दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की फाइल फोटो
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने नए एसीबी प्रमुख मुकेश मीणा को दिल्ली पुलिस वापस लौटने के लिए कहा है। दिल्ली सरकार के मुताबिक़ ज्वॉइंट कमिश्नर की पोस्ट एसीबी में है ही नहीं।
उपराज्यपाल कहेंगे तो वापस जाऊंगा : एसीपी मीणा
मीणा ने साफ कर दिया है कि उनकी नियुक्ति उपराज्यपाल ने की है, इसलिए यदि एलजी कहेंगे तो ही मैं वापस जाऊंगा। बताया जा रहा है कि मीणा ने एसीबी के अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की है। साथ उन्होंने दिल्ली सरकार के आदेश की परवाह नहीं करने की बात भी कही है।
दिल्ली सरकार की ओर से विजिलेंस विभाग के सचिव सुकेश कुमार जैन ने एक पत्र लिखकर कहा कि क्योंकि एसीबी में ऐसा कोई पद नहीं है तो आप कृपया वापस दिल्ली पुलिस में जाएं।
उधर, दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने कहा कि मीणा दिल्ली एसीबी में बने रहेंगे, जिसको शिकायत हो वह उपराज्यपाल से जाकर मिले।
बता दें कि दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच को लेकर एक बार फिर केंद्र और दिल्ली सरकार में ठन गई है। नई दिल्ली में ज्वाइंट सीपी पद पर तैनात मुकेश कुमार मीणा को दिल्ली के उपराज्यपाल ने एसीबी का प्रमुख बना दिया था।
इससे पहले एडिशनल सीपी एसएस यादव एसीबी के प्रमुख थे, लेकिन ज्वाइंट सीपी का पद उससे बड़ा होता है इसलिए अब मीणा, यादव के ऊपर आ गए हैं। उप राज्यपाल नजीब जंग ने इसके साथ ही दिल्ली पुलिस के आठ पुलिसकर्मियों को भी एसीबी में नियुक्त किया है।
एसीबी में नहीं है ज्वाइंट सीपी पद : दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार के मुताबिक़ एंटी करप्शन ब्रांच में ज्वाइंट सीपी पद है ही नहीं, जिस पर मुकेश मीणा नियुक्त हुए हैं। दिल्ली सरकार मानती है कि ये एंटी करप्शन ब्रांच के काम में एलजी का सीधा दखल है। खासतौर से तब जब उनका नाम सीएनजी फिटनेस घोटाले में सवालों में हैं और दिल्ली सरकार उन पर कार्रवाई पर विचार कर रही है। इस बारे में एनडीटीवी आपको पहले ही बता चुका है।
क्यों दिल्ली सरकार उठा रही है मीणा पर उंगलियां
आपको बता दें कि जंतर मंतर पर किसान गजेंद्र की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी के नेताओं पर एफआईआर दर्ज की थी। उस समय इस मामले के प्रमुख ज्वाइंट सीपी मुकेश मीणा ही थे और जंतर-मंतर पर धरने के चलते या 144 का उल्लंघन करने पर जो भी मामले आप पर दर्ज हुए डिस्ट्रिक्ट के हैड होने के चलते सभी मामले बिना मुकेश मीणा की इजाजत के नहीं हो सकते थे।