प्रतीकात्मक तस्वीर...
नई दिल्ली:
राज्यसभा से मंज़ूरी मिलने के बाद आज लोकसभा में मैटरनिटी बेनिफ़िट बिल पर चर्चा हो सकती है. आज संसद के मॉनसून सत्र का अंतिम दिन है और इससे पहले सरकार मैटरनिटी बेनिफ़िट बिल को पास कराने की कोशिश करेगी.
ये महिलाओं की बराबरी की दिशा में एक बड़ा क़दम माना जा रहा है. इसके तहत निजी कंपनियों में भी कार्यरत महिलाओं को गर्भावस्था में 6 महीने की छुट्टी मिलेगी और बच्चों के लिए क्रेच भी होगा. इस कानून के अभाव में अब तक महिलाएं निजी कंपनियों की मनमानी झेलने को मजबूर थीं.
राज्यसभा में बिल हुआ मंजूर
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को राज्यसभा ने मातृत्व अवकाश संशोधन बिल को लंबी चर्चा के बाद मंजूरी दे दी है. यह बिल पिछले कई साल से स्टेकहोल्डरों के साथ सलाह-मशविरा के बाद लाया गया है. इस दौरान वर्कप्लेस पर कामकाजी महिलाओं के खिलाफ हो रहे भेदभाव को खत्म करने के तरीकों पर गहन चर्चा की गई, जिसके बाद गुरुवार को राज्यसभा ने यह पास पास कर दिया है.
कानून के होंगे दूरगामी परिणाम : मेनका गांधी
महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने राज्यसभा में बिल के पारित होने के बाद कहा था कि 'यूनिसेफ के मुताबिक, जन्म होने के सात महीने तक मां का बच्चे की देखभाल करना बेहद जरूरी होता है. इस कानून के दूरगामी परिणाम होंगे. बच्चे के लिए भी और मां के लिए भी.'
कानून का उल्लंघन करने वालों को होगी सजा
बड़ा सवाल यह है कि इस कानून पर अमल न करने वालों पर क्या कार्रवाई की जाएगी? NDTV से बात करते हुए श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा 'जो लोग नए नियमों का उल्लंघन करेंगे, उन्हें तीन महीने से लेकर एक साल तक की सजा का प्रावधान बिल में शामिल किया गया है. उन पर फाइन भी लगाने का प्रावधान शामिल किया गया है.'
सात रीजनल कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा श्रम मंत्रालय
श्रम मंत्रालय देश भर में 7 रीजनल आयोजित करने की तैयारी कर रहा है, जिनमें सभी राज्यों के श्रम मंत्रियों और श्रम सचिवों को बुलाकर उनसे इस प्रस्तावित कानून को सही तरीके से लागू करने को कहा जाएगा. यानी अब अगली चुनौती प्रस्तावित कानून को जमीन पर कारगर तरीके से लागू करने की होगी.
ये महिलाओं की बराबरी की दिशा में एक बड़ा क़दम माना जा रहा है. इसके तहत निजी कंपनियों में भी कार्यरत महिलाओं को गर्भावस्था में 6 महीने की छुट्टी मिलेगी और बच्चों के लिए क्रेच भी होगा. इस कानून के अभाव में अब तक महिलाएं निजी कंपनियों की मनमानी झेलने को मजबूर थीं.
राज्यसभा में बिल हुआ मंजूर
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को राज्यसभा ने मातृत्व अवकाश संशोधन बिल को लंबी चर्चा के बाद मंजूरी दे दी है. यह बिल पिछले कई साल से स्टेकहोल्डरों के साथ सलाह-मशविरा के बाद लाया गया है. इस दौरान वर्कप्लेस पर कामकाजी महिलाओं के खिलाफ हो रहे भेदभाव को खत्म करने के तरीकों पर गहन चर्चा की गई, जिसके बाद गुरुवार को राज्यसभा ने यह पास पास कर दिया है.
कानून के होंगे दूरगामी परिणाम : मेनका गांधी
महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने राज्यसभा में बिल के पारित होने के बाद कहा था कि 'यूनिसेफ के मुताबिक, जन्म होने के सात महीने तक मां का बच्चे की देखभाल करना बेहद जरूरी होता है. इस कानून के दूरगामी परिणाम होंगे. बच्चे के लिए भी और मां के लिए भी.'
कानून का उल्लंघन करने वालों को होगी सजा
बड़ा सवाल यह है कि इस कानून पर अमल न करने वालों पर क्या कार्रवाई की जाएगी? NDTV से बात करते हुए श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा 'जो लोग नए नियमों का उल्लंघन करेंगे, उन्हें तीन महीने से लेकर एक साल तक की सजा का प्रावधान बिल में शामिल किया गया है. उन पर फाइन भी लगाने का प्रावधान शामिल किया गया है.'
सात रीजनल कॉन्फ्रेंस आयोजित करेगा श्रम मंत्रालय
श्रम मंत्रालय देश भर में 7 रीजनल आयोजित करने की तैयारी कर रहा है, जिनमें सभी राज्यों के श्रम मंत्रियों और श्रम सचिवों को बुलाकर उनसे इस प्रस्तावित कानून को सही तरीके से लागू करने को कहा जाएगा. यानी अब अगली चुनौती प्रस्तावित कानून को जमीन पर कारगर तरीके से लागू करने की होगी.
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