दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली सरकार ने बुधवार को जनलोकपाल विधेयक को मंजूरी दे दी, जिससे अब भ्रष्टाचार विरोधी संस्था की स्थापना का रास्ता साफ हो जाएगा। सरकार ने दावा किया कि जनलोकपाल ठीक उसी तरह का होगा जैसा मशहूर अण्णा आंदोलन के दौरान प्रस्ताव किया गया था। दिल्ली सरकार जल्द ही जनलोकपाल विधेयक विधानसभा में पेश करेगी।
उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, 'एक ऐसा सख्त लोकपाल जो महज नारा नहीं होगा, जो सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं होगा...कैबिनेट ने अण्णा आंदोलन के उस खास विधेयक को मंजूरी दी है, उसका नाम दिल्ली जन लोकपाल विधेयक, 2015 होगा। यह वही विधेयक है, जो अन्ना आंदोलन के दौरान तैयार किया गया था। इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
इस विधेयक के मसौदे में यह प्रावधान भी है कि जन लोकपाल के दायरे में मुख्यमंत्री को भी लाया गया है और यह उत्तराखंड के लोकपाल विधेयक की तरह है जिसमें समयबद्ध जांच का प्रावधान है।
इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस विधेयक को जल्द ही विधानसभा में पेश किया जा सकता है, जबकि सिसोदिया ने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति इस बात पर फैसला करेगी कि विधेयक को सदन में कब पेश करना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार मौजूदा शीतकालीन सत्र में विधेयक को पारित कराने की हरसंभव कोशिश करेगी। नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा सरकार 'मजबूरन' यह कदम उठा रही है।
गुप्ता ने कहा, यदि यह खबर सही है तो यह हमारी सफलता है, क्योंकि बीजेपी विधेयक पेश करने की मांग करती रही है। सरकार विधेयक नहीं लाना चाहती थी, लेकिन ऐसा लगता है कि मजबूरन यह विधेयक लाया गया है।
दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अजय माकन ने कहा, 'मूल विधेयक को किसी तरह से कमजोर करना कांग्रेस को स्वीकार्य नहीं होगा। 'आप' सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान लाए गए विधेयक को लाया जाना चाहिए।
उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, 'एक ऐसा सख्त लोकपाल जो महज नारा नहीं होगा, जो सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं होगा...कैबिनेट ने अण्णा आंदोलन के उस खास विधेयक को मंजूरी दी है, उसका नाम दिल्ली जन लोकपाल विधेयक, 2015 होगा। यह वही विधेयक है, जो अन्ना आंदोलन के दौरान तैयार किया गया था। इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
इस विधेयक के मसौदे में यह प्रावधान भी है कि जन लोकपाल के दायरे में मुख्यमंत्री को भी लाया गया है और यह उत्तराखंड के लोकपाल विधेयक की तरह है जिसमें समयबद्ध जांच का प्रावधान है।
इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस विधेयक को जल्द ही विधानसभा में पेश किया जा सकता है, जबकि सिसोदिया ने कहा कि कार्यमंत्रणा समिति इस बात पर फैसला करेगी कि विधेयक को सदन में कब पेश करना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार मौजूदा शीतकालीन सत्र में विधेयक को पारित कराने की हरसंभव कोशिश करेगी। नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा सरकार 'मजबूरन' यह कदम उठा रही है।
गुप्ता ने कहा, यदि यह खबर सही है तो यह हमारी सफलता है, क्योंकि बीजेपी विधेयक पेश करने की मांग करती रही है। सरकार विधेयक नहीं लाना चाहती थी, लेकिन ऐसा लगता है कि मजबूरन यह विधेयक लाया गया है।
दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अजय माकन ने कहा, 'मूल विधेयक को किसी तरह से कमजोर करना कांग्रेस को स्वीकार्य नहीं होगा। 'आप' सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान लाए गए विधेयक को लाया जाना चाहिए।
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