प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
डेंगू के मरीज बढ़ रहे हैं तो साथ में ब्लड बैंकों की मनमानी भी। प्लेटलेट को लेकर कीमत वसूलने के मामले में अस्पतालऔर ब्लड बैंक NBTC यानी नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल की गाइडलाइंस तक को मानने को तैयार नहीं हैं। एक यूनिट प्लेटलेट के 18 हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं।
मनमानी कीमत वसूली जा रही
हाथों में बिल का पुलिंदा पकड़े मुकेश ने अपने भतीजे के इलाज में पांच दिन में ही करीब लाख रुपये खर्च कर डाले। उनके बिल में सिर्फ प्लेटलेट्स के मद में 52 हजार रुपये हैं। डोनर साथ ले जाने के बावजूद 1 यूनिट प्लेटलेट के लिए मैक्स पटपड़गंज ने 18 हजार रुपये वसूले। इसमें प्लेटलेट एफेरेसिस के लिए डोनर स्क्रीनिंग के नाम पर 4000 रु और एफेरेसिस प्रोसेसिंग चार्ज के 14000 रुपये शामिल हैं।
एनबीटीसी को सिर्फ निर्देश देने के अधिकार
प्लेटलेट के नाम पर निजी अस्पतालों में हो रही अंधी कमाई की कोई तय सीमा भले नहीं दिखती, लेकिन एनबीटीसी यानी नेशनल और स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल की गाइडलाइंस में यह साफ है कि किसी भी सूरत में प्लेटलेट एफेरेसिस के लिए 11000 रुपये से ज्यादा नहीं वसूले जा सकें, पर एनबीटीसी के पास सिर्फ निर्देश जारी करने के अधिकार हैं, कार्रवाई के नहीं। एनबीटीसी के डायरेक्टर डॉ आरएस गुप्ता कहते हैं कि हमारे पास सिर्फ गाइडलाइंस ही जारी करने का अधिकार है। एक्शन स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन और ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ले सकता है।
मनमानी कीमत वसूली जा रही
हाथों में बिल का पुलिंदा पकड़े मुकेश ने अपने भतीजे के इलाज में पांच दिन में ही करीब लाख रुपये खर्च कर डाले। उनके बिल में सिर्फ प्लेटलेट्स के मद में 52 हजार रुपये हैं। डोनर साथ ले जाने के बावजूद 1 यूनिट प्लेटलेट के लिए मैक्स पटपड़गंज ने 18 हजार रुपये वसूले। इसमें प्लेटलेट एफेरेसिस के लिए डोनर स्क्रीनिंग के नाम पर 4000 रु और एफेरेसिस प्रोसेसिंग चार्ज के 14000 रुपये शामिल हैं।
एनबीटीसी को सिर्फ निर्देश देने के अधिकार
प्लेटलेट के नाम पर निजी अस्पतालों में हो रही अंधी कमाई की कोई तय सीमा भले नहीं दिखती, लेकिन एनबीटीसी यानी नेशनल और स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल की गाइडलाइंस में यह साफ है कि किसी भी सूरत में प्लेटलेट एफेरेसिस के लिए 11000 रुपये से ज्यादा नहीं वसूले जा सकें, पर एनबीटीसी के पास सिर्फ निर्देश जारी करने के अधिकार हैं, कार्रवाई के नहीं। एनबीटीसी के डायरेक्टर डॉ आरएस गुप्ता कहते हैं कि हमारे पास सिर्फ गाइडलाइंस ही जारी करने का अधिकार है। एक्शन स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन और ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ले सकता है।