दिल्ली की तिमारपुर विधानसभा सीट की कहानी बड़ी दिलचस्प है. ये सीट आम आदमी पार्टी हमेशा जीतती रही लेकिन बार बार उम्मीदवार भी उसने बदले. इस बार पार्टी ने यहां से वरिष्ठ नेता दिलीप पांडेय को मैदान में उतारा है. बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर दिलीप पांडेय यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. 39 वर्षीय दिलीप पांडेय उत्तर पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त भी झेली थी. लेकिन इस बार पूरी ताकत लगाकर तिमारपुर से जीतने की उम्मीद रखते हैं. उनका दावा है, यहां पर चुनाव दिलीप पांडे बनाम कोई स्थानीय उम्मीदवार नहीं है. इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू का कहना है कि तीमारपुर अगर आम आदमी पार्टी का गढ़ होता तो बार-बार उम्मीदवार क्यों बदले जाते हैं. बीजेपी उम्मीदवार का कहना है कि यह गढ़ नहीं डर है. आपको बता दें कि बीजेपी 1993 के चुनाव के बाद यह सीट कभी नहीं जीती. लेकिन इस बार बीजेपी ने दो बार कांग्रेस के विधायक रह चुके 59 साल के सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू को उम्मीदवार बनाया है. बिट्टू अपने विधायक रहते किए काम के अलावा शाहीन बाग का मुद्दा भी उठा रहे हैं.
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एक चुनावी सभा में सुरेंद्र पाल सिंह बिट्टू कहते हैं, आज यह जो लोग धरना दे रहे हैं किसी ने ठीक कहा हमारे कश्मीरी पंडित आज भी शरणार्थी का जीवन बिता रहे हैं तब तो किसी को धरना देने का दिल नहीं करा हमारे ननकाना साहब गुरुद्वारे पर पत्थर मारे गए उस दिन का पाठ शाम का नहीं करने दिया गया तब किसी को धरना देने की बात नहीं आई.'
उन्होंने कहा, 'अगर दिल्ली में हो रहा है तो दिल्ली में ही तो मुद्दा उठाया जाएगा दो महीने से रोड ब्लॉक कर रखी है और जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है और और भी जगह पर ऐसे शुरू हो गए हैं और उस मुद्दे को का उठाएंगे हम'. कुल मिलाकर तिमारपुर में आम आदमी पार्टी के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती है, तो बीजेपी बड़े कैंडिडेट के साथ आप का गढ़ ध्वस्त करने की कोशिश में है.
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