कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बुधवार को संसद की स्थाई समिति के सामने पेश हुए रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल तब झेंप गए, जब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उनसे पूछा कि क्या वह 2019 तक बता पाएंगे कि नोटबंदी के बाद बैंकों में कितनी पुरानी करेंसी जमा हुई. ज़ाहिर है सवाल राजनीतिक था, सो पटेल सहम गए. वैसे, सरकार अब तक ये नहीं बता पाई है कि बैंकों में 500 और 1000 रुपये की कितनी पुरानी करेंसी बैंकों में जमा हुई.
रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार को दूसरी बार वित्त मामलों की संसद की स्थाई समिति के सामने पेश हुए और उन्होंने गोपनीयता का हवाला देकर बैंकों के डिफॉल्टरों के नाम बताने से भी इनकार कर दिया. नोटबंदी के 8 महीने बाद भी रिज़र्व बैंक देश को ये बताने में असमर्थ है कि 500 और एक हज़ार रुपये की कितनी करेंसी बैंकों में जमा हुई. (पढ़ें- नोटबंदी के बाद कितने पुराने नोट सिस्टम में वापस आए?)
सूत्रों के मुताबिक, जब नोटबंदी से जुड़े सवाल पूछे गए तो रिज़र्व बैंक के गवर्नर ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं दे पाए. उन्होंने जानकारी की कमी और गोपनीयता का हवाला दिया. सूत्रों के मुताबिक, जब नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुई पुरानी करेंसी के बारे में पूछा गया तो पटेल ने कहा...
सरकार ने पिछले साल करीब 15 लाख करोड़ की करेंसी का विमुद्रीकरण किया था. जब सरकार ये बताएगी कि कितना पैसा वापस बैंकों के पास आया, उससे पता चलेगा कि क्या असल में कालेधन पर चोट हुई या नहीं.. लेकिन सरकार 8 महीने बाद भी आंकड़े नहीं दे रही, जिससे ये सवाल उठ रहा है कि क्या असल में नोटबंदी कालेधन या भ्रष्टाचार को रोकने में नाकामयाब रही है. वित्त मामलों के जानकार सुयश राय का कहना है कि जो कारण रिज़र्व बैंक के गवर्नर बात रहे हैं वह काफी पुराने हैं और इन्हें पचाना मुश्किल है.
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मीटिंग में चुटकी लेते हुए रिज़र्व बैंक के गवर्नर से कहा, "हम आपके कारणों को मान लेते हैं, लेकिन ये बताइये कि क्या मई 2019 तक आप ये बता पायेंगे कि कितनी करेंसी बैंकों के पास वापस आई". मीटिंग में मौजूद सूत्रों ने बताया कि दिग्विजय सिंह के इस सवाल पर पटेल असहज हो गए औऱ उन्होंने कुछ नहीं कहा.
कमेटी ने बैंकों के एनपीए को लेकर कमेटी ने उर्जित पटेल से डिफॉल्टरों के नाम भी पूछे, लेकिन पटेल ने गोपनीयता का हवाला देकर कहा कि नाम नहीं बताए जा सकते. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है.
रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार को दूसरी बार वित्त मामलों की संसद की स्थाई समिति के सामने पेश हुए और उन्होंने गोपनीयता का हवाला देकर बैंकों के डिफॉल्टरों के नाम बताने से भी इनकार कर दिया. नोटबंदी के 8 महीने बाद भी रिज़र्व बैंक देश को ये बताने में असमर्थ है कि 500 और एक हज़ार रुपये की कितनी करेंसी बैंकों में जमा हुई. (पढ़ें- नोटबंदी के बाद कितने पुराने नोट सिस्टम में वापस आए?)
सूत्रों के मुताबिक, जब नोटबंदी से जुड़े सवाल पूछे गए तो रिज़र्व बैंक के गवर्नर ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं दे पाए. उन्होंने जानकारी की कमी और गोपनीयता का हवाला दिया. सूत्रों के मुताबिक, जब नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुई पुरानी करेंसी के बारे में पूछा गया तो पटेल ने कहा...
- पुरानी करेंसी को गिनने का काम चल रहा है.
- इसके लिए नोट गिनने की और मशीनें खरीदी जा सकती हैं.
- भारत के बाहर नेपाल जैसे देशों में कितनी पुरानी करेंसी जमा हुई पता नहीं.
- सहकारी बैंकों में जमा पैसे का हिसाब भी नहीं है.
सरकार ने पिछले साल करीब 15 लाख करोड़ की करेंसी का विमुद्रीकरण किया था. जब सरकार ये बताएगी कि कितना पैसा वापस बैंकों के पास आया, उससे पता चलेगा कि क्या असल में कालेधन पर चोट हुई या नहीं.. लेकिन सरकार 8 महीने बाद भी आंकड़े नहीं दे रही, जिससे ये सवाल उठ रहा है कि क्या असल में नोटबंदी कालेधन या भ्रष्टाचार को रोकने में नाकामयाब रही है. वित्त मामलों के जानकार सुयश राय का कहना है कि जो कारण रिज़र्व बैंक के गवर्नर बात रहे हैं वह काफी पुराने हैं और इन्हें पचाना मुश्किल है.
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मीटिंग में चुटकी लेते हुए रिज़र्व बैंक के गवर्नर से कहा, "हम आपके कारणों को मान लेते हैं, लेकिन ये बताइये कि क्या मई 2019 तक आप ये बता पायेंगे कि कितनी करेंसी बैंकों के पास वापस आई". मीटिंग में मौजूद सूत्रों ने बताया कि दिग्विजय सिंह के इस सवाल पर पटेल असहज हो गए औऱ उन्होंने कुछ नहीं कहा.
कमेटी ने बैंकों के एनपीए को लेकर कमेटी ने उर्जित पटेल से डिफॉल्टरों के नाम भी पूछे, लेकिन पटेल ने गोपनीयता का हवाला देकर कहा कि नाम नहीं बताए जा सकते. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है.
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