दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक संजीव चावला को आखिरकार 19 साल बाद लंदन से भारत लाने में सफल रही. संजीव चावला को कई कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद प्रत्यर्पण कर भारत लाया जा सका है. संजीव चावला 2000 के मैच फिक्सिंग के मामले में आरोपी है और तभी से उसकी तलाश चल रही थी, उसे भारत आने के बाद मैच फिक्सिंग की दुनिया के तमाम राज खुल सकते हैं और क्रिकेट की दुनिया के कुछ और सितारों के नाम सामने आ सकते हैं. साल 2000 में क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह ने साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी हैंसी क्रोनिए और संजीव चावला के बीच बातचीत की रिकॉर्डिंग सुनी थी और तब मैच फिक्सिंग का खुलासा हुआ था.
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दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीसीपी राम गोपाल नाइक की टीम जो इस मामले की जांच कर रही है वो गुरुवार सुबह करीब 10:30 बजे संजीव को लेकर दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पहुंची, एक विशेष संधि के तहत उसे लंदन से भारत प्रत्यर्पित किया गया है.साल 2000 में 16 फरवरी और 20 मार्च को खेले गए भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच में फिक्सिंग के आरोप के बाद दिल्ली पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू की थी. पुलिस ने साउथ अफ्रीका टीम के कैप्टन रह चुके दिवंगत हैंसी क्रोनिए समेत 6 लोगों के खिलाफ 2013 में ही चार्जशीट पेश कर दी थी, साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी हर्शल गिब्स और निकी बोए के फिक्सिंग से जुड़े होने के पर्याप्त सबूत न मिलने पर उनका नाम चार्जशीट से हटा दिया गया था.
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शुरुआती दौर में हैंसी क्रोनिए ने इन तमाम आरोपों से इनकार किया था लेकिन बाद में उन्होंने कबूल किया था कि वह मैच फिक्सिंग में शामिल थे,उन्हें पद से हटा दिया था और साल 2002 में हैंसी क्रोनिए की एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई थी. इस चार्जशीट में हैंसी क्रोनिए, सटोरिये संजीव चावला, मनमोहन खट्टर, राजेश कालरा और सुनील दारा सहित टी सीरीज के मालिक के भाई कृष्ण कुमार को आरोपी बनाया गया था.
लेकिन संजीव उसके पहले ही लंदन भाग गया था, पुलिस लगातार संजीव को भारत लाने की कोशिश कर रही थी. पुलिस ने साल 2000 में संजीव का पासपोर्ट रद्द करा दिया था,2005 में संजीव चावला को लंदन की नागरिकता भी मिल गई,2016 में उसे भारतीय एजेंसियों की पहल पर लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया था. उसके बाद वो लगातार कानूनी दांवपेंच खेलता रहा ,पिछले महीने उसने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कोर्ट में भी अपील की लेकिन उसे कोई राहत नहीं मिली.
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