नई दिल्ली:
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर पांच दिवसीय यात्रा में चीन पहुंच चुके है। इस दौरान दोनों देशों के बीच बॉर्डर डिफेन्स कोऑपरेशन एग्रीमेंट, काउंटर टेरेरिज्म, पीओके में चीनी सैनिकों की मौजूदगी और मौलाना मसूद अज़हर के मुद्दे पर चीन के रुख को लेकर बातचीत होगी ।
भारत और चीन के बीच मौजूदा समय में संबंध सुधरते नजर आ रहे हैं, लेकिन भारत के लिए चीन की चुनौती कम नही है। हाल ही में चीन ने पठानकोट हमले के जिम्मेदार मौलाना मसूद अजहर को यूनाइटेड़ नेशन्स में आतंकवादी घोषित करने की भारत की कोशिशों को 'वीटो' कर दिया था। भारत सरकार में उच्च सूत्र के मुताबिक, रक्षा मंत्री अपनी चीन यात्रा के दौरान ये मुद्दा उठाएंगे और सरकार को उम्मीद है चीन मौलाना के मुद्दे पर भारत के साथ 'कदमताल' करेगा। ये मुद्दा विदेश मंत्री चीन के विदेश मंत्री के साथ मास्को में उठा चुकी है।
हाल में चीन की ओर से नहीं हुई घुसपैठ की बड़ी कोशिश
हालिया समय में चीन की तरफ से भारत में घुसपैठ की बहुत बड़ी कोशिश नहीं हुई है। एक-दो घटनाओं में भी स्थानीय स्तर ही तुरंत मामला सुलझा लिया गया। दोनों देशों के बीच बार्ड़र डिस्प्यूट है जिसके सुलझने के तुरंत कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच बॉर्डर मामला सुलझाने के लिए पिछली साल 23 मार्च को 18वें राउंड की स्पेशल रिप्रेजेन्टेटिव मीटिंग हुई थी। जनवरी में एनएसए अजीत डोवाल को सामरिक बातचीत के लिए चीन जाना था लेकिन पठानकोट हमले के मद्देनजर उन्होंने अपनी यात्रा टाल दी थी।
विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे में भारत और चीन बार्डर को और बेहतर तरीके से मैनेज करना चाहते हैं। इसी के मद्देनजर दोनों देशों के बीच बार्डर डिफेंस कोऑपरेशन एग्रीमेंट हो सकता है। भारत का ये भी कहना है कि अगर चीन के साथ सीमा विवाद सुलझते हैं तो दूसरे क्षेत्र में भी इसका असर दिख सकता है। कुछ वक्त पहले पाक ऑक्युपाइड कश्मीर (पीओके) में चीनी सैनिकों की मौजूदगी से भारत की चिंता बढ़ गई थी। 1993 की पार्लियामेंट के रिजोल्यूशन के मुताबिक पीओके भारत का ही हिस्सा है। भारत इस मुद्दे को जोर-शोर से चीन के साथ उठाएगा।
भारत और चीन के काउंटर टेररिज्म कानून में है खासा फर्क
भारत और चीन ने हालिया समय में पांच बार 'हैंड टू हैंड' नाम की वार एक्सरसाइज की थी। जिससे भारत और चीन के काउंटर टेररिज्म के कानून और कार्यवाही में काफी अंतर नजर आया था। चीन किसी होस्टेज सिचुएशन में पूरी बिल्डिंग को उड़ाता नजर आया तो भारत केवल आतंकवादियों को मारकर बंधकों को छुड़ाने की नीति अपनाता है। इसलिए दोनों देशों के बीच पिछले साल सीएमसी के वाइस चेयरमैन फॉन चांगलो की यात्रा के दौरान हुई बातचीत को और आगे बढ़ाया जाएगा।
दक्षिण चीन सागर से जुड़े मुद्दे पर भी हो सकती है बात
भारत, दक्षिण चीन सागर में फ्रीडम और नेवीगेशन और मेरीटाइम कॉमन्स के अधिकारों की बात भी चीन से कर सकता है। हाल ही में एश्टन कार्टर की यात्रा के दौरान भारत के साथ अमेरिका के साथ जो समझौता हुआ है, उससे भी चीन की नाराजगी बढ़ी है। खासकर जब अमेरिका के लड़ाकू विमान भारतीय सैन्य ठिकाने का इस्तेमाल करेंगे। चीन को ये भी लगता है कि कहीं दक्षिण चीन सागर में अमेरिका चीनी प्रभुत्व के मुकाबला करने के लिये भारत का इस्तेमाल न करें।
भारत और चीन के बीच मौजूदा समय में संबंध सुधरते नजर आ रहे हैं, लेकिन भारत के लिए चीन की चुनौती कम नही है। हाल ही में चीन ने पठानकोट हमले के जिम्मेदार मौलाना मसूद अजहर को यूनाइटेड़ नेशन्स में आतंकवादी घोषित करने की भारत की कोशिशों को 'वीटो' कर दिया था। भारत सरकार में उच्च सूत्र के मुताबिक, रक्षा मंत्री अपनी चीन यात्रा के दौरान ये मुद्दा उठाएंगे और सरकार को उम्मीद है चीन मौलाना के मुद्दे पर भारत के साथ 'कदमताल' करेगा। ये मुद्दा विदेश मंत्री चीन के विदेश मंत्री के साथ मास्को में उठा चुकी है।
हाल में चीन की ओर से नहीं हुई घुसपैठ की बड़ी कोशिश
हालिया समय में चीन की तरफ से भारत में घुसपैठ की बहुत बड़ी कोशिश नहीं हुई है। एक-दो घटनाओं में भी स्थानीय स्तर ही तुरंत मामला सुलझा लिया गया। दोनों देशों के बीच बार्ड़र डिस्प्यूट है जिसके सुलझने के तुरंत कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच बॉर्डर मामला सुलझाने के लिए पिछली साल 23 मार्च को 18वें राउंड की स्पेशल रिप्रेजेन्टेटिव मीटिंग हुई थी। जनवरी में एनएसए अजीत डोवाल को सामरिक बातचीत के लिए चीन जाना था लेकिन पठानकोट हमले के मद्देनजर उन्होंने अपनी यात्रा टाल दी थी।
विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे में भारत और चीन बार्डर को और बेहतर तरीके से मैनेज करना चाहते हैं। इसी के मद्देनजर दोनों देशों के बीच बार्डर डिफेंस कोऑपरेशन एग्रीमेंट हो सकता है। भारत का ये भी कहना है कि अगर चीन के साथ सीमा विवाद सुलझते हैं तो दूसरे क्षेत्र में भी इसका असर दिख सकता है। कुछ वक्त पहले पाक ऑक्युपाइड कश्मीर (पीओके) में चीनी सैनिकों की मौजूदगी से भारत की चिंता बढ़ गई थी। 1993 की पार्लियामेंट के रिजोल्यूशन के मुताबिक पीओके भारत का ही हिस्सा है। भारत इस मुद्दे को जोर-शोर से चीन के साथ उठाएगा।
भारत और चीन के काउंटर टेररिज्म कानून में है खासा फर्क
भारत और चीन ने हालिया समय में पांच बार 'हैंड टू हैंड' नाम की वार एक्सरसाइज की थी। जिससे भारत और चीन के काउंटर टेररिज्म के कानून और कार्यवाही में काफी अंतर नजर आया था। चीन किसी होस्टेज सिचुएशन में पूरी बिल्डिंग को उड़ाता नजर आया तो भारत केवल आतंकवादियों को मारकर बंधकों को छुड़ाने की नीति अपनाता है। इसलिए दोनों देशों के बीच पिछले साल सीएमसी के वाइस चेयरमैन फॉन चांगलो की यात्रा के दौरान हुई बातचीत को और आगे बढ़ाया जाएगा।
दक्षिण चीन सागर से जुड़े मुद्दे पर भी हो सकती है बात
भारत, दक्षिण चीन सागर में फ्रीडम और नेवीगेशन और मेरीटाइम कॉमन्स के अधिकारों की बात भी चीन से कर सकता है। हाल ही में एश्टन कार्टर की यात्रा के दौरान भारत के साथ अमेरिका के साथ जो समझौता हुआ है, उससे भी चीन की नाराजगी बढ़ी है। खासकर जब अमेरिका के लड़ाकू विमान भारतीय सैन्य ठिकाने का इस्तेमाल करेंगे। चीन को ये भी लगता है कि कहीं दक्षिण चीन सागर में अमेरिका चीनी प्रभुत्व के मुकाबला करने के लिये भारत का इस्तेमाल न करें।
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