प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:
भारत ने रक्षा ताकत की तरफ एक और कदम मजबूती से बढ़ाया है. रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को नौसेना के दो स्टेल्थ फ्रिगेट (रडार की नजर में पकड़ नहीं आने वाले युद्धपोतों) के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें और सेना के मुख्य युद्धक टैंक 'अर्जुन' के लिए बख्तरबंद रिकवरी वाहन सहित 3,000 करोड़ रुपये मूल्य की सैन्य खरीद को मंजूरी दी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों खरीद के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से अनुमति मिली. डीएसी रक्षा खरीद को लेकर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की शीर्ष संस्था है. उन्होंने कहा, 'रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में डीएसी ने करीब 3,000 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए मंजूरी दी.'
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भारत एक अरब डॉलर की कीमत के दो स्टेल्थ फ्रिगेट खरीद रहा है और दोनों जहाज स्वदेश निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगे. अधिकारी ने बताया, 'देश में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल एक जांची-परखी और प्रमाणिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है और इसे इन जहाजों पर प्राथमिक हथियार के तौर पर रखा जाएगा.'
VIDEO: सुखोई से ब्रह्मोस का सफल परीक्षण
अधिकारी ने बताया कि डीएसी ने भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंक 'अर्जुन' के लिए बख्तरबंद रिकवरी वाहन (एआरवी) की खरीद की भी स्वीकृति दी. एआरवी का डिजाइन और विकास डीआरडीओ ने किया है. वहीं, इसका निर्माण रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी बीईएमएल करेगी.
(इनपुट: भाषा से भी)
Defence Acquisition Council approves defence procurement of about Rs 3000 cr including Brahmos Missiles for two Indian ships to be built in Russia as primary weapon on board. DRDO designed & developed Armoured Recovery Vehicles also approved for procurement for Army's MBT Arjun. pic.twitter.com/WLgyQ5gfdB
— ANI (@ANI) December 1, 2018
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भारत एक अरब डॉलर की कीमत के दो स्टेल्थ फ्रिगेट खरीद रहा है और दोनों जहाज स्वदेश निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगे. अधिकारी ने बताया, 'देश में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल एक जांची-परखी और प्रमाणिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है और इसे इन जहाजों पर प्राथमिक हथियार के तौर पर रखा जाएगा.'
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अधिकारी ने बताया कि डीएसी ने भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंक 'अर्जुन' के लिए बख्तरबंद रिकवरी वाहन (एआरवी) की खरीद की भी स्वीकृति दी. एआरवी का डिजाइन और विकास डीआरडीओ ने किया है. वहीं, इसका निर्माण रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी बीईएमएल करेगी.
(इनपुट: भाषा से भी)
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