तमिलनाडु (Tamilnadu) में मेडिकल क्षेत्र में आरक्षण (Medical Reservation)की मांग तेज हो गई है. डीएमके (DMK) नेता एमके स्टालिन की अगुवाई में पार्टी कार्यकर्ताओं ने शनिवार को राजभवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल से चिकित्सा पाठ्यक्रमों में सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए 7.5 फीसदी आरक्षण के विधेयक को जल्द मंजूरी देने की मांग की है.यह मुद्दा सत्तारूढ़ एआईएडीएमके (AIADMK) और विपक्षी दल डीएमके के बीच मुद्दा बन गया है. डीएमके प्रमुख स्टालिन ने नीट आरक्षण को लेकर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को पत्र भी लिखा है.
एक माह पहले पारित हुआ था विधेयक
विधेयक 15 सितंबर को विधानसभा में पारित हुआ था, लेकिन राज्यपाल ने आरक्षण से जुड़े सभी कानूनी पहलू पर विचार करने के लिए 3-4 हफ्ते का वक्त मांगा है. हालांकि स्टालिन ने आगाह किया है कि देरी से नीट (National Eligibility, Entrance Test) परीक्षा पास करने वाले 300 सरकारी स्कूलों के छात्रों के भविष्य खराब हो जाएगा, जो विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला लेना चाहते हैं. उन्हें विधेयक पर तुरंत हस्ताक्षर करने की मांग की है.
सत्तारूढ़ पार्टी राज्यपाल पर दबाव नहीं डाल रही
स्टालिन ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ एआईएडीएमके इस मामले में राज्यपाल पर दबाव नहीं डाल रही. हालांकि मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी ने इन आरोपों से इनकार किया है.राज्यपाल के सरकारी आवास राजभवन के निकट विरोध प्रदर्शन में सैकड़ों लोग शामिल हुए, लेकिन इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा गया.
राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश- पलानीस्वामी
पलानीस्वामी ने कहा कि स्टालिन ऐसे विरोध प्रदर्शनों के जरिये राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही भरोसा जताया कि गवर्नर जल्द ही विधेयक को मंजूरी दे देंगे. पलानीस्वामी के अनुसार, डीएमके और कांग्रेस यह जताने की कोशिश कर रही है कि उन लोगों ने सरकारी स्कूलों के छात्रों के आरक्षण का प्रावधान उन्होंने किया हो.
मुख्यमंत्री का आरोप, कांग्रेस शासन में आया नीट
पलानीस्वामी ने आऱोप लगाया कि केंद्र में कांग्रेस शासनकाल में ही नीट देश में लागू किया गया. जबकि तमिलनाडु एक दशक से मेडिकल कॉलेजों के पाठ्यक्रमों के लिए देश में एकसमान परीक्षा का विरोध कर रहा है. तमिलनाडु में नीट में फेल होने या सफलता न मिलने के डर से 13 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं. यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है.
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