक तरह से 1993 बारूदी सुरंग विस्फोट मामले में सीबीआई जांच का समर्थन किया है। इस मामले में चंदन तस्कर वीरप्पन के चार सहयोगियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।
उन्होंने कहा कि फांसी की सजा प्राप्त चार दोषियों के परिजनों ने उनके बेकसूर होने का दावा किया था और इस लिहाज से मामले के लिए सीबीआई जांच की उनकी याचिका को ‘नजरंदाज नहीं किया जा सकता।’ उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता के लोगों को इसका अहसास होना चाहिए कि दोषी भले ही बरी हो जाए किसी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए।’’
करुणानिधि ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वीआर कृष्ण अय्यर ने भी भारत में मौत की सजा खत्म करने की वकालत की थी। दुनिया के 90 फीसदी देशों में इसे समाप्त किया जा चुका है।
पार्टी कार्यकर्ताओं को एक पत्र में उन्होंने कहा है, ‘‘आज के हालात में केंद्र, कानूनी विशेषज्ञों और अदालतों को इस पर विचार करना चाहिए और मानवाधिकार तथा मानवीयता के हित में कानून की किताबों से फांसी को हटाने पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।’’
करुणानिधि की अपील ऐसे समय आई है जब कर्नाटक से चार लोगों को फांसी की सजा दी जानी है। सोमवार को ही उच्चतम न्यायालय ने चंदन तस्कर वीरप्पन के इन चार सहयोगियों की मौत की सजा पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इन्हें वर्ष 2004 में मौत की सजा सुनाई गई थी। कर्नाटक में बारूदी सुरंग का विस्फोट करने के मामले में इन्हें दोषी पाया गया था। विस्फोट में 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे।
इन लोगों की दया याचिका राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा पिछले हफ्ते खारिज कर दी गई थी। पिछले नौ सालों से यह याचिका विचाराधीन थी। इन लोगों ने अपील की थी कि इनकी मौत की सजा को बदल दिया जाए। फांसी की सजा का विरोध कर रहे वकीलों ने कहा कि क्योंकि इस सजा के कार्यान्वयन में देरी हो चुकी है क्योंकि अब इससे संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होता है।
इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी तीन लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है जिनका केस अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। पिछले वर्ष तमिलनाडु की विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था और राष्ट्रपति से अपील की थी कि इन लोगों की फांसी की सजा पर पुनर्विचार किया जाए।
इस महीने के आरंभ में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दे दी गई थी। पिछले वर्ष नवंबर में मुंबई हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को फांसी दे दी गई। इन फांसी के विरोध में देश के तमाम मानवाधिकार संगठनों ने अपनी आवाज उठाई है।
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